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एजीआर देनदारियों से नहीं जुड़ा है जियो-आरकॉम स्पेक्ट्रम साझेदारी सौदा: सूत्र

उच्चतम न्यायालय की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को यह जानना चाहा कि रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड (आरजेआईएल) को रिलायंस कम्युनिकेशंस के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के बकाए का भुगतान क्यों नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह 2016 के बाद से स्पेक्ट्रम का उपयोग कर रहा है.

एजीआर देनदारियों से नहीं जुड़ा है जियो-आरकॉम स्पेक्ट्रम साझेदारी सौदा: सूत्र
एजीआर देनदारियों से नहीं जुड़ा है जियो-आरकॉम स्पेक्ट्रम साझेदारी सौदा: सूत्र
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Published : Aug 16, 2020, 12:32 PM IST

नई दिल्ली: रिलायंस जियो का रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के साथ चार साल पुराना दूरसंचार स्पेक्ट्रम साझेदारी सौदा, आरकॉम की पिछली सांविधिक देनदारियों से नहीं जुड़ा है, जो 2016 से पहले की है, जब जियो परिचालन में भी नहीं थी. कंपनी के एक करीबी सूत्र ने यह जानकारी दी.

उच्चतम न्यायालय की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को यह जानना चाहा कि रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड (आरजेआईएल) को रिलायंस कम्युनिकेशंस के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के बकाए का भुगतान क्यों नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह 2016 के बाद से स्पेक्ट्रम का उपयोग कर रहा है.

ये भी पढ़ें- मांस, मछली, सब्जियां, दालें और निजी देखभाल की बढ़ी कीमतों ने बिगाड़ा घरेलू बजट

एक सूत्र ने मामले के न्यायालय में होने के कारण नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि आरजेआईएल ने अप्रैल 2016 में आरकॉम और उसकी इकाई रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड के स्पेक्ट्रम के एक हिस्से को साझा करने के लिए एक समझौता किया था. उन्होंने बताया कि साझा किया गया स्पेक्ट्रम 800 मेगाहर्ट्ज बैंड तक सीमित था और दूरसंचार विभाग (डॉट) के स्पेक्ट्रम साझेदारी दिशानिर्देशों के अनुरूप था.

आरकॉम के 1,800 मेगाहर्ट्ज बैंड के 2जी, 3जी और 4जी स्पेक्ट्रम को साझा नहीं किया गया. सूत्र ने बताया कि आरकॉम और आरटीएल का एजीआर बकाया इस स्पेक्ट्रम साझेदारी से किसी भी तरह जुड़ा नहीं है. उन्होंने साथ ही बताया कि साझा स्पेक्ट्रम से हुई आय पर आरकॉम/आरटीएल और आरजेआईएल दोनों ने एजीआर चुकाया है.

उन्होंने बताया कि 2016 से पहले आरकॉम/आरटीएल के 2जी/3 जी कारोबार से संबंधित एजीआर बकाया का इस स्पेक्ट्रम साझेदारी से मतलब नहीं है, क्योंकि उस समय आरजेआईएल परिचालन में नहीं था.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: रिलायंस जियो का रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के साथ चार साल पुराना दूरसंचार स्पेक्ट्रम साझेदारी सौदा, आरकॉम की पिछली सांविधिक देनदारियों से नहीं जुड़ा है, जो 2016 से पहले की है, जब जियो परिचालन में भी नहीं थी. कंपनी के एक करीबी सूत्र ने यह जानकारी दी.

उच्चतम न्यायालय की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को यह जानना चाहा कि रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड (आरजेआईएल) को रिलायंस कम्युनिकेशंस के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के बकाए का भुगतान क्यों नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह 2016 के बाद से स्पेक्ट्रम का उपयोग कर रहा है.

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एक सूत्र ने मामले के न्यायालय में होने के कारण नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि आरजेआईएल ने अप्रैल 2016 में आरकॉम और उसकी इकाई रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड के स्पेक्ट्रम के एक हिस्से को साझा करने के लिए एक समझौता किया था. उन्होंने बताया कि साझा किया गया स्पेक्ट्रम 800 मेगाहर्ट्ज बैंड तक सीमित था और दूरसंचार विभाग (डॉट) के स्पेक्ट्रम साझेदारी दिशानिर्देशों के अनुरूप था.

आरकॉम के 1,800 मेगाहर्ट्ज बैंड के 2जी, 3जी और 4जी स्पेक्ट्रम को साझा नहीं किया गया. सूत्र ने बताया कि आरकॉम और आरटीएल का एजीआर बकाया इस स्पेक्ट्रम साझेदारी से किसी भी तरह जुड़ा नहीं है. उन्होंने साथ ही बताया कि साझा स्पेक्ट्रम से हुई आय पर आरकॉम/आरटीएल और आरजेआईएल दोनों ने एजीआर चुकाया है.

उन्होंने बताया कि 2016 से पहले आरकॉम/आरटीएल के 2जी/3 जी कारोबार से संबंधित एजीआर बकाया का इस स्पेक्ट्रम साझेदारी से मतलब नहीं है, क्योंकि उस समय आरजेआईएल परिचालन में नहीं था.

(पीटीआई-भाषा)

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