नई दिल्ली: कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए हुए देशव्यापी लॉकडाउन का बड़ा नुकसान देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता दिख रहा है. जिसके बाद विभिन्न रेटिंग एजेंसियां भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को काफी कम कर रही हैं.
कोविड-19 का झटका ऐसे समय लगा है जबकि वित्तीय क्षेत्र पर दबाव की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में पहले से सुस्ती है. इस महामारी पर अंकुश के लिए सरकार ने देशव्यापी पाबंदी लागू की है. इससे लोगों की आवाजाही रुक गई है और वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है.
कई अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत का परिदृश्य अच्छा नहीं है. यदि भारत में लॉकडाउन अधिक समय तक जारी रहता है तो यहां आर्थिक परिणाम अनुमान से अधिक बुरे हो सकते हैं. इस चुनौती से निपटने के लिए भारत को सबसे पहले इस महामारी को और फैलने से रोकना होगा.
जानिए किसने कितना घटाया भारत का आर्थिक वृद्धि का अनुमान
- विश्वबैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 1.5-2.8 प्रतिशत रहेगी.
- एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 4 प्रतिशत किया है.
- एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भी वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया है.
- फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है.
- इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 5.5 से 3.6 प्रतिशत कर दिया है.
- मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज ने 2020 के कैलंडर वर्ष में भारत की वृद्धि दर 2.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है.
- घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने भी खपत तथा निवेश में कमी के कारण भारत की जीडीपी 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है.
- इन्वेस्टमेंट एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (इक्रा) के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में देश की जीडीपी वृद्धि की रफ्तार 2 फीसदी के आसपास रहेगी.
- अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में कोविड-19 की वजह से भारत की जीडीपी घटकर 1.6 फीसदी पर आ सकती है.