मुंबई : वैश्विक स्तर पर जिंसों की बढ़ती कीमतों और मुद्रास्फीति को घरेलू स्तर पर नियंत्रित करने की जरूरत के बीच भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन द्विमासिक बैठक बुधवार को शुरू हुई.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास शुक्रवार को छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति के फैसले की घोषणा करेंगे.
विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक लगातार आठवीं बार नीतिगत दरों पर यथास्थिति बनाए रखेगा. इस समय रेपो दर चार प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत है.
पीडब्ल्यूसी इंडिया में लीडर (सार्वजनिक वित्त एवं अर्थव्यवस्था) रानेन बनर्जी ने कहा कि 2022 की पहली छमाही तक मुद्रास्फीति कम न होने पर संभावित कार्रवाइयों से जुड़े अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन के बयान से एमपीसी के रुख पर असर पड़ेगा क्योंकि समिति मुद्रास्फीति के मोर्चे पर भी चिंतित होगी. चूंकि तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले की कीमतों में कोई कमी नहीं दिख रही है और इसके बजाय यह ऊपर की ओर ही जा रहा है.
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ब्रिकवर्क रेटिंग्स के मुख्य आर्थिक सलाहकार एम गोविंदा राव ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जुलाई के 5.59 प्रतिशत से घटकर अगस्त में 5.3 प्रतिशत हो गयी. महामारी के कारण प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के साथ आपूर्ति की स्थिति में सुधार हुआ है और क्षमता के इस्तेमाल में इस समय सुधार हो रहा है. ऐसे में एमपीसी पर ब्याज दरों में बदलाव या समायोजन के रुख को बदलने का कोई तत्काल दबाव नहीं है.
(पीटीआई-भाषा)