नई दिल्ली : ट्विटर और टेस्ला के मालिक एलन मस्क का सुझाव है कि बड़ी टेक कंपनियों को काम और प्रोडक्टविटी बढ़ाने के लिए नौकरियों में कटौती करनी चाहिए. वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए इंटरव्यू में एलन मस्क ने यह बात कही. उन्होंने अपने साक्षात्कार में ट्विटर के बारे में खुद के अधिग्रहण से पहले की स्थिति बताई. उन्होंने कहा कि ज्यादातर कंपनियों में, ऐसे कर्मचारी हैं जो Productivity को बढ़ाने में मदद करते हैं वहीं, कुछ एंप्लॉई उत्पादकता पर ब्रेक लगाने का काम करते हैं.
मस्क ने आगे कहा कि ट्विटर में 10 में नौ कर्मचारी ऐसे थे जो प्रोडक्टविटी को कम करते थे. इसी बात को ध्यान में रखते हुए ट्विटर को खरीदने के बाद मस्क ने Twitter में बड़े पैमाने पर छंटनी की. 7500 कर्मचारियों में से लगभग 3500 एंप्लॉई को नौकरी से बाहर का रास्ता दिया. वहीं, कुछ कर्मचारियों ने मस्क के सख्त वर्क कल्चर को देखते हुए खुद ही नौकरी छोड़ दी. वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर ट्विटर में कुल 1500 कर्मचारी हैं.
अपने इंटरव्यू में मस्क ने सिलिकॉन वैली क्षेत्र की कुछ कंपनियों में कार्यबल कम करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि 'इन कंपनियों में बहुत से लोग ऐसे काम कर रहे हैं जिनका बहुत अधिक मूल्य नहीं है, और यह शायद अधिकांश सिलिकॉन वैली कंपनियों के लिए सच है. इसलिए इन कंपनियों को वैसे पदों की पहचान कर उसमें कटौती करनी चाहिए, जिससे कंपनी की Productivity पर प्रभाव न पड़े और उसमें वृद्धि हो.'
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यह पूछे जाने पर कि क्या नौकरी में कटौती के कारण बड़े पैमाने पर ट्विटर आउटेज हुए, मस्क ने जवाब दिया कि साइट ब्रेकडाउन होता है. उन्होंने आगे कहा, 'आउटेज असामान्य नहीं हैं, उदाहरण के लिए हाल ही में इंस्टाग्राम में आउटेज था.' मस्क ने मजाक में यह भी कहा कि यूजर्स ने इंस्टाग्राम आउटेज के बारे में रिपोर्ट करने के लिए ट्विटर का ही सहारा लिया.
प्रोडक्टविटी के मामले में मस्क ने बार-बार ट्विटर के हालात का जिक्र किया. उन्होंने पिछले मैनेजमेंट पर ट्विटर को एक गैर-लाभकारी संगठन की तरह चलाने की बात कही. वहीं, मुनाफा कमाने के लिए मस्क ने बड़े पैमाने पर छंटनी की जिसमें तत्कालीन सीईओ पराग अग्रवाल टॉप मैनेजमेंट के अधिकारी भी शामिल रहे. हाल ही में मस्क ने वर्क फॉर्म होम को नैतिक रुप से सही नहीं माना था.
एलन मस्क ने अपने इंटरव्यू में एआई के बारे में भी चर्चा की. उन्होंने बताया कि कैसे AI मानव जीवन के लिए खतरा बन सकता है. जिसमें चैटजीपीटी जैसे जेनेरेटिव एआई से जुड़े जोखिम भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में एआई संवेदनशील प्राणियों में बदल सकता है, उसमें भावनाएं आ सकती है, जो मनुष्य के अस्तित्व के लिए खतरा बन सकता है. हालांकि, बदलाव तो अपरिहार्य है और 20-30 सालों में बहुत बड़े बदलाव होंगे, शायद ऐसे जिन पर आप विश्वास भी न कर पाए.'
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