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दिवालिया के बढ़ते मामलों को संभालने के लिए एसबीआई करेगी भर्तियां

एसबीआई ने कहा कि बैंक 100 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों को संभालने के लिए अपनी टीम में वकीलों/कानूनी फर्मो को जोड़ने की तैयारी कर रहा है.

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Published : Apr 29, 2019, 9:31 PM IST

Updated : Apr 29, 2019, 9:44 PM IST

नई दिल्ली : गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (फंसे हुए कर्जो या एनपीए) को नियंत्रित करने के प्रयासों के तहत भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) दिवाला और दिवालियापन (आईबीसी) के तहत 100 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों को संभालने के लिए तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की अपनी टीम को मजबूत करने के लिए और अधिक दिवालिया और कानूनी फर्मो को नियुक्त करेगी.

एसबीआई ने कहा, "बैंक 100 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों को संभालने के लिए अपनी टीम में वकीलों/कानूनी फर्मो को जोड़ने की तैयारी कर रहा है."

एसबीआई फिलहाल आवेदनों की जांच कर रहा है. बैंक की देश भर में 20 तनावग्रस्त परिसंपत्तियां प्रबंधन शाखाएं हैं, जो कि केंद्रीय तनावग्रस्त परिसंपत्तियां समाधान वर्टिकल को रिपोर्ट करती हैं.

बैंकिंग सूत्रों ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने अप्रैल में दिए गए आदेश में कहा था कि 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के एनपीए के मामलों में बैंकों (एसबीआई समेत) को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) जाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का निर्देश लेने की जरूरत नहीं है. इसके बाद से सभी बैंक लंबे समय से लंबित सभी मामलों को समयबद्ध तरीके से हल करने की कोशिश कर रहे हैं.

हालांकि आईबीसी के तहत मामला सुलझाने में वक्त लगता है, लेकिन बैंकों के पास अन्य विकल्पों की तुलना में यह बेहतर विकल्प है.

ये भी पढ़ें : पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश पर पाबंदी से एयर इंडिया को 300 करोड़ रुपये का नुकसान

नई दिल्ली : गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (फंसे हुए कर्जो या एनपीए) को नियंत्रित करने के प्रयासों के तहत भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) दिवाला और दिवालियापन (आईबीसी) के तहत 100 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों को संभालने के लिए तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की अपनी टीम को मजबूत करने के लिए और अधिक दिवालिया और कानूनी फर्मो को नियुक्त करेगी.

एसबीआई ने कहा, "बैंक 100 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों को संभालने के लिए अपनी टीम में वकीलों/कानूनी फर्मो को जोड़ने की तैयारी कर रहा है."

एसबीआई फिलहाल आवेदनों की जांच कर रहा है. बैंक की देश भर में 20 तनावग्रस्त परिसंपत्तियां प्रबंधन शाखाएं हैं, जो कि केंद्रीय तनावग्रस्त परिसंपत्तियां समाधान वर्टिकल को रिपोर्ट करती हैं.

बैंकिंग सूत्रों ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने अप्रैल में दिए गए आदेश में कहा था कि 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के एनपीए के मामलों में बैंकों (एसबीआई समेत) को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) जाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का निर्देश लेने की जरूरत नहीं है. इसके बाद से सभी बैंक लंबे समय से लंबित सभी मामलों को समयबद्ध तरीके से हल करने की कोशिश कर रहे हैं.

हालांकि आईबीसी के तहत मामला सुलझाने में वक्त लगता है, लेकिन बैंकों के पास अन्य विकल्पों की तुलना में यह बेहतर विकल्प है.

ये भी पढ़ें : पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश पर पाबंदी से एयर इंडिया को 300 करोड़ रुपये का नुकसान

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नई दिल्ली : गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (फंसे हुए कर्जो या एनपीए) को नियंत्रित करने के प्रयासों के तहत भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) दिवाला और दिवालियापन (आईबीसी) के तहत 100 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों को संभालने के लिए तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की अपनी टीम को मजबूत करने के लिए और अधिक दिवालिया और कानूनी फर्मो को नियुक्त करेगी.

एसबीआई ने कहा, "बैंक 100 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों को संभालने के लिए अपनी टीम में वकीलों/कानूनी फर्मो को जोड़ने की तैयारी कर रहा है."

एसबीआई फिलहाल आवेदनों की जांच कर रहा है. बैंक की देश भर में 20 तनावग्रस्त परिसंपत्तियां प्रबंधन शाखाएं हैं, जो कि केंद्रीय तनावग्रस्त परिसंपत्तियां समाधान वर्टिकल को रिपोर्ट करती हैं.



बैंकिंग सूत्रों ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने अप्रैल में दिए गए आदेश में कहा था कि 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के एनपीए के मामलों में बैंकों (एसबीआई समेत) को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) जाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का निर्देश लेने की जरूरत नहीं है. इसके बाद से सभी बैंक लंबे समय से लंबित सभी मामलों को समयबद्ध तरीके से हल करने की कोशिश कर रहे हैं.



हालांकि आईबीसी के तहत मामला सुलझाने में वक्त लगता है, लेकिन बैंकों के पास अन्य विकल्पों की तुलना में यह बेहतर विकल्प है.


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Last Updated : Apr 29, 2019, 9:44 PM IST
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