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किसी देश को भारत की नई एफडीआई नीति को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं: सरकारी सूत्र - No country needs to be worried about India's new FDI policy: government sources

करीब एक सप्ताह पहले भारत ने अपनी थल सीमा से लगे देशों से विदेशी निवेश के लिए मंजूरी हासिल करने को अनिवार्य कर दिया था. भारत ने यह कदम कोरोना वायरस महामारी के बीच घरेलू कंपनियों के ‘अवसरवादी अधिग्रहण’ को रोकने के लिए उठाया है.

किसी देश को भारत की नई एफडीआई नीति को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं: सरकारी सूत्र
किसी देश को भारत की नई एफडीआई नीति को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं: सरकारी सूत्र
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Published : Apr 24, 2020, 10:13 AM IST

नई दिल्ली: कुछ चुनिंदा राष्ट्रों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर भारत की नई नीति से किसी देश को चिंतित होने की जरूरत नहीं है. सरकारी सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह बात कही. सूत्रों का इशारा स्पष्ट रूप से चीन की ओर था.

चीन ने एफडीआई के इन नए नियमों पर कड़ी आपत्ति जताई थी.

करीब एक सप्ताह पहले भारत ने अपनी थल सीमा से लगे देशों से विदेशी निवेश के लिए मंजूरी हासिल करने को अनिवार्य कर दिया था. भारत ने यह कदम कोरोना वायरस महामारी के बीच घरेलू कंपनियों के ‘अवसरवादी अधिग्रहण’ को रोकने के लिए उठाया है.

ये भी पढ़ें-आरबीआई ने बैंकों को ओवरड्राफ्ट खातों के लिये इलेक्ट्रॉनिक कार्ड जारी करने की अनुमति दी

भारत ने ऐसे समय एफडीआई नियमों को कड़ा किया है जबकि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कोविड-19 संकट के बीच चीन की नजर सस्ते बाजार भाव का फायदा उठाते हुए कुछ भारतीय इकाइयों की हिस्सेदारी हासिल करने पर है.

चीन ने नई नीति के लिए भारत की आलोचना करते हुए इसे पक्षपातपूर्ण बताया था. यहां तक कि पड़ोसी देश ने भारत से इन नीति की समीक्षा करने को भी कहा था.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि एफडीआई नीति में किए गए प्रक्रियागत बदलावों को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. सूत्रों ने कहा कि यह नीति भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों को निवेश से रोकती नहीं है.

सूत्रों ने कहा कि कई अन्य देशों ने कोरोना वायरस महामारी की वजह से अपनी अर्थव्यवस्थाओं को संरक्षित रखने के लिए इसी तरह के कदम उठाए हैं.

चीन से मंगाई गई कोरोना वायरस जांच किट की दक्षता के बारे में पूछे जाने पर सूत्र ने कहा कि भारतीय चिकिस्ता अनुसंधान परिषद इस मामले को देख रही है.

एफडीआई नीति पर चीन का कहना है कि भारत के नए नियम विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के पक्षपातरहित सिद्धान्तों का उल्लघंन करने वाले हैं. यह मुक्त व्यापार के खिलाफ हैं.

चीनी दूतावास के एक प्रवक्ता जी रॉन्ग ने इसी सप्ताह कहा था कि इस नीति का चीनी निवेशकों पर स्पष्ट तौर पर असर पड़ेगा. रॉन्ग ने उम्मीद जताई कि भारत इस तरह के पक्षपातपूर्ण रुख को बदलेगा.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: कुछ चुनिंदा राष्ट्रों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर भारत की नई नीति से किसी देश को चिंतित होने की जरूरत नहीं है. सरकारी सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह बात कही. सूत्रों का इशारा स्पष्ट रूप से चीन की ओर था.

चीन ने एफडीआई के इन नए नियमों पर कड़ी आपत्ति जताई थी.

करीब एक सप्ताह पहले भारत ने अपनी थल सीमा से लगे देशों से विदेशी निवेश के लिए मंजूरी हासिल करने को अनिवार्य कर दिया था. भारत ने यह कदम कोरोना वायरस महामारी के बीच घरेलू कंपनियों के ‘अवसरवादी अधिग्रहण’ को रोकने के लिए उठाया है.

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भारत ने ऐसे समय एफडीआई नियमों को कड़ा किया है जबकि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कोविड-19 संकट के बीच चीन की नजर सस्ते बाजार भाव का फायदा उठाते हुए कुछ भारतीय इकाइयों की हिस्सेदारी हासिल करने पर है.

चीन ने नई नीति के लिए भारत की आलोचना करते हुए इसे पक्षपातपूर्ण बताया था. यहां तक कि पड़ोसी देश ने भारत से इन नीति की समीक्षा करने को भी कहा था.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि एफडीआई नीति में किए गए प्रक्रियागत बदलावों को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. सूत्रों ने कहा कि यह नीति भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों को निवेश से रोकती नहीं है.

सूत्रों ने कहा कि कई अन्य देशों ने कोरोना वायरस महामारी की वजह से अपनी अर्थव्यवस्थाओं को संरक्षित रखने के लिए इसी तरह के कदम उठाए हैं.

चीन से मंगाई गई कोरोना वायरस जांच किट की दक्षता के बारे में पूछे जाने पर सूत्र ने कहा कि भारतीय चिकिस्ता अनुसंधान परिषद इस मामले को देख रही है.

एफडीआई नीति पर चीन का कहना है कि भारत के नए नियम विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के पक्षपातरहित सिद्धान्तों का उल्लघंन करने वाले हैं. यह मुक्त व्यापार के खिलाफ हैं.

चीनी दूतावास के एक प्रवक्ता जी रॉन्ग ने इसी सप्ताह कहा था कि इस नीति का चीनी निवेशकों पर स्पष्ट तौर पर असर पड़ेगा. रॉन्ग ने उम्मीद जताई कि भारत इस तरह के पक्षपातपूर्ण रुख को बदलेगा.

(पीटीआई-भाषा)

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