नई दिल्ली: आयकर विभाग ने माल व सेवाओं की ऑनलाइन आपूर्ति करने वाले अनिवासी ई-वाणिज्य निकायों पर लगे इक्वलाइजेशन कर (समानीकरण शुल्क) के शुल्क भुगतान की व्यवस्था करने के लिए चालान के प्रारूप में बदलाव किया है.
समानीकरण शुल्क व्यवस्था को 2020-21 के बजट में प्रस्तावित किया गया था. यह एक अप्रैल 2020 से प्रभावी हुआ है और इसके पहली किस्त के भुगतान की समय सीमा सात जुलाई है. इसके दायरे में दो दर्जन से अधिक अनिवासी प्रौद्योगिकी कंपनियां आयेंगी.
ऐसी कंपनियों की ई-वाणिज्य आपूर्ति या सेवा पर दो प्रतिशत की दर से कर लगेगा. आयकर विभाग ने अनिवासी ई-वाणिज्य कंपनियों को इस कर की पहली किस्त का भुगतान करने की सहूलियत देने के लिये समान शुल्क भुगतान से संबंधित चालान आईटीएनएस 285 में बदलाव किया है.
संशोधित चालान में 'कटौती करने वाले के प्रकार' में 'ई-वाणिज्य आपूर्ति या सेवा प्रदान करने वाली ई-वाणिज्य कंपनियां' जोड़ा गया है. चालान में कटौती करने वाले के स्थायी खाता संख्या (पैन) को अनिवार्य बनाया गया है. इसके साथ ही पता संबंधी जानकारियां मांगे जाते समय इसमें 'भारत से बाहर' का विकल्प जोड़ा गया है.
नांगिया एंडरसन एलएलपी के पार्टनर संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने भुगतान चालान में बदलाव के साथ ही इस बात को लेकर संशय साफ कर दिया है कि चालान के लिये पैन अनिवार्य होगा.
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डेलॉयट इंडिया के पार्टनर रोहिंटन सिधवा ने कहा कि महामारी के कारण इसे टाले जाने की मांगें उठ रही हैं. इसके अलावा कुछ ऐसे नये प्रावधान भी किये गये हैं, जिन्हें लेकर स्पष्टीकरण की जरूरत है.
शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के पार्टनर अमित सिंघानिया ने कहा, "भुगतान चालान में बदलाव अब विदेशी कंपनियों को समानीकीण शुल्क के भुगतान में सक्षम बनायेगा. हालांकि, उद्योग जगत कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण की कमी को देखते हुए इसे टाले जाने की उम्मीद कर रहा था."
(पीटीआई-भाषा)