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कच्चे तेल में गिरावट से चालू खाता घाटे में हो सकती है 0.25 से 0.70 प्रतिशत तक कमी

चीन में जनवरी में कोरोना वायरस की संक्रामक बीमारी के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में 45 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है. यह महामारी अब 110 से अधिक देशों में फैल चुकी है.

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कच्चे तेल में गिरावट से चालू खाता घाटे में हो सकती है 0.25 से 0.70 प्रतिशत तक कमी
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Published : Mar 11, 2020, 7:26 PM IST

मुंबई: बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज ने कहा है कि भारत को कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने से वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान चालू खाता घाटे (कैड) में 0.25 प्रतिशत से 0.70 प्रतिशत तक कमी लाने में मदद मिलेगी. यह अनुमान इस मान्यता पर आधारित है कि अगले वित्त वर्ष में वैश्विक बाजार में तेल का भाव 36 डालर प्रति बैरल के आसपास रहेगा.

चीन में जनवरी में कोरोना वायरस की संक्रामक बीमारी के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में 45 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है. यह महामारी अब 110 से अधिक देशों में फैल चुकी है.

ओपेक देशों की बैठक में कच्चे तेल की कीमतों में कटौती पर रूस के सहमत नहीं होने के बाद सऊदी अरब ने तेल का उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया. मांग में पहले से ही नरमी का सामना कर रहे तेल बाजार में आपूर्ति बढ़ने की आशंकाओं से सोमवार को कच्चे तेल का बाजार 30 प्रतिशत टूट गया था.

ब्रोकरेज कंपनी ने बुधवार को एक टिप्पणी में कहा कि उसका अनुमान इस धारणा पर आधारित है कि कच्चे तेल की कीमत अगले वित्त वर्ष के दौरान 36 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी रहेंगी.

टिप्पणी में आगे कहा गया है कि सस्ते तेल से अगर सरकार ने इसका आधा फायदा भी उपभोक्ताओं को दे दिया तो खपत में जीडीपी के 0.4 प्रतिशत के बराबर बढ़ोतरी हो सकती है.

ये भी पढ़ें: विशेष अदालत ने 16 मार्च तक बढ़ायी राणा कपूर की हिरासत अवधि

ब्रोकरेज ने वर्ष 2021 के लिए भारत की वृद्धि दर 0.20 प्रतिशत घटकर 5.4 प्रतिशत रहने और वैश्विक वृद्धि दर 0.6 प्रतिशत घटकर 2.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है.

हालांकि, उसने चेतावनी दी है कि मंदी के चलते वैश्विक वृद्धि दर घटकर वित्त वर्ष 2021 में 1.4 प्रतिशत तक आ गई तो घरेलू दर घटकर 4.4 प्रतिशत हो सकती है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज ने कहा है कि भारत को कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने से वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान चालू खाता घाटे (कैड) में 0.25 प्रतिशत से 0.70 प्रतिशत तक कमी लाने में मदद मिलेगी. यह अनुमान इस मान्यता पर आधारित है कि अगले वित्त वर्ष में वैश्विक बाजार में तेल का भाव 36 डालर प्रति बैरल के आसपास रहेगा.

चीन में जनवरी में कोरोना वायरस की संक्रामक बीमारी के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में 45 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है. यह महामारी अब 110 से अधिक देशों में फैल चुकी है.

ओपेक देशों की बैठक में कच्चे तेल की कीमतों में कटौती पर रूस के सहमत नहीं होने के बाद सऊदी अरब ने तेल का उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया. मांग में पहले से ही नरमी का सामना कर रहे तेल बाजार में आपूर्ति बढ़ने की आशंकाओं से सोमवार को कच्चे तेल का बाजार 30 प्रतिशत टूट गया था.

ब्रोकरेज कंपनी ने बुधवार को एक टिप्पणी में कहा कि उसका अनुमान इस धारणा पर आधारित है कि कच्चे तेल की कीमत अगले वित्त वर्ष के दौरान 36 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी रहेंगी.

टिप्पणी में आगे कहा गया है कि सस्ते तेल से अगर सरकार ने इसका आधा फायदा भी उपभोक्ताओं को दे दिया तो खपत में जीडीपी के 0.4 प्रतिशत के बराबर बढ़ोतरी हो सकती है.

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ब्रोकरेज ने वर्ष 2021 के लिए भारत की वृद्धि दर 0.20 प्रतिशत घटकर 5.4 प्रतिशत रहने और वैश्विक वृद्धि दर 0.6 प्रतिशत घटकर 2.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है.

हालांकि, उसने चेतावनी दी है कि मंदी के चलते वैश्विक वृद्धि दर घटकर वित्त वर्ष 2021 में 1.4 प्रतिशत तक आ गई तो घरेलू दर घटकर 4.4 प्रतिशत हो सकती है.

(पीटीआई-भाषा)

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