नई दिल्ली : असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ से अधिक कामगारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना, मौजूदा योजनाओं को नये स्वरूप में ढालना और नई नियुक्तियों में तेजी लाना जैसे कुछ मुद्दे हैं जो कि सेवानिवृति लाभ उपलब्ध कराने वाले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के समक्ष 2021 में चुनौती बनकर खड़े होंगे.
ईपीएफओ वर्तमान में संगठित क्षेत्र के छह करोड़ से अधिक कर्मचारियों को भविष्य निधि कोष और कर्मचारी पेंशन योजना के तहत सामाजिक सुरक्षा का लाभ उपलब्ध कराता है.
नये साल में संगठन को सरकार की महत्वकांक्षी आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) को लागू करने पर ध्यान देते हुये सेवाओं की सुपुर्दगी में सुधार लाने के लिये भगीरथ प्रयास करने होंगे. सामाजिक सुरक्षा संहिता के अगले साल एक अप्रैल से लागू होने की उम्मीद है.
ऐसे में ईपीएफओ को अपनी योजनाओं और सेवाओं को नये माहौल के अनुरूप ढालना होगा क्योंकि इससे असंगठित क्षेत्र के कामगार भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आ जायेंगे. देश में 40 करोड़ से ज्यादा असंगठित क्षेत्र के कामगार हैं जो कि किसी प्रतिष्ठान अथवा कंपनी के वेतन रजिस्टर में नहीं आते हैं और उन्हें भविष्य निधि और ग्रेच्युटी जैसे लाभ प्राप्त नहीं हैं.
सामाजिक सुरक्षा संहिता से ईपीएफओ के सामने आएगी नई चुनौतियां
भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के पूर्व महासचिव ब्रिजेश उपाध्याय ने पीटीआई- भाषा से कहा कि सामाजिक सुरक्षा संहिता के अमल में आने पर ईपीएफओ के समक्ष 2021 में नई चुनौतियां सामने आयेंगी.
उन्होंने कहा, "असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये अपनी योजनाओं और नेटवर्क का दायरा बढ़ाना होगा. इन कर्मचारियों को संहिता के तहत सामाजिक सुरक्षा लाभ उपलब्ध होंगे."
उपाध्याय ईपीएफओ ट्रस्ट में ट्रस्टी भी हैं. उनका कहना है कि असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये ईपीएफओ को अपनी योजनाओं और सेवाओं को नया रूप देना होगा.
इससे पहले यह सवाल उठाया गया था कि असंगठित क्षेत्र के मामले में भविष्य निधि जैसी सामाजिक सुरक्षा योजना में नियोक्ता के हिस्से का योगदान कौन करेगा. अब यह कहा गया है कि यह हिस्सा या तो सरकार की तरफ से दिया जायेगा अथवा असंगठित क्षेत्र के कामगार ऐसी योजनाओं में शामिल हो सकते हैं जिनमें केवल उनकी तरफ से ही योगदान किया जायेगा.
आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना पर होगा ईपीएफओ का मुख्य ध्यान
श्रम सचिव अपूर्व चंद्र ने पीटीआई- भाषा से बातचीत में कहा, "2021 में ईपीएफओ का मुख्य ध्यान आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) पर होगा जिसके तहत नई नियुक्तियों को प्रोत्साहन दिया जायेगा."
अपूर्व चंद्र ईपीएफओ के शीर्ष निकाय सेंट्रल बोर्ड आफ ट्रस्टी के उपाध्यक्ष भी हैं.
चंद्रा ने कहा, "सेवाओं की डिलीवरी के लिये अन्य प्रयास भी जारी रहेंगे. लेकिन मुख्य ध्यान एबीआरवाई के तहत रोजगार सृजन पर होगा."
इस माह की शुरुआत में केन्द्र सरकार ने एबीआरवाई को मंजूरी दी. इस योजना का मकसद आत्मनिर्भर भारत पैकेज 3.0 के तहत औपचारिक क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देना है. योजना के तहत 2020 से 2023 के बीच 22,810 करोड़ रुपये जारी किये जायेंगे.
चालू वित्त वर्ष के दौरान इसमें कुल 1,584 करोड़ रुपये जारी किये जायेंगे. एबीआरवाई योजना के तहत एक अक्टूबर 2020 से लेकर 30 जून 2021 की अवधि में काम पर रखे जाने वाले नये कर्मचारियों के लिये सरकार भविष्य निधि में उनके कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की तरफ से दिये जाने वाले 12 प्रतिशत योगदान का भुगतान करेगी.
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24 प्रतिशत की यह कुल राशि कर्मचारी भविष्य निधि कोष में दो साल तक सरकार जमा करायेगी. यह योजना उन प्रतिष्ठानों में लागू होगी जिनमें एक हजार तक लोग काम करते हैं.
ऐसे संस्थानों जहां 1,000 से अधिक कर्मचारी हैं उनके मामले में सरकार केवल कर्मचारी का ही 12 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी भविष्य निधि कोष में जमा करायेगी.
इस योजना को अमल में लाने के लिये ईपीएफओ एक सॉफ्टवेयर विकसित करेगा ताकि मिलने वाले लाभ में कहीं कोई गड़बड़ी नही हो. श्रम मंत्री संतोष गंवार ने इस माह की शुरुआत में कहा कि ईपीएाफओ के तहत 52 लाख कर्मचारियों को कोविड-19 राहत योजना के तहत 13,300 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई.
भविष्य निधि से दी गई यह राशि वापस नहीं करनी होगी. कोरोना वायरस महामारी फैलने और लॉकडाउन के दौरान कारखाने और फैक्टरियां बंद होने की वजह से लोगों को जीविका चलाने के लिये ईपीएफओ से धनरशि निकालने की अनुमति दी गई थी.
ईपीएसफओ ने वर्ष 2019- 20 के लिये भविष्य निधि कोष पर 8.5 प्रतिशत ब्याज देने का फैसला किया है. हालांकि, यह दर पिछले सात साल में सबसे कम है. चालू वित्त वर्ष के लिये कितना ब्याज दिया जायेगा इस पर भविष्य निधि संगठन का ट्रस्टी बोर्ड आने वाले दिनों में बैठक करेगा.