मुंबई: रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को आखिरकार उद्योग और बैंक के शीर्ष अधिकारियों की मांग पर ध्यान देते हुये कंपनियों के लिये कर्ज पुनर्गठन सुविधा की घोषणा कर दी. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि यह पुनर्गठन रिजर्व बैंक के 7 जून 2019 को जारी मितव्ययी रूपरेखा ढांचे के अनुरूप होगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह कहा था कि सरकार कोविड-19 से प्रभावित उद्योग की मदद के लिये कर्ज के पुनर्गठन की आवश्यकता को लेकर रिजर्व बैंक के साथ मिलकर काम कर रही है.
सीतारमण ने कहा था, "ध्यान पुनर्गठन पर है. इस मुद्दे पर वित्त मंत्रालय रिजर्व बैंक के साथ सक्रियता से काम कर रहा है. सैद्धांतिक तौर पर इस बात पर गौर किया गया है कि पुनर्गठन की आवश्यकता पड़ सकती है, इस बात ध्यान दिया गया है."
रिजर्व बैंक ने इससे पहले फरवरी में जीएसटी में पंजीकृत सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के मानक खातों में संपत्ति वर्गीकरण को नीचे किये बिना ही एकबारगी पुनर्गठन की सुविधा दी थी. यह सुविधा उन एमएसएमई को दी गई जो कि एक जनवरी 2020 को चूक में थे. यह कदम बजट घोषणा के अनुरूप उठाया गया था.
दास ने कहा कि दबाव झेल रहे एमएसएमई कर्जदारों के खाते यदि मानक खातों के तौर पर वर्गीकृत हैं तो वह भी रिण पुनर्गठन के पात्र होंगे. रिजर्व बैंक ने सोने के आभूषण तथा अन्य जेवरातों के मामले में उनके कुल मूल्य के समक्ष कर्ज के अनुपात को भी मौजूदा 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत कर दिया.
यह कदम घर-परिवारों के मामले में कोविड-19 से उत्पन्न तंगी में राहत देने के लिये उठाया गया है. दास ने यह भी बताया कि स्टार्टअप्स को अब बैंक कर्ज के मामले में प्राथमिक क्षेत्र का दर्जा दिया गया है. केन्द्रीय बैंक के इस कदम से बैंक अब ऐसी इकाइयों को कर्ज देने के लिये प्रोत्साहित होंगे.
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रिजर्व बैंक गवर्नर ने हालांकि कर्ज की किस्तों के भुगतान पर लगी रोक को लेकर किसी प्रकार की कोई बात नहीं कही है. यह रोक 31 अगस्त को समाप्त हो रही है.
लॉकडाउन के दौरान कर्जदारों को राहत देने के लिये रिजर्व बैंक ने मार्च में कर्ज किस्तों के भुगतान पर तीन माह के लिये रोक लगाने की घोषणा की थी जिसे बाद में आगे बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया. इस दौरान कर्जदारों को मूल और ब्याज सहित मासिक किस्तों के भुगतान से छूट का विकल्प उपलब्ध कराया गया.
हालांकि, बैंकों ने इस सुविधा को आगे बढ़ाने पर आपत्ति जताई है और उनका कहना है कि जो लोग भुगतान करने की स्थिति में हैं वो भी इसका बेजा लाभ उठा रहे हैं.
(पीटीआई-भाषा)