नई दिल्ली : अगर आपने होम या किसी भी प्रकार का लोन ले रखा है तो आपके पास आपकी बैंक से टेक्स्ट मैसेज या मेल आ रहे होंगे. यह मैसेज और मेल आपको बता रहे होंगे कि पिछले एक साल में लोन की ब्याज दरों में लगभग 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और आप अपनी बैंक से संपर्क करके या तो अपनी लोन ईएमआई बढ़वा लें या लोन का टेन्योर बढ़वा लें. बैंक का इसके पीछे साफ तर्क है कि अगर आपने ऐसा नहीं किया तो लोन आपके ऊपर ओवर ड्यू हो जाएगा और इस वजह से भविष्य में आपका लोन एनपीए भी हो सकता है.
अगर आपने एक साल पहले 6.7 प्रतिशत ब्याज दर से होम लोन लिया था तो आज वो 9.2 प्रतिशत की ब्याज दर पर है. अन्य दूसरे लोन का भी यही हाल है. आरबीआई ने पिछले एक साल में अपनी रेपो रेट लगातार बढ़ाई है. रेपो रेट आरबीआई की वो ब्याज दर होती है जिस पर वो दूसरें बैंकों को लोन देता है. आगे बैंक इसी ब्याज दर से कुछ प्रतिशत ज्यादा ब्याज दर पर अपने ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं. अगर आप चाहते हैं कि आपका लोन भी एनपीए ना हो और वो आप पर ओवर ड्यू भी ना हो तो इस खबर को ध्यान से पढ़ें...
रेपो रेट बढ़ने यानी फ्लैक्चुएशन की स्थिति में लेंडर को क्या करना चाहिए, इस सवाल का जवाब देते हुए एसबीआई के पूर्व मैनेजर और आर्थिक मामलों के जानकार वी.के सिन्हा ने कहा कि अगर लेंडर पुरानी EMI राशि ही बैंक को दे रहा है तो उसका अकाउंट ईरेगुलर हो सकता है और फिर NPA की कगार पर पहुंच सकता है. इसे उदाहरण से समझें- मान लीजिए 5000 रुपये आपकी ईएमआई है, रेट ऑफ इंटरेस्ट बढ़ने से आपकी वही ईएमआई 5500 रुपये हो गई. तो 500 रुपये से आपका अकाउंट हर महीने ईरेगुलर होता जाएगा. और अगर लगातार 3 महीने आपका अकाउंट ईरेगुलर होता है तो चौथे महीने वह Non-Performing Assets (NPA) हो जाएगा.
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हालांकि बैंक नहीं चाहती कि आपका अकाउंट एनपीए हो. इसलिए वह कस्टमर को मेल या मैसेज भेजती है कि ग्राहक बैंक या उसके नजदीकी ब्रांच से कॉन्टेक्ट कर ले. लेंडर अपने अकाउंट को एनपीए होने से बचाने के लिए क्या कर सकते हैं इस सवाल का जवाब देते हुए वी.के. सिन्हा ने बताया कि लेंडर बैंक से संपर्क करें. अपने ईएमआई की राशि को बढ़ाने के लिए या फिर लोन टेन्योर को बढ़वा सकता है. ऐसा करने से आपका अकाउंट एनपीए नहीं होगा. इसे उदाहरण से समझें- मान लें कि आपका लोन पीरियड 20 साल के लिए था. उसे बढ़वा कर आपने 22 या 25 साल करवा लिया. आप 5000 रुपये ईएमआई देते थे और रेपो रेट बढ़ने के बाद भी उतना ही दे रहे हैं. लोन पीरियड बढ़वा लेने से आपका अकाउंट ईरेगुलर नहीं होगा और न ही NPA.
वी.के. सिन्हा ने आगे बताया कि इसके अलावा लेंडर एक काम और कर सकते हैं कि वह EMI बढ़ा कर दें. अगर उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी है तो 13000 रुपये की जगह 15000 रुपये दें. ऐसा करने का फायदा ये होगा कि रेपो रेट बढ़ने, EMI बाउंस होने, या किसी अन्य कारण से EMI देने में देरी होने पर भी आपका अकाउंट Irregular नहीं होगा. हालांकि इसमें ध्यान देने वाली बात ये है कि आपने लोन किस बैंक से लिया गया है और किस बैंक से EMI का पेमेंट कर रहे हैं. लोन और EMI अगर एक बैंक से ही जुड़े हैं आप तभी ईएमआई बढ़ा कर दे सकते हैं.
इसे उदाहरण से समझाते हुए वी. के सिन्हा ने बताया कि मान लिजिए कि आपने SBI से लोन लिया और आपका अकाउंट बैंक ऑफ बड़ोदा (BOB) में है. तो ऐसी स्थिति में आप EMI की निर्धारित राशी ही दे सकते हैं, बढ़ा कर नहीं. क्योंकि ECS (Electronic clearing service) सेम अमाउंट का ही लगेगा. वहीं, सेम बैंक यानी SBI से SBI में ईएमआई की राशि आप बढ़ा कर 13000 या 15000 रुपये भी जमा कर सकते हैं. आपको बता दें कि ECS को अब National Automated Clearing House (NACH) कहा जाता है.
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EMI बढ़ा कर भुगतान करने का फायदा बताते हुए वी. के सिन्हा ने कहा कि इससे आप लोन के जाल से जल्द मुक्त हो सकते हैं. आपका लोन टेन्योर कम होगा यानी 20 साल का लोन 18 साल में ही पूरा हो जाएगा. क्योंकि हम जो लोन देते हैं वो बकाया राशि पर तय होता और अगर आप EMI बढ़ा कर देते हैं तो आपके लोन की मूल राशि जल्द ही पूरी हो जाएगी. इसके अलावा अगर आपकी आर्थिक स्थिति ठीक है तो लोन के झंझट को खत्म करने के लिए आप एकमुश्त पैमेंट भी कर सकते हैं. जैसे लोन का अमाउंट 90000 रुपए है तो आप इसे बैंक को एक बार में ही दे कर अपना लोन बंद करवा सकते हैं.
जब किसी का लोन ईरेगुलर या NPA यानी डिफॉल्ट हो जाता है. तो इसका असर उसके CIBIL स्कोर पर पड़ता है. CIBIL स्कोर एक तीन अंक की संख्या है. यह 300 से 900 तक होती है और किसी व्यक्ति की लोन लेने की योग्यता को दर्शाती है. जब भी कोई व्यक्ति नए लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करता है, तो लोन देने वाले संस्थान आवेदक को लोन देने के जोखिम का मूल्यांकन करने के लिए उसके क्रेडिट स्कोर की जांच करता है. इसलिए भविष्य में लोन लेने के आपको अपने सिबिल स्कोर का ध्यान रखना होगा. इसके लिए आप अपने EMI को ईरेगुलर न होने दे.