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व्यापार मुद्दे सुलझाने के लिए भारत ने अमेरिका के सामने रखा प्रस्ताव - जीएसपी

अमेरिका ने अपने कृषि, डेयरी उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों के लिए अधिक बाजार पहुंच की मांग की है. इसके अलावा, अमेरिका कुछ आईटी उत्पादों पर आयात शुल्क घटाने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए उसके निर्यात को बढ़ाने की भी मांग कर रहा है.

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Published : Apr 3, 2019, 7:42 PM IST

नई दिल्ली : भारत और अमेरिका के बीच व्यापार से जुड़े मुद्दों का समाधान करने के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका के सामने एक प्रस्ताव रखा है. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने बुधवार को यह बात कही. सूचना प्रौद्योगिकी और कृषि मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श करने के बाद यह प्रस्ताव तैयार किया गया है.

अमेरिका ने अपने कृषि, डेयरी उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों के लिए अधिक बाजार पहुंच की मांग की है. इसके अलावा, अमेरिका कुछ आईटी उत्पादों पर आयात शुल्क घटाने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए उसके निर्यात को बढ़ाने की भी मांग कर रहा है.

प्रभु ने कहा कि अमेरिका जिन चीजों को लेकर चिंतित है वो सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि समेत विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित है. वाणिज्य मंत्री ने पीटीआई-भाषा को बताया, "हमने सभी मंत्रालयों के साथ बातचीत की और उनके सामने एक प्रस्ताव रखा है." हालांकि उन्होंने प्रस्ताव से जुड़ी जानकारियां नहीं दी.

अमेरिका ने पिछले महीने भारत को व्यापार में तरजीह व्यवस्था (जीएसपी) कार्यक्रम से भारत को बाहर करने की घोषणा की. हालांकि, भारत और अमेरिका व्यापार पैकेज पर बातचीत कर रहे हैं. अमेरिका ने अपने इस फैसले पर आगे बढ़ाने का फैसला किया है. इससे भारत के इस कार्यक्रम के तहत होने वाले 5.6 अरब डॉलर कीमत के अमेरिकी निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है.

प्रभु ने कहा कि पिछले एक साल में भारत को अमेरिका के निर्यात में करीब 48 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इसमें रक्षा खरीद शामिल नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया से करीब 1,000 विमान खरीदना चाहता है और अमेरिका एक संभावित आपूर्तिकर्ता हो सकता है. प्रभु ने कहा कि रक्षा खरीद और इसी तरह की अन्य खरीद व्यापार संतुलन की स्थिति में नाटकीय रूप से बदलाव कर रही हैं.

अमेरिका को भारत का निर्यात 2017-18 में 47.9 अरब डॉलर पर रहा जबकि आयात 26.7 अरब डॉलर पर रहा। व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में हैं. बातचीत के लिए एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिका भेजने की भारत सरकार की योजना पर प्रभु ने कहा कि हमनें अब तक इस पर फैसला नहीं लिया है.
ये भी पढ़ें : डब्ल्यूटीओ प्रमुख का व्यापारिक तनाव घटाने पर जोर

नई दिल्ली : भारत और अमेरिका के बीच व्यापार से जुड़े मुद्दों का समाधान करने के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका के सामने एक प्रस्ताव रखा है. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने बुधवार को यह बात कही. सूचना प्रौद्योगिकी और कृषि मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श करने के बाद यह प्रस्ताव तैयार किया गया है.

अमेरिका ने अपने कृषि, डेयरी उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों के लिए अधिक बाजार पहुंच की मांग की है. इसके अलावा, अमेरिका कुछ आईटी उत्पादों पर आयात शुल्क घटाने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए उसके निर्यात को बढ़ाने की भी मांग कर रहा है.

प्रभु ने कहा कि अमेरिका जिन चीजों को लेकर चिंतित है वो सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि समेत विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित है. वाणिज्य मंत्री ने पीटीआई-भाषा को बताया, "हमने सभी मंत्रालयों के साथ बातचीत की और उनके सामने एक प्रस्ताव रखा है." हालांकि उन्होंने प्रस्ताव से जुड़ी जानकारियां नहीं दी.

