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RBI Guidelines on EMI: ईएमआई के बोझ से मिलेगी राहत, फ्लोटिंग से फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट में कर सकेंगे स्विच

आरबीआई ने बैंकों के लिए खास दिशा-निर्देश जारी किया है. जिसके तहत वित्तीय संस्थानों को लोन के ईएमआई पर ग्राहकों को इंटरेस्ट रेट चुनने का ऑप्शन देना होगा. इससे ग्राहक अपनी सुविधानुसार फिक्स्ड या फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट चुन सकेंगे. पढ़ें पूरी खबर...

RBI Guidelines on EMI
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
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Published : Aug 18, 2023, 4:08 PM IST

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से कहा है कि ब्याज दरें नए सिरे से तय करते समय वे कर्ज ले रखे ग्राहकों को ब्याज की निश्चित (फिक्स्ड) दर चुनने का विकल्प उपलब्ध कराएं. केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को जारी अधिसूचना में कहा कि ऐसा देखने में आया है कि ब्याज दर बढ़ने पर कर्ज की अवधि या मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ा दी जाती है. ग्राहकों को इसके बारे में सही तरीके से सूचित नहीं किया जाता है और न ही उनकी सहमति ली जाती है.

रिजर्व बैंक ने कहा-
‘कर्ज की मंजूरी के समय बैंकों को अपने ग्राहकों को स्पष्ट तौर पर बताना चाहिए कि मानक ब्याज दर में बदलाव की स्थिति में EMI या कर्ज की अवधि पर क्या प्रभाव पड़ सकता है. ईएमआई या कर्ज की अवधि बढ़ने की सूचना उचित माध्यम से तत्काल ग्राहक को दी जानी चाहिए.’

RBI ने बैंकों को दिया निर्देश
इस चिंता को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक ने अपने नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों को एक उचित नीतिगत ढांचा बनाने को कहा है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि ब्याज दरों को नए सिरे से तय करते समय बैंक ग्राहकों को निश्चित ब्याज दर को चुनने का विकल्प दें. इसके अलावा नीति के तहत ग्राहकों को यह भी बताया जाए कि उन्हें कर्ज की अवधि के दौरान इस विकल्प को चुनने का अवसर कितनी बार मिलेगा. साथ ही कर्ज लेने वाले ग्राहकों को EMI या ऋण की अवधि बढ़ाने या दोनों विकल्प दिए जाएं.

अधिसूचना में कहा गया है कि ग्राहकों को समय से पहले पूरे या आंशिक रूप से कर्ज के भुगतान की अनुमति दी जाए. यह सुविधा उन्हें कर्ज के अवधि के दौरान किसी भी समय मिलनी चाहिए. उल्लेखनीय है कि RBI ने पिछले सप्ताह पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में कर्ज लेने वाले लोगों को परिवर्तनशील (फ्लोटिंग) ब्याज दर से फिक्सड ब्याज दर का विकल्प चुनने की अनुमति देने की बात कही थी.

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि इसके लिए एक नया ढांचा तैयार किया जा रहा है. इसके तहत बैंकों को कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ऋण की अवधि और मासिक किस्त (ईएमआई) के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी. बता दें, फ्लोटिंग इंटरेस्ट महंगाई यानी रेपो रेट के साथ बदलता रहता है, वहीं, फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट स्थिर होता है.

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(पीटीआई- भाषा)

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से कहा है कि ब्याज दरें नए सिरे से तय करते समय वे कर्ज ले रखे ग्राहकों को ब्याज की निश्चित (फिक्स्ड) दर चुनने का विकल्प उपलब्ध कराएं. केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को जारी अधिसूचना में कहा कि ऐसा देखने में आया है कि ब्याज दर बढ़ने पर कर्ज की अवधि या मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ा दी जाती है. ग्राहकों को इसके बारे में सही तरीके से सूचित नहीं किया जाता है और न ही उनकी सहमति ली जाती है.

रिजर्व बैंक ने कहा-
‘कर्ज की मंजूरी के समय बैंकों को अपने ग्राहकों को स्पष्ट तौर पर बताना चाहिए कि मानक ब्याज दर में बदलाव की स्थिति में EMI या कर्ज की अवधि पर क्या प्रभाव पड़ सकता है. ईएमआई या कर्ज की अवधि बढ़ने की सूचना उचित माध्यम से तत्काल ग्राहक को दी जानी चाहिए.’

RBI ने बैंकों को दिया निर्देश
इस चिंता को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक ने अपने नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों को एक उचित नीतिगत ढांचा बनाने को कहा है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि ब्याज दरों को नए सिरे से तय करते समय बैंक ग्राहकों को निश्चित ब्याज दर को चुनने का विकल्प दें. इसके अलावा नीति के तहत ग्राहकों को यह भी बताया जाए कि उन्हें कर्ज की अवधि के दौरान इस विकल्प को चुनने का अवसर कितनी बार मिलेगा. साथ ही कर्ज लेने वाले ग्राहकों को EMI या ऋण की अवधि बढ़ाने या दोनों विकल्प दिए जाएं.

अधिसूचना में कहा गया है कि ग्राहकों को समय से पहले पूरे या आंशिक रूप से कर्ज के भुगतान की अनुमति दी जाए. यह सुविधा उन्हें कर्ज के अवधि के दौरान किसी भी समय मिलनी चाहिए. उल्लेखनीय है कि RBI ने पिछले सप्ताह पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में कर्ज लेने वाले लोगों को परिवर्तनशील (फ्लोटिंग) ब्याज दर से फिक्सड ब्याज दर का विकल्प चुनने की अनुमति देने की बात कही थी.

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि इसके लिए एक नया ढांचा तैयार किया जा रहा है. इसके तहत बैंकों को कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ऋण की अवधि और मासिक किस्त (ईएमआई) के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी. बता दें, फ्लोटिंग इंटरेस्ट महंगाई यानी रेपो रेट के साथ बदलता रहता है, वहीं, फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट स्थिर होता है.

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(पीटीआई- भाषा)

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