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बजट 2021: वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करने की होगी चुनौती - वित्त मंत्रालय

बेंगलुरु स्थित बीएएसई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एनआर भानुमूर्ति का कहना है कि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करने के अलावा, बजट 2021-22 में देश भर में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.

बजट 2021: वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करने की होगी चुनौती
बजट 2021: वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करने की होगी चुनौती
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Published : Nov 26, 2020, 6:38 PM IST

बिजनेस डेस्क, ईटीवी भारत: केंद्रीय बजट 2021-22 को अब बस 2 महीने ही बचे हैं. अर्थशास्त्रियों के मुताबिक पिछले बजट की तुलना में इस बार सरकार को बहुत बड़ी चुनौतियों का सामना करना है.

बेंगलुरू स्थित बीएएसई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एनआर भानुमूर्ति ने कहा कि सरकार के लिए मुख्य कार्य वित्त आयोग की सिफारिशों को बजट में एकीकृत करना होगा.

इस महीने की शुरुआत में, 15वें वित्त आयोग ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी, जिसमें राज्यों को कर विचलन, स्थानीय सरकारी अनुदान, आपदा प्रबंधन अनुदान आदि जैसे व्यापक मुद्दों पर सिफारिशें दी गईं.

सरकार द्वारा संसद में पेश किए जाने के बाद ही रिपोर्ट सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध होगी.

भानुमूर्ति ने कहा, "हम अभी तक इन सिफारिशों के बारे में नहीं जानते हैं और न ही सेंटर्स और राज्यों के वित्त पर उनके निहितार्थ के बारे में. लेकिन, मुझे लगता है कि वित्त आयोग की सिफारिशें राजकोषीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक अलग ढांचे या रोडमैप पर प्रकाश डालती हैं."

उन्होंने कहा, "चूंकि वित्त आयोग राज्यों और अन्य स्थानीय निकायों को कर निर्धारण से संबंधित है, इसलिए बहुत सारे राज्य बजट केंद्र द्वारा रिपोर्ट और बाद में लागू होने पर भी निर्भर करेंगे."

5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना

कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू होने के बाद 25 मार्च से लगभग तीन महीने तक के लिए संपूर्ण भारत लॉकडाउन में था. अप्रैल-जून की अवधि में अर्थव्यवस्था जीडीपी के 23.9% तक सिकुड़ गई.

अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए, इस साल अब तक 29.87 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन उपायों की घोषणा की गई है.

हालांकि, भानुमूर्ति का मानना ​​है कि सकल घरेलू उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद) के प्रतिशत के संदर्भ में इन उपायों की वास्तविक राजकोषीय लागत अभी भी एकल अंकों में है, जो आगे की कार्रवाई के लिए गुंजाइश छोड़ती है.

ये भी पढ़ें: भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता दुनिया में चौथी सबसे बड़ी : पीएम मोदी

भानुमूर्ति ने कहा, "इस साल का बजट अगले पांच साल पर केंद्रित होगा और मेरी मानना है कि सरकार 2025-26 तक 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था वाले अपने लक्ष्य को दोहरा सकती है."

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि आने वाले बजट के लिए चुनौती पिछले बजट की तुलना में बहुत बड़ी है क्योंकि वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय स्थिति के साथ कोविड के प्रभावों से भी निपटना होगा."

स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे का निर्माण

कोविड-19 के अनुभव के मद्देनजर, भानुमूर्ति ने कहा कि देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को भी प्रमुख नीतिगत सुधारों की आवश्यकता होगी, जिनमें से कुछ को त्वरित कार्यान्वयन की आवश्यकता हो सकती है, वहीं कुछ अगले वित्तीय वर्ष में ही हो सकता है.

उन्होंने इस तथ्य पर भी जोर दिया कि चूंकि देश अब कोविड के बाद की आर्थिक सुधार को देख रहा है, इसलिए सरकार को पिछले वर्ष में हाउसिंग फॉर ऑल 2022 तक तय किए गए लक्ष्यों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करना होगा.

रोजगार की चुनौती

भानुमूर्ति का मानना ​​है कि रोजगार की स्थिति बहुत हद तक विनिर्माण क्षेत्र पर निर्भर करती है और सरकार ने पहले ही अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी को मौजूदा 15-16% से 25% तक बढ़ाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है.

भानुमूर्ति ने कहा, "सरकार ने नए श्रम कोड, खेत कानून आदि जैसे कई कदम उठाए हैं. इसके अलावा, विदेशी पूंजी के लिए एफडीआई सुधार भी कई क्षेत्रों को खोलेंगे."

