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निजीकरण की नीति के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने किया राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन - बिजली कर्मचारी

ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने यहां एक बयान में बताया कि राष्ट्रीय समन्वय समिति नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एन्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर देश के सभी प्रांतों के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने केन्द्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में जोरदार राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया.

निजीकरण की नीति के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने किया राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन
निजीकरण की नीति के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने किया राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन
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Published : Nov 26, 2020, 6:40 PM IST

लखनऊ: बिजली वितरण के निजीकरण की तैयारियों के विरोध में बृहस्पतिवार को बिजली अभियंताओं तथा अन्य कर्मचारियों ने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन किया.

ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने यहां एक बयान में बताया कि राष्ट्रीय समन्वय समिति नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एन्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर देश के सभी प्रांतों के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने केन्द्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में जोरदार राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया.

उन्होंने आरोप लगाया कि कोविड -19 महामारी के बीच केन्द्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें बिजली वितरण का निजीकरण करने पर आमादा हैं जिसके विरोध में देश भर के बिजली कर्मियों ने आज प्रदर्शन कर आक्रोश व्यक्त किया.

दुबे ने बताया कि बिजलीकर्मियों ने विरोध सभाएं एवं प्रदर्शन कर निजीकरण के उद्देश्य से लाये गए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट को निरस्त करने की मॉंग की और चेतावनी दी कि अगर निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह वापस न की गई तो राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जाएगी.

निजीकरण से आम उपभोक्ताओं को नुकसान

उन्होंने बताया कि बिजली कर्मियों ने उपभोक्ताओं खासकर किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से निजीकरण विरोधी आन्दोलन में सहयोग करने की अपील की और कहा कि निजीकरण के बाद सबसे अधिक नुकसान आम उपभोक्ताओं का ही होने जा रहा है.

दुबे ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के अनुसार लागत से कम मूल्य पर किसी को भी बिजली नहीं दी जाएगी और सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी.

10 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगी बिजली

इस वक्त बिजली की लागत लगभग 7.90 रुपये प्रति यूनिट है और कंपनी एक्ट के अनुसार निजी कंपनियों को कम से कम 16 % मुनाफा लेने का अधिकार होगा, जिसका मतलब यह हुआ कि 10 रुपये प्रति यूनिट से कम दाम पर किसी भी उपभोक्ता को बिजली नहीं मिलेगी.

उन्होंने बताया कि कर्मचारियों की अन्य प्रमुख मांग है कि बिजली कंपनियों का एकीकरण कर केरल के केएसईबी लिमिटेड की तरह सभी प्रांतों में एसईबी लिमिटेड का पुनर्गठन किया जाये जिसमें उत्पादन, पारेषण और वितरण एक साथ हों, निजीकरण और फ्रेंचाइजी की सभी प्रक्रिया निरस्त की जाये और चल रहे निजीकरण व फ्रेंचाइजी को रद्द किया जाये, सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए तथा तेलंगाना सरकार की तरह बिजली सेक्टर में कार्यरत सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाये.

(पीटीआई-भाषा)

ये भी पढ़ें: भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता दुनिया में चौथी सबसे बड़ी : पीएम मोदी

लखनऊ: बिजली वितरण के निजीकरण की तैयारियों के विरोध में बृहस्पतिवार को बिजली अभियंताओं तथा अन्य कर्मचारियों ने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन किया.

ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने यहां एक बयान में बताया कि राष्ट्रीय समन्वय समिति नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एन्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर देश के सभी प्रांतों के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने केन्द्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में जोरदार राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया.

उन्होंने आरोप लगाया कि कोविड -19 महामारी के बीच केन्द्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें बिजली वितरण का निजीकरण करने पर आमादा हैं जिसके विरोध में देश भर के बिजली कर्मियों ने आज प्रदर्शन कर आक्रोश व्यक्त किया.

दुबे ने बताया कि बिजलीकर्मियों ने विरोध सभाएं एवं प्रदर्शन कर निजीकरण के उद्देश्य से लाये गए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट को निरस्त करने की मॉंग की और चेतावनी दी कि अगर निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह वापस न की गई तो राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जाएगी.

निजीकरण से आम उपभोक्ताओं को नुकसान

उन्होंने बताया कि बिजली कर्मियों ने उपभोक्ताओं खासकर किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से निजीकरण विरोधी आन्दोलन में सहयोग करने की अपील की और कहा कि निजीकरण के बाद सबसे अधिक नुकसान आम उपभोक्ताओं का ही होने जा रहा है.

दुबे ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के अनुसार लागत से कम मूल्य पर किसी को भी बिजली नहीं दी जाएगी और सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी.

10 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगी बिजली

इस वक्त बिजली की लागत लगभग 7.90 रुपये प्रति यूनिट है और कंपनी एक्ट के अनुसार निजी कंपनियों को कम से कम 16 % मुनाफा लेने का अधिकार होगा, जिसका मतलब यह हुआ कि 10 रुपये प्रति यूनिट से कम दाम पर किसी भी उपभोक्ता को बिजली नहीं मिलेगी.

उन्होंने बताया कि कर्मचारियों की अन्य प्रमुख मांग है कि बिजली कंपनियों का एकीकरण कर केरल के केएसईबी लिमिटेड की तरह सभी प्रांतों में एसईबी लिमिटेड का पुनर्गठन किया जाये जिसमें उत्पादन, पारेषण और वितरण एक साथ हों, निजीकरण और फ्रेंचाइजी की सभी प्रक्रिया निरस्त की जाये और चल रहे निजीकरण व फ्रेंचाइजी को रद्द किया जाये, सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए तथा तेलंगाना सरकार की तरह बिजली सेक्टर में कार्यरत सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाये.

(पीटीआई-भाषा)

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