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जीएसटी में नियम 86बी को रोकने की मांग को लेकर कैट ने लिखा वित्त मंत्री को पत्र - वित्त मंत्रालय

जीएसटी के नियम 86बी के तहत प्रत्येक व्यापारी जिसका मासिक कारोबार 50 लाख रुपये से ज़्यादा है, को अनिवार्य रूप से अपनी एक प्रतिशत जीएसटी देनदारी को नकद जमा कराना होगा.

जीएसटी में नियम 86बी को रोकने की मांग को लेकर कैट ने लिखा वित्त मंत्री को पत्र
जीएसटी में नियम 86बी को रोकने की मांग को लेकर कैट ने लिखा वित्त मंत्री को पत्र
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Published : Dec 25, 2020, 6:44 PM IST

नई दिल्ली : व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में नियम 86बी को रोकने की मांग की है.

इस नियम के तहत प्रत्येक व्यापारी जिसका मासिक कारोबार 50 लाख रुपये से ज्यादा है, को अनिवार्य रूप से अपनी एक प्रतिशत जीएसटी देनदारी को नकद जमा कराना होगा.

इस प्रावधान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कैट ने शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भेजकर मांग की है कि इस नियम को तुरंत स्थगित किया जाए और व्यापारियों से सलाह कर ही इसे लागू किया जाए.

कैट ने यह भी मांग की है कि जीएसटी एवं आयकर में ऑडिट रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर, 2020 को भी तीन महीने के लिए आगे बढ़ाया जाए.

ये भी पढ़ें : पांच दिवसीय 'एंड ऑफ रिजन सेल' में मिंत्रा ने बेचे महिलाओं के 25 लाख वेस्टर्न वेयर परिधान

कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने सीतारमण को भेजे पत्र में यह भी कहा कि अब समय आ गया है जब एक बार सरकार को व्यापारियों के साथ बैठकर जीएसटी कर प्रणाली की संपूर्ण समीक्षा करनी चाहिए तथा कर प्रणाली को और सरलीकृत करना चाहिए.

कैट ने इस मुद्दे पर सीतारमण से मिलने का समय मांगा है.

नई दिल्ली : व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में नियम 86बी को रोकने की मांग की है.

इस नियम के तहत प्रत्येक व्यापारी जिसका मासिक कारोबार 50 लाख रुपये से ज्यादा है, को अनिवार्य रूप से अपनी एक प्रतिशत जीएसटी देनदारी को नकद जमा कराना होगा.

इस प्रावधान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कैट ने शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भेजकर मांग की है कि इस नियम को तुरंत स्थगित किया जाए और व्यापारियों से सलाह कर ही इसे लागू किया जाए.

कैट ने यह भी मांग की है कि जीएसटी एवं आयकर में ऑडिट रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर, 2020 को भी तीन महीने के लिए आगे बढ़ाया जाए.

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कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने सीतारमण को भेजे पत्र में यह भी कहा कि अब समय आ गया है जब एक बार सरकार को व्यापारियों के साथ बैठकर जीएसटी कर प्रणाली की संपूर्ण समीक्षा करनी चाहिए तथा कर प्रणाली को और सरलीकृत करना चाहिए.

कैट ने इस मुद्दे पर सीतारमण से मिलने का समय मांगा है.

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