नई दिल्ली: प्रौद्योगिकी दिग्गज सैमसंग ने देश के बधिर-दृष्टिहीन और दृष्टिबाधित (50 प्रतिशत से अधिक दृष्टिहीन) लोगों को संवाद में आसानी के लिए दो एप पेश की. कंपनी ने सोमवार को 'गुड वाइब्स' और 'रेलूमिनो' से परदा उठाया. गुड वाइब्स को देश में ही विकसित किया गया है.
यह एप वाइब्रेशन (तरंगों) को लिखित (टेक्सट) या मौखिक संदेश में बदलने या इसका विपरीत करने में मोर्स कोड का उपयोग करती है. मोर्स कोड में बधिर-दृष्टिहीन व्यक्ति डॉट (बिंदु) और डैश (हाइफन) के माध्यम से संदेश भेजते हैं. एप इसे लेखन या आवाज के रूप में पकड़ती है. ठीक इसी तरह लिखित या मौखिक संदेश को मोर्स कोड में वाइब्रेशन में बदला जाता है जिसके आधार पर बधिर-दृष्टिहीन व्यक्ति संदेश को समझ सकता है.
सैमसंग इंडिया के उपाध्यक्ष त्रिविक्रम ठकोरे ने यहां संवाददाताओं से कहा, "गुड वाइब्स को देशभर में बधिर-दृष्टिहीन लोगों तक पहुंचाने के लिए हमने 'सेंस इंडिया' के साथ साझेदारी की है. हमने दिल्ली और बेंगलुरू में इस एप का उपयोग सिखाने वालों, बधिर-दृष्टिहीनों और उनके सहायकों के साथ कार्यशालाएं आयोजित की हैं."
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उन्होंने कहा कि इस एप को सैमसंग गैलेक्सी स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. जल्द ही यह गूगल प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध होगी. देशभर में पांच लाख से अधिक बधिर-दृष्टिबाधित लोग होने का अनुमान है. ठकोरे ने कहा कि इस एप को विकसित करने में दो वर्ष से अधिक का समय लगा है.
इसका पहला स्वरूप दो बधिर-दृष्टिहीन लोगों को आपस में संवाद करने की इजाजत देता था लेकिन इसके नए स्वरूप में वह इससे अपने सहायकों/देखभालकर्ताओं से भी बातचीत कर सकते हैं, भले वह पास हों या ना हों. कंपनी अपने गैलेक्सी ए20 फोन में गुड वाइब्स को पहले से इंस्टाल करके दे रही है. कंपनी के कर्मचारियों ने वैश्विक सी-लैब कार्यक्रम के तहत दूसरी एप 'रेलुमिनो' को भी विकसित किया है.
यह उन लोगों को देखने में मदद करने के लिए जिनकी दृष्टि 50 प्रतिशत से अधिक जा चुकी है. यह एप किसी तस्वीर को स्पष्ट तौर पर दिखाने के लिए उसे बड़ा और छोटा करती है. वहीं उसके रेखाचित्र को उभार के दिखाती है. वहीं तस्वीर के रंगों को और चमक को भी समायोजित करती है. कंपनी ने दिल्ली के राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ (नैब) के साथ साझेदारी की है.
वह नैब को गियर वीआर (वर्चुअल रियल्टी हैडसेट) और गैलेक्सी नोट9 फोन उपलब्ध कराएगी. नैब इनका उपयोग कक्षाओं में दृष्टिबाधित छात्रों के साथ करेगी जहां वह इसकी मदद से बेहतर तरीके से देखक सकेंगे. इससे उनकी सीखने की काबिलियत बेहतर होगी.
कंपनी ने कहा विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2017 के आंकड़ों के अनुसार 21.7 करोड़ लोग दृष्टिबाधित और 1.4 करोड़ दृष्टिहीन हैं.