उन्होंने निष्कर्ष निकाला, "इन सभी चीजों से विनिर्माण क्षेत्र को बड़े पैमाने पर मदद करनी चाहिए और रोजगार की संभावनाओं को अनलॉक करना चाहिए."

बिजनेस डेस्क, ईटीवी भारत: केंद्रीय बजट 2021-22 को अब बस 2 महीने ही बचे हैं. अर्थशास्त्रियों के मुताबिक पिछले बजट की तुलना में इस बार सरकार को बहुत बड़ी चुनौतियों का सामना करना है.

बेंगलुरू स्थित बीएएसई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एनआर भानुमूर्ति ने कहा कि सरकार के लिए मुख्य कार्य वित्त आयोग की सिफारिशों को बजट में एकीकृत करना होगा.

इस महीने की शुरुआत में, 15वें वित्त आयोग ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी, जिसमें राज्यों को कर विचलन, स्थानीय सरकारी अनुदान, आपदा प्रबंधन अनुदान आदि जैसे व्यापक मुद्दों पर सिफारिशें दी गईं.

सरकार द्वारा संसद में पेश किए जाने के बाद ही रिपोर्ट सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध होगी.

भानुमूर्ति ने कहा, "हम अभी तक इन सिफारिशों के बारे में नहीं जानते हैं और न ही सेंटर्स और राज्यों के वित्त पर उनके निहितार्थ के बारे में. लेकिन, मुझे लगता है कि वित्त आयोग की सिफारिशें राजकोषीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक अलग ढांचे या रोडमैप पर प्रकाश डालती हैं."

उन्होंने कहा, "चूंकि वित्त आयोग राज्यों और अन्य स्थानीय निकायों को कर निर्धारण से संबंधित है, इसलिए बहुत सारे राज्य बजट केंद्र द्वारा रिपोर्ट और बाद में लागू होने पर भी निर्भर करेंगे."

5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना

कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू होने के बाद 25 मार्च से लगभग तीन महीने तक के लिए संपूर्ण भारत लॉकडाउन में था. अप्रैल-जून की अवधि में अर्थव्यवस्था जीडीपी के 23.9% तक सिकुड़ गई.

अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए, इस साल अब तक 29.87 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन उपायों की घोषणा की गई है.

हालांकि, भानुमूर्ति का मानना ​​है कि सकल घरेलू उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद) के प्रतिशत के संदर्भ में इन उपायों की वास्तविक राजकोषीय लागत अभी भी एकल अंकों में है, जो आगे की कार्रवाई के लिए गुंजाइश छोड़ती है.

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भानुमूर्ति ने कहा, "इस साल का बजट अगले पांच साल पर केंद्रित होगा और मेरी मानना है कि सरकार 2025-26 तक 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था वाले अपने लक्ष्य को दोहरा सकती है."

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि आने वाले बजट के लिए चुनौती पिछले बजट की तुलना में बहुत बड़ी है क्योंकि वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय स्थिति के साथ कोविड के प्रभावों से भी निपटना होगा."

स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे का निर्माण

कोविड-19 के अनुभव के मद्देनजर, भानुमूर्ति ने कहा कि देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को भी प्रमुख नीतिगत सुधारों की आवश्यकता होगी, जिनमें से कुछ को त्वरित कार्यान्वयन की आवश्यकता हो सकती है, वहीं कुछ अगले वित्तीय वर्ष में ही हो सकता है.

उन्होंने इस तथ्य पर भी जोर दिया कि चूंकि देश अब कोविड के बाद की आर्थिक सुधार को देख रहा है, इसलिए सरकार को पिछले वर्ष में हाउसिंग फॉर ऑल 2022 तक तय किए गए लक्ष्यों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करना होगा.

रोजगार की चुनौती

भानुमूर्ति का मानना ​​है कि रोजगार की स्थिति बहुत हद तक विनिर्माण क्षेत्र पर निर्भर करती है और सरकार ने पहले ही अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी को मौजूदा 15-16% से 25% तक बढ़ाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है.

भानुमूर्ति ने कहा, "सरकार ने नए श्रम कोड, खेत कानून आदि जैसे कई कदम उठाए हैं. इसके अलावा, विदेशी पूंजी के लिए एफडीआई सुधार भी कई क्षेत्रों को खोलेंगे."

उन्होंने निष्कर्ष निकाला, "इन सभी चीजों से विनिर्माण क्षेत्र को बड़े पैमाने पर मदद करनी चाहिए और रोजगार की संभावनाओं को अनलॉक करना चाहिए."

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