चेन्नई: देश के ऑटो कंपोनेंट उद्योग में हालांकि सुस्ती के इस दौर में भी अब तक बड़े पैमान पर छंटनी नहीं हुई है, लेकिन अगर यही स्थिति बनी रही तो उद्योग को मजबूरन भारी छंटनी करनी पड़ेगी. उद्योग संगठन की माने तो आने वाले दिनों में 10 लाख लोग बेरोजगारी के शिकार बन सकते हैं.
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसीएमए) के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि ऑटो उद्योग में सुस्ती का यही दौर बना रहा तो आने वाले दिनों में करीब 10 लाख लोगों की नौकरियां जा सकती हैं.
एसीएमए के प्रेसिडेंट राम वेंकटरमानी ने कहा, "अधिकांश ऑटो कंपोनेंट विनिर्माता कामकाज के दिनों में कटौती करके सुस्ती की मार से उबरने की चेष्टा कर रहे हैं. हालांकि छंटनी हो रही है, मगर कम हो रही है क्योंकि हम जानते हैं कि प्रशिक्षित कर्मचारियों का दोबारा मिलना मुश्किल होता है."
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उन्होंने कहा कि ऑटोमोटिव उद्योग में यह अभूतपूर्व संकट है. वाहन विमिनर्माताओं ने उत्पादन में 15-20 फीसदी की कटौती की है जिससे ऑटो कंपोनेंट सेक्टर के लिए संकट की स्थिति पैदा हो गई है.
वेंकटरमानी ने कहा, "अगर यही दौर जारी रहा तो आने वाले दिनों 10 लाख लोगों की नौकरियां जा सकती हैं."
देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में ऑटोमोटिव कंपोनेंट उद्योग का 2.3 फीसदी योगदान है, जबकि विनिर्माण जीडीपी में इसका योगदान 25 फीसदी है और इस क्षेत्र में 50 लाख लोगों को रोजगार मिलता है.
पिछले वित्तवर्ष में उद्योग की बिक्री 3.95 लाख करोड़ थी जोकि एक साल पहले की बिक्री से 14.5 फीसदी अधिक थी.
वेंकटरमानी ने बताया कि चालू वित्तवर्ष में उद्योग की विकास दर तकरीबन सपाट रह सकती है.
उन्होंने कहा कि वाहनों में भारत स्टेज-6 (बीएस-6) उत्सर्जन मानक का अनुपालन करने के लिए उद्योगपतियों ने भारी निवेश किया है.
उन्होंने कहा, "इसलिए बिक्री में थोड़ी भी गिरावट से बॉटमलाइन पर भारी प्रभाव पड़ता है."