नई दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय स्टार्टअप कंपनियों के लिए जीएसटी दाखिल करने, कर रिटर्न भरने समेत विभिन्न नियमों के अनुपालन में लगने वाले समय को कम करने की तैयारी में है. मंत्रालय ने स्टार्ट अप के हर महीने अनुपालन में लगने वाले समय को घटाकर मात्र एक घंटा करने का प्रस्ताव किया है. एक अधिकारी ने यह बात कही.
नए उद्यमियों की नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने में लगने वाले समय को कम से कम करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है. इससे ये कंपनियां अपने मुख्य काम पर ज्यादा से ज्यादा समय दे सकेंगी और वृद्धि कर सकेंगी.
यह प्रस्ताव उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की ओर से तैयार किए गए 'स्टार्ट-अप इंडिया विजन-2024' नीति दस्तावेज का हिस्सा है. नवोदित उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए यह नीति बनाई गई है.
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अधिकारी ने कहा कि मौजूदा समय में, स्टार्टअप कंपनियों को हर महीने जीएसटी दाखिल करने, कर रिटर्न जमा करने और अन्य स्थानीय कानूनों जैसे ढेरों नियमों का अनुपालन करना होता है. इनके अनुपालन में उनका काफी समय और पैसे खर्च होते हैं.
अधिकारी ने कहा, "स्टार्टअप कंपनियों के लिए हर महीने इन चीजों के अनुपालन में लगने वाले समय को घटाकर एक घंटे करने की जरूरत है ताकि स्टार्टअप अपने काम पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दे सके."
विजन दस्तावेज में स्टार्टअप कंपनियों को कारोबार अनुपालन माहौल देने के लिए कुल 11 उपायों का सुझाव दिया गया है ताकि उनके नियामकीय बोझ को कम किया जा सके.
इन सुझावों में वित्तीय प्रौद्योगिकी स्टार्टअप कंपनियों की मदद के लिए नवोन्मेष केंद्र या प्रयोगों के खातिर नियामकीय दायरा स्थापित करना; नवोदित उद्यमियों के उद्यम में निवेश के लिए कर राहत; वैकल्पिक निवेश कोष प्रबंधन सेवाओं पर जीएसटी की दरों में कटौती समेत अन्य पहल शामिल हैं.
इस दस्तावेज का लक्ष्य 2024 तक देश में 50,000 नई स्टार्टअप कंपनियां स्थापित करने की सुविधा देना और 20 लाख प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित करना है.
तमिलनाडु की स्टार्टअप कंपनी माइक्रोजी एलएलपी की संस्थापक रचना दवे ने कहा, "अनुपालन में लगने वाले समय को घटाकर एक घंटे करने का प्रस्ताव स्वागत योग्य कदम है. यह स्टार्टअप कंपनियों को मुख्य गतिविधियों पर ध्यान देने के लिए अधिक समय देगा. इसके अलावा देश में स्टार्टअप कंपनियों के लिए सहयोग तंत्र को और मजबूत करेगा."