अमेरिका ने पिछले महीने भारत को व्यापार में तरजीह व्यवस्था (जीएसपी) कार्यक्रम से भारत को बाहर करने की घोषणा की. हालांकि, भारत और अमेरिका व्यापार पैकेज पर बातचीत कर रहे हैं. अमेरिका ने अपने इस फैसले पर आगे बढ़ाने का फैसला किया है. इससे भारत के इस कार्यक्रम के तहत होने वाले 5.6 अरब डॉलर कीमत के अमेरिकी निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है.

प्रभु ने कहा कि पिछले एक साल में भारत को अमेरिका के निर्यात में करीब 48 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इसमें रक्षा खरीद शामिल नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया से करीब 1,000 विमान खरीदना चाहता है और अमेरिका एक संभावित आपूर्तिकर्ता हो सकता है. प्रभु ने कहा कि रक्षा खरीद और इसी तरह की अन्य खरीद व्यापार संतुलन की स्थिति में नाटकीय रूप से बदलाव कर रही हैं.

अमेरिका को भारत का निर्यात 2017-18 में 47.9 अरब डॉलर पर रहा जबकि आयात 26.7 अरब डॉलर पर रहा। व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में हैं. बातचीत के लिए एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिका भेजने की भारत सरकार की योजना पर प्रभु ने कहा कि हमनें अब तक इस पर फैसला नहीं लिया है.
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नई दिल्ली : भारत और अमेरिका के बीच व्यापार से जुड़े मुद्दों का समाधान करने के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका के सामने एक प्रस्ताव रखा है. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने बुधवार को यह बात कही. सूचना प्रौद्योगिकी और कृषि मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श करने के बाद यह प्रस्ताव तैयार किया गया है.

अमेरिका ने अपने कृषि, डेयरी उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों के लिए अधिक बाजार पहुंच की मांग की है. इसके अलावा, अमेरिका कुछ आईटी उत्पादों पर आयात शुल्क घटाने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए उसके निर्यात को बढ़ाने की भी मांग कर रहा है.

प्रभु ने कहा कि अमेरिका जिन चीजों को लेकर चिंतित है वो सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि समेत विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित है. वाणिज्य मंत्री ने पीटीआई-भाषा को बताया, "हमने सभी मंत्रालयों के साथ बातचीत की और उनके सामने एक प्रस्ताव रखा है." हालांकि उन्होंने प्रस्ताव से जुड़ी जानकारियां नहीं दी.

अमेरिका ने पिछले महीने भारत को व्यापार में तरजीह व्यवस्था (जीएसपी) कार्यक्रम से भारत को बाहर करने की घोषणा की. हालांकि, भारत और अमेरिका व्यापार पैकेज पर बातचीत कर रहे हैं. अमेरिका ने अपने इस फैसले पर आगे बढ़ाने का फैसला किया है. इससे भारत के इस कार्यक्रम के तहत होने वाले 5.6 अरब डॉलर कीमत के अमेरिकी निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है.

प्रभु ने कहा कि पिछले एक साल में भारत को अमेरिका के निर्यात में करीब 48 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इसमें रक्षा खरीद शामिल नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया से करीब 1,000 विमान खरीदना चाहता है और अमेरिका एक संभावित आपूर्तिकर्ता हो सकता है. प्रभु ने कहा कि रक्षा खरीद और इसी तरह की अन्य खरीद व्यापार संतुलन की स्थिति में नाटकीय रूप से बदलाव कर रही हैं.

अमेरिका को भारत का निर्यात 2017-18 में 47.9 अरब डॉलर पर रहा जबकि आयात 26.7 अरब डॉलर पर रहा। व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में हैं. बातचीत के लिए एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिका भेजने की भारत सरकार की योजना पर प्रभु ने कहा कि हमनें अब तक इस पर फैसला नहीं लिया है.

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