कोलाकाता : देश की पहली राजधानी एक्सप्रेस, जिसने 1960 के दशक में गति और विलासिता के माध्यम से भारतीय रेलवे में क्रांति ला दी थी, रविवार को 50 साल की हो गई. राजधानी फूलों से सजकर अपनी स्वर्ण जयंती यात्रा पर हावड़ा स्टेशन से रवाना हुई.
पूर्वी रेलवे (ईआर) के एक अधिकारी ने बताया कि राजधानी एक्सप्रेस 3 मार्च, 1969 को कोलकाता से नई दिल्ली की अपनी पहली यात्रा पर हावड़ा से निकला था, जिसके साथ ही यह देश की पहली पूरी तरह से वातानुकूलित, हाई-स्पीड ट्रेन बन गई, जिसने 1,450 किमी की यात्रा 17 घंटे और 20 मंनट में तय की.
लाल और पीले रंग के मैरीगोल्ड से सजी राजधानी एक्सप्रेस को तीन पूर्व कर्मचारी द्वारा एक औपचारिक केक काटने और एक ग्रीटिंग स्टाम्प जारी करने के बाद युगांतकारी यात्रा पर रवाना किया गया.
ईआर के वरिष्ठ अधिकारी, इसके महाप्रबंधक हरिन्द्र राव सहित, प्लेटफार्म नंबर 9 पर मौजूद थे, जो शुरू से ही राजधानी एक्सप्रेस का बर्थिंग प्लेस रहा है.
आईआरसीटीसी (पूर्व) के महाप्रबंधक देबाशीष चंद्रा ने कहा कि ट्रेन के स्वर्ण जयंती के यात्रियों को इसके कुछ पुराने व्यंजनों जैसे फिश फ्राई, वेजिटेबल कटलेट और आइसक्रीम के अलावा 'रसगुल्ला' भी दिया गया. राजधानी देश की पहली ट्रेन थी जिसके किराए में भोजन परोसा जाता था.
ईआर अधिकारी ने बताया कि यात्रियों को राजधानी के 50 साल होने की बधाई के साथ लिनन और डिस्पोजेबल नैपकिन वितरित किए गए.
ट्रेन में वर्तमान में 20 एलएचबी कोच हैं, जिनमें दो एसी फर्स्ट क्लास, पांच एसी 2-टियर, 10 एसी 3-टियर के साथ एक पेंट्री कार और 2 पावर कार-कम-सामान वैन शामिल हैं।
(पीटीआई से इनपुट)
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