हैदराबाद: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये बृहस्पतिवार को अपनी मुख्य नीतिगत ब्याज दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती की. साथ ही आगे के लिए नीतिगत रुख को 'तटस्थ' से 'नरम' कर दिया. डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के इरादे से केंद्रीय बैंक ने आरटीजीएस और नेफ्ट के जरिये धन अंतरण पर लगने वाले शुल्क को भी समाप्त करने की घोषणा की.
नीतिगत रुख में इस बदलाव से संकेत मिला है कि कर्ज सस्ता करने के लिए केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में और कटौती कर सकता है. पिछले पंच महीनों में उधारी दर यानी रेपो दर में यह तीसरी कटौती है. इससे बैंकों के धन की लागत कम होने और उनकी ओर से मकान, कारोबार और वाहनों के कर्ज पर मासिक किस्त (ईएमआई) कम किए जाने की संभावना है.
केंद्रीय बैंक की इस कटौती से आम आदमी की जेब पर पड़ने वाली ईएमआई की मार में काफी राहत मिलेगी. इसे उदाहरण से समझते हैं.
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यदि कोई व्यक्ति 5 साल के लिए 9.25 प्रतिशत की सालाना ब्याज दर पर 10 लाख रुपये तक का कार लोन लेता है, तो उसे ईएमआई के रूप में महीने के 20,880 रुपये देने पड़ते हैं. यदि रिजर्व बैंक के रेपो दर में कटौती के इस फैसले के बाद बैंक भी समान दर से अपनी ब्याज दरों में कटौती करती है तो उसी व्यक्ति को 9 प्रतिशत सालाना ब्याज दर के हिसाब से ईएमआई के रूप में 20,758 रुपये देने पडे़ंगे. जिससे कि उसकी मासिक तौर पर ईएमआई पर 122 रुपये की राहत मिलेगी.
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