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अगर वोडाफोन-आइडिया एजीआर देनदारियों में विफल रहा है तो एयरटेल को होगा फायदा - Airtel winner if Vodafone Idea fails on AGR liabilities

उच्चतम न्यायालय ने 24 अक्टूबर के आदेश में कहा है कि दूरंसचार कंपनियों को तीन महीने के भीतर सालाना समायोजित समग्र राजस्व पर सांविधिक बकाये का भुगतान करना होगा.

अगर वोडाफोन-आइडिया एजीआर देनदारियों में विफल रहा है तो एयरटेल को होगा फायदा
अगर वोडाफोन-आइडिया एजीआर देनदारियों में विफल रहा है तो एयरटेल को होगा फायदा
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Published : Dec 7, 2019, 4:25 PM IST

नई दिल्ली: दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल की बैलेंस शीट बाजार में उसकी पुरानी प्रतिस्पर्धी कंपनी वोडाफोन आइडिया की तुलना में बेहतर है.

यदि इन दोनों कंपनियों की समीक्षा याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में खारिज हो जाती हैं और उन्हें लाइसेंस शुल्क जैसे पुराने सांविधिक बकायों का पूरा भुगतान करना पड़ता है तो उस स्थिति में वोडाफोन आइडिया की कमजोरी का फायदा भारती एयरटेल को मिल सकता है.

ये भी पढ़ें- कच्चा तेल के दैनिक उत्पादन में पांच लाख बैरल की अतिरिक्त कटौती पर सहमत हुआ ओपेक

निवेश और बिचौलिया सेवा कंपनी मॉर्गन स्टानली की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है, "देनदारियां काफी अधिक हैं. एयरटेल पर 4.8 अरब डॉलर तथा वोडाफोन आइडिया पार पांच अरब डॉलर का बकाया है. यदि उच्चतम न्यायालय दोनों कंपनियों की समीक्षा याचिकाएं खारिज कर देता है तो उन्हें पूरा बकाया भुगतान करना होगा. यह एयरटेल के लिये भी नुकसादेह होगा लेकिन वोडाफोन आइडिया के लिये स्थिति अधिक गंभीर जाएगी क्योंकि 24 जनवरी 2020 से पहले इस भुगतान के लिये पैसे जुटाने में उन्हें मुश्किलें होंगी."

रिपोर्ट में कहा गया कि यह दूरसंचार उद्योग में बाजार हिस्सेदारी पर असर डाल सकता है और भारती एयरटेल की स्थिति मजबूत हो सकती है.

दोनों कंपनियों ने अलग-अलग याचिका दायर कर उच्चतम न्यायालय से 24 अक्टूबर के आदेश की समीक्षा की अपील की है. उच्चतम न्यायालय ने 24 अक्टूबर के आदेश में कहा है कि दूरंसचार कंपनियों को तीन महीने के भीतर सालाना समायोजित समग्र राजस्व पर सांविधिक बकाये का भुगतान करना होगा. दूरसंचार कंपनियों को इसके तहत 1.47 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करना है.

नई दिल्ली: दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल की बैलेंस शीट बाजार में उसकी पुरानी प्रतिस्पर्धी कंपनी वोडाफोन आइडिया की तुलना में बेहतर है.

यदि इन दोनों कंपनियों की समीक्षा याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में खारिज हो जाती हैं और उन्हें लाइसेंस शुल्क जैसे पुराने सांविधिक बकायों का पूरा भुगतान करना पड़ता है तो उस स्थिति में वोडाफोन आइडिया की कमजोरी का फायदा भारती एयरटेल को मिल सकता है.

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निवेश और बिचौलिया सेवा कंपनी मॉर्गन स्टानली की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है, "देनदारियां काफी अधिक हैं. एयरटेल पर 4.8 अरब डॉलर तथा वोडाफोन आइडिया पार पांच अरब डॉलर का बकाया है. यदि उच्चतम न्यायालय दोनों कंपनियों की समीक्षा याचिकाएं खारिज कर देता है तो उन्हें पूरा बकाया भुगतान करना होगा. यह एयरटेल के लिये भी नुकसादेह होगा लेकिन वोडाफोन आइडिया के लिये स्थिति अधिक गंभीर जाएगी क्योंकि 24 जनवरी 2020 से पहले इस भुगतान के लिये पैसे जुटाने में उन्हें मुश्किलें होंगी."

रिपोर्ट में कहा गया कि यह दूरसंचार उद्योग में बाजार हिस्सेदारी पर असर डाल सकता है और भारती एयरटेल की स्थिति मजबूत हो सकती है.

दोनों कंपनियों ने अलग-अलग याचिका दायर कर उच्चतम न्यायालय से 24 अक्टूबर के आदेश की समीक्षा की अपील की है. उच्चतम न्यायालय ने 24 अक्टूबर के आदेश में कहा है कि दूरंसचार कंपनियों को तीन महीने के भीतर सालाना समायोजित समग्र राजस्व पर सांविधिक बकाये का भुगतान करना होगा. दूरसंचार कंपनियों को इसके तहत 1.47 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करना है.

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अगर वोडाफोन आइडिया एजीआर देनदारियों में विफल रहा है तो एयरटेल को होगा फायदा

नई दिल्ली: दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल की बैलेंस शीट बाजार में उसकी पुरानी प्रतिस्पर्धी कंपनी वोडाफोन आइडिया की तुलना में बेहतर है. यदि इन दोनों कंपनियों की समीक्षा याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में खारिज हो जाती हैं और उन्हें लाइसेंस शुल्क जैसे पुराने सांविधिक बकायों का पूरा भुगतान करना पड़ता है तो उस स्थिति में वोडाफोन आइडिया की कमजोरी का फायदा भारती एयरटेल को मिल सकता है.

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रिपोर्ट में कहा गया कि यह दूरसंचार उद्योग में बाजार हिस्सेदारी पर असर डाल सकता है और भारती एयरटेल की स्थिति मजबूत हो सकती है.

दोनों कंपनियों ने अलग-अलग याचिका दायर कर उच्चतम न्यायालय से 24 अक्टूबर के आदेश की समीक्षा की अपील की है. उच्चतम न्यायालय ने 24 अक्टूबर के आदेश में कहा है कि दूरंसचार कंपनियों को तीन महीने के भीतर सालाना समायोजित समग्र राजस्व पर सांविधिक बकाये का भुगतान करना होगा. दूरसंचार कंपनियों को इसके तहत 1.47 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करना है.


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