नई दिल्ली: हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जोखिम भार मानदंडों को कड़ा कर दिया है. आरबीआई के इस फैसले के बाद बैंक कुछ प्रकार के लोन की दरों में 30-40 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर सकती है. जोखिम भार में वृद्धि के परिणामस्वरूप इक्विटी पर रिटर्न कम हो जाएगा और इसलिए, बैंक कुछ दरों में बदलाव करेंगे. ब्याज दरों में बढ़ोतरी से असुरक्षित लोन महंगा हो जाएगा.
पिछले साल से आरबीआई ने मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए रेपो रेट में 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है. बैंक का कहना है कि व्यक्तिगत ऋण के मोर्चे पर, उधार दरों में 30-40 बीपीएस या इससे भी अधिक बदलाव की उम्मीद है. इससे पहले मुख्य दर आखिरी बार फरवरी में 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दी गई थी, जो पांच सालों में उच्चतम स्तर है. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अपने जोखिम भार मानदंडों को संशोधित करने के बाद कुछ प्रकार के लोन की दरों में 30-40 आधार अंकों की बढ़ोतरी की जा सकती है.
वेबसाइट के अनुसार
एचडीएफसी बैंक के वेबसाइट के अनुसार, व्यक्तिगत ऋण पर ब्याज दरें वर्तमान में तीन महीने से 72 महीने की अवधि के लिए 10.50 फीसदी से 25 फीसदी प्रति वर्ष तक हैं. जिसको बैंक बढ़ा सकता है. आईसीआईसीआई बैंक की वेबसाइट से पता चला कि दरें 10.50 फीसदी से 16 फीसदी तक हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाताओं में, भारतीय स्टेट बैंक की ब्याज दर 10.55 फीसदी से शुरू होती है, जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा की ब्याज दर 12.40 फीसदी से 17.45 फीसदी तक होती है.
आरबीआई का फैसला
केंद्रीय बैंक ने असुरक्षित उपभोक्ता ऋणों के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए 16 नवंबर को बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों के उपभोक्ता ऋणों के लिए निर्धारित जोखिम भार में 25 फीसदी अंक की वृद्धि की है. इसका मतलब है कि बैंकों और एनबीएफसी को ऐसे ऋण देते समय अधिक पूंजी अलग रखनी होगी. उपभोक्ता ऋण में क्रेडिट कार्ड, कुछ व्यक्तिगत और खुदरा ऋण शामिल हैं. जुलाई-सितंबर तिमाही में आईसीआईसीआई बैंक का व्यक्तिगत ऋण पोर्टफोलियो 40 फीसदी बढ़कर 1.04 लाख करोड़ रुपये और इसका क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो 29.5 फीसदी बढ़कर 43,230 करोड़ रुपये हो गया है.