नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से जुड़ने वाले शुद्ध नये अंशधारकों की संख्या इस साल मार्च में घटकर 5.72 लाख रही जबकि एक महीने पहले यह 10.21 लाख थी. ईपीएफओ के नौकरी के आंकड़ों से तथ्य यह पता चलता है. इससे संगठित क्षेत्र में रोजगार के परिदृश्य के बारे में जानकारी मिलती है.
ईपीएफओ के आंकड़े के अनुसार हालांकि वित्त वर्ष 2019-20 में शुद्ध रूप से नये अंशधारकों की संख्या बढ़कर 78.58 लाख रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 61.12 लाख थी. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन नये अंशधारकों का आंकड़ा अप्रैल 2018 से जारी कर रहा है. इसमें सितंबर 2017 से आंकड़े जारी किये जा रहे हैं.
आंकड़े के अनुसर सितंबर 2017 से मार्च 2020 के दौरान नये अंशधारकों की संख्या शुद्ध रूप से 1.55 करोड़ रही. सितंबर 2017 से मार्च 2018 के दौरान शुद्ध रूप से नये अंशधारकों की संख्या 15.52 लाख रही.
ईपीएफओ ने कहा कि 'पेरोल' का आंकड़ा अस्थायी है क्योंकि कर्मचारियों के रिकार्ड का अद्यतन एक निरंतर प्रक्रिया है और उसे आने वाले महीने में दुरूस्त किया जाता है.
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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के अनुसार, "सरकार ने 25 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा की. इसके अनुसार मार्च महीने के लिये ईसीआर (पीएफ रिटर्न) फाइल करने की तारीख बढ़ाकर 15 मई 2020 कर दी गयी थी."
ईपीएफओ ने यह अनुमान शुद्ध रूप से जुड़े नये अंशधारकों के आधार पर तैयार किया है. इसमें नौकरी छोड़कर जाने वाले और फिर ज्वाइन करने वालों को ध्यान में लिया गया है.
(पीटीआई-भाषा)