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दूरसंचार विभाग को बैंकों ने बताया, वोडाफोन के कर्ज को इक्विटी में बदलना एक विकल्प - वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल)

शीर्ष न्यायालय ने 93,520 करोड़ रुपये के एजीआर बकाया राशि का भुगतान करने के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को 10 साल का वक्त दिया है. बैंक अधिकारियों ने डॉट के वरिष्ठ अधिकारियों को यह भी बताया कि वीआईएल के ऋण को इक्विटी में बदलना एक विकल्प है, लेकिन ये स्थायी समाधान नहीं है.

वोडाफोन के कर्ज
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Published : Aug 9, 2021, 2:25 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाले बैंकों के एक समूह ने दूरसंचार विभाग (डॉट) को बताया कि तनावग्रस्त दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) के कर्ज को इक्विटी में बदलना कंपनी को संकट से बाहर निकालने का एक विकल्प हो सकता है.

डॉट ने वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल सहित दूरसंचार कंपनियों द्वारा देय समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) से संबंधित बकाया पर उच्चतम न्यायालय के आदेश से पैदा हुई चुनौतियों पर चर्चा के लिए शुक्रवार को वरिष्ठ बैंक अधिकारियों को बुलाया था.

शीर्ष न्यायालय ने 93,520 करोड़ रुपये के एजीआर बकाया राशि का भुगतान करने के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को 10 साल का वक्त दिया है. बैंक अधिकारियों ने डॉट के वरिष्ठ अधिकारियों को यह भी बताया कि वीआईएल के ऋण को इक्विटी में बदलना एक विकल्प है, लेकिन ये स्थायी समाधान नहीं है.

पढ़ें : वोडाफोन मध्यस्थता मामला : भारत की अपील पर सिंगापुर की अदालत में सुनवाई

सूत्रों ने कहा कि चूंकि वीआईएल ने अब तक अपने ऋणों के भुगतान में चूक नहीं की है, इसलिए वे फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. बैंकों ने अतीत में कई तनावग्रस्त कंपनियों के ऋण को इक्विटी में बदला है. सूत्रों के मुताबिक बैंकरों ने कहा कि मौजूदा परिदृश्य में प्रवर्तकों द्वारा पूंजी निवेश सबसे अच्छा विकल्प है. वीआईएल में ब्रिटेन स्थित वोडाफोन की 45 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि आदित्य बिड़ला समूह की 27 फीसदी हिस्सेदारी है.

वीआईएल के असफल होने की स्थिति में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के ऋणदाताओं को 1.8 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाले बैंकों के एक समूह ने दूरसंचार विभाग (डॉट) को बताया कि तनावग्रस्त दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) के कर्ज को इक्विटी में बदलना कंपनी को संकट से बाहर निकालने का एक विकल्प हो सकता है.

डॉट ने वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल सहित दूरसंचार कंपनियों द्वारा देय समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) से संबंधित बकाया पर उच्चतम न्यायालय के आदेश से पैदा हुई चुनौतियों पर चर्चा के लिए शुक्रवार को वरिष्ठ बैंक अधिकारियों को बुलाया था.

शीर्ष न्यायालय ने 93,520 करोड़ रुपये के एजीआर बकाया राशि का भुगतान करने के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को 10 साल का वक्त दिया है. बैंक अधिकारियों ने डॉट के वरिष्ठ अधिकारियों को यह भी बताया कि वीआईएल के ऋण को इक्विटी में बदलना एक विकल्प है, लेकिन ये स्थायी समाधान नहीं है.

पढ़ें : वोडाफोन मध्यस्थता मामला : भारत की अपील पर सिंगापुर की अदालत में सुनवाई

सूत्रों ने कहा कि चूंकि वीआईएल ने अब तक अपने ऋणों के भुगतान में चूक नहीं की है, इसलिए वे फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. बैंकों ने अतीत में कई तनावग्रस्त कंपनियों के ऋण को इक्विटी में बदला है. सूत्रों के मुताबिक बैंकरों ने कहा कि मौजूदा परिदृश्य में प्रवर्तकों द्वारा पूंजी निवेश सबसे अच्छा विकल्प है. वीआईएल में ब्रिटेन स्थित वोडाफोन की 45 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि आदित्य बिड़ला समूह की 27 फीसदी हिस्सेदारी है.

वीआईएल के असफल होने की स्थिति में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के ऋणदाताओं को 1.8 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है.

(पीटीआई-भाषा)

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