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वित्त वर्ष 2020-21 में कई दशक के निचले स्तर 1.6 प्रतिशत पर आ सकती है भारत की वृद्धि दर - गोल्डमैन सैश

कोरोना वायरस संकट से पहले भी नरमी के चलते वित्त वर्ष 2019-20 में देश की आर्थिक वृद्धि दरके अनुमान को घटा कर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था. महामारी के बाद आर्थिक हालत और बिगड़ी ही है.

वित्त वर्ष 2020-21 में कई दशक के निचले स्तर 1.6 प्रतिशत पर आ सकती है भारत की वृद्धि दर
वित्त वर्ष 2020-21 में कई दशक के निचले स्तर 1.6 प्रतिशत पर आ सकती है भारत की वृद्धि दर
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Published : Apr 8, 2020, 6:07 PM IST

मुंबई: कोरोना वायरस संक्रमण तथा इसकी रोकथाम के लिये लागू लॉकडाउन (बंद) के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर कई दशक के निचले स्तर 1.6 प्रतिशत पर आ सकती है. गोल्डमैन सैश ने यह अनुमान व्यक्त किया है.

कोरोना वायरस संकट से पहले भी नरमी के चलते वित्त वर्ष 2019-20 में देश की आर्थिक वृद्धि दरके अनुमान को घटा कर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था. महामारी के बाद आर्थिक हालत और बिगड़ी ही है.

कई विश्लेषक कोरोना वायरस को देखते हुए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटा रहे हैं. कुछ विश्लेषकों ने तो पहली तिमाही में जीडीपी में गिरावट तक की संभावना व्यक्त की हैं. गोल्डमैन के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत सरकार ने अभी तक इस संकट को लेकर आक्रामक रवैया नहीं दिखाया है. प्रयासों को तेज करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, "अभी तक की आर्थिक सहायता तथा आने वाले समय में इसे बढ़ाये जाने के अनुमान के साथ हमारा मानना है कि लॉकडाउन तथा लोगों की घबराहट के कारण मार्च व अगली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट आने के अनुमान हैं."

ये भी पढ़ें: वेंटिलेटर: जानते हैं कि क्यों और कैसे वाहन निर्माता कंपनियां कोरोना से लड़ने में कर रही हैं मदद

गोल्डमैन ने इससे पहले 22 मार्च के अनुमान में कहा था कि 2020-21 में भरत की वृद्धि दर 3.3 प्रतिशत रह सकती है. अब उसने इसे घटाकर 1.6 प्रतिशत कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार इस बार हालात 1970 तथा 1980 के दशक के और 2009 के झटकों से भी गहरे हो सकते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: कोरोना वायरस संक्रमण तथा इसकी रोकथाम के लिये लागू लॉकडाउन (बंद) के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर कई दशक के निचले स्तर 1.6 प्रतिशत पर आ सकती है. गोल्डमैन सैश ने यह अनुमान व्यक्त किया है.

कोरोना वायरस संकट से पहले भी नरमी के चलते वित्त वर्ष 2019-20 में देश की आर्थिक वृद्धि दरके अनुमान को घटा कर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था. महामारी के बाद आर्थिक हालत और बिगड़ी ही है.

कई विश्लेषक कोरोना वायरस को देखते हुए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटा रहे हैं. कुछ विश्लेषकों ने तो पहली तिमाही में जीडीपी में गिरावट तक की संभावना व्यक्त की हैं. गोल्डमैन के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत सरकार ने अभी तक इस संकट को लेकर आक्रामक रवैया नहीं दिखाया है. प्रयासों को तेज करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, "अभी तक की आर्थिक सहायता तथा आने वाले समय में इसे बढ़ाये जाने के अनुमान के साथ हमारा मानना है कि लॉकडाउन तथा लोगों की घबराहट के कारण मार्च व अगली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट आने के अनुमान हैं."

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गोल्डमैन ने इससे पहले 22 मार्च के अनुमान में कहा था कि 2020-21 में भरत की वृद्धि दर 3.3 प्रतिशत रह सकती है. अब उसने इसे घटाकर 1.6 प्रतिशत कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार इस बार हालात 1970 तथा 1980 के दशक के और 2009 के झटकों से भी गहरे हो सकते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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