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सिद्धार्थ ने कालाधन रखना स्वीकार किया था: आयकर विभाग

आयकर विभाग ने कहा कि उद्योगपति ने अपने और अपने प्रतिष्ठानों पर छापों के बाद कुछ आय छिपाकर रखना स्वीकार किया था. सिद्धार्थ कर्नाटक में बेंगलुरू से मंगलुरू जाते समय रास्ते में लापता हो गए हैं. असत्यापित पत्र में सिद्धार्थ ने कहा है कि आयकर विभाग के पूर्व डीजी की ओर से काफी प्रताड़ित किया गया.

सिद्धार्थ ने कालाधन रखना स्वीकार किया था: आयकर विभाग
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Published : Jul 31, 2019, 12:01 AM IST

नई दिल्ली: आयकर विभाग ने कैफे कॉफी डे (सीसीडी) प्रवर्तक वी जी सिद्धार्थ के खिलाफ अपनी जांच के दौरान प्रताड़ित करने के आरोपों से मंगलवार को इनकार किया. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि उनके पास सिद्धार्थ के जो हस्ताक्षर उपलब्ध हैं वह उस पत्र पर हस्ताक्षर से अलग हैं जिसे सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि उद्योगपति ने अपने और अपने प्रतिष्ठानों पर छापों के बाद कुछ आय छिपाकर रखना स्वीकार किया था. सिद्धार्थ कर्नाटक में बेंगलुरू से मंगलुरू जाते समय रास्ते में लापता हो गए हैं. असत्यापित पत्र में सिद्धार्थ ने कहा है कि आयकर विभाग के पूर्व डीजी की ओर से काफी प्रताड़ित किया गया.

यह "हमारे माइंडट्री सौदे को रोकने के लिए दो अलग-अलग मौकों पर हमारे शेयर जब्त करने और बाद में हमारे कॉफी डे शेयर का अधिकार लेने के तौर पर आया जबकि हमने संशोधित रिटर्न दाखिल कर दिया था." उन्होंने कहा, "यह बहुत अनुचित था और इससे हमें नकदी का गंभीर संकट झेलना पड़ा."

ये भी पढ़ें: भारत का 'कॉफी किंग' लापता, खोज जारी

आरोपों को खारिज करते हुए सूत्रों ने कहा कि विभाग की ओर से शेयरों की अस्थायी जब्ती की कार्रवाई कर अपवंचना के मामलों में "राजस्व हितों" के संरक्षण के लिए की गई थी और वह तलाशी या उन छापों के दौरान जुटाये गए विश्वसनीय साक्ष्यों पर आधारित थी जो कि बेंगलुरू स्थित समूह के खिलाफ 2017 में की गई थी.

सूत्रों ने पीटीआई से कहा, "विभाग ने आयकर कानून के प्रावधानों के अनुरूप कार्य किया." सूत्र ने आधिकारिक रिकार्ड के हवाले से कहा कि सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे पत्र की सत्यता को प्रमाणित नहीं किया जा सकता क्योंकि सिद्धार्थ का हस्ताक्षर "उससे मेल नहीं खाता" जो कंपनी के वार्षिक रिपोर्ट के रूप में विभाग के पास उपलब्ध है.

उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ को माइंडट्री शेयर की बिक्री से 3200 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे लेकिन सौदे पर देय कुल 300 करोड़ रुपये के न्यूनतम वैकल्पिक कर में से मात्र 46 करोड़ रुपये का भुगतान किया. समूह के खिलाफ छापे कर्नाटक के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई के परिणामस्वरूप मारे गए थे और सूत्रों ने कहा कि सिद्धार्थ ने एक हलफनामे में अपने हाथ में और कॉफी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड की क्रमश: 362.11 करोड़ रुपये और 118.02 करोड़ रुपये की बिना हिसाब की आय होना "स्वीकार" किया था.

सूत्रों ने आरोप लगाया कि आयकर अधिकारियों ने उनके मोबाइल फोन से कई मैसेज प्राप्त किये थे जो "सीमापार हवाला लेन-देन में उनकी सक्रिय संलिप्तता" का संकेत देते हैं. उन्होंने दावा किया कि इस मामले में सिंगापुर के एक नागरिक की तलाशी ली गई थी और उसके पास से 1.2 करोड़ रुपये की बिना हिसाब की नकदी मिली थी और व्यक्ति ने आयकर अधिकारियों को बताया था कि वह सिद्धार्थ की है.

ये भी पढ़ें: फोटोज में देखिए कैफे कॉफी डे के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ की दुनिया

उन्होंने आरोप लगाया कि सीसीडी प्रमोटर ने अपना आईटी रिटर्न दाखिल किया लेकिन व्यक्तिगत मामले में तकरीबन 35 करोड़ की राशि को छोड़कर दोनों ही मामले में अघोषित आय का उल्लेख "नहीं किया", जबकि हलफनामे में उन्होंने इस बारे में स्वीकार किया था.

सूत्र ने कहा, "सिद्धार्थ ने अपनी इस स्वीकार राशि पर भी 14.5 करोड़ रुपये के स्व-मूल्यांकन कर का भुगतान नहीं किया. कॉफी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड ने अपनी तरफ से स्वीकृत आय की पेशकश नहीं की."

उन्होंने कहा कि विभाग को इस वर्ष जनवरी में मीडिया की खबरों से पता चला कि सिद्धार्थ माइंडट्री लिमिटेड के इक्विटी शेयर तत्काल आधार पर बेचने की योजना बना रहे हैं जो कि उनके और उनकी कंपनी के पास थे. आयकर अधिकारियों को पता चला कि सिद्धार्थ और कॉफी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड दोनों के पास माइंडट्री लिमिटेड के करीब 21 प्रतिशत शेयर थे. यह भी पता चला कि शेयर की बिक्री के लिए सौदे को एक महीने के भीतर पूरा किया जाना था.

उन्होंने कहा कि चूंकि इस मामले में करोड़ों रुपये के कर का मामला बनता था और करदाता ने इन शेयरों को बेचने के लिए आयकर प्राधिकारियों से अनुमति नहीं ली थी, उन्हें नियमों के तहत जब्त कर लिया गया. उन्होंने कहा कि माइंडट्री लिमिटेड के 74,90,000 शेयर जब्त किये गए और कर अपवंचना के बड़े मामलों में राजस्व हितों के संरक्षण के लिए ऐसी कार्रवाई सामान्य होती है.

उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ ने तब इन शेयरों को मुक्त करने के लिए एक अनुरोधपत्र दिया था और अपेक्षित मांग के खिलाफ सिक्युरिटी के तौर पर कॉफी डे इंटरप्राइजेज के शेयरों की पेशकश की थी. उन्होंने कहा कि विभाग ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया था और इस वर्ष 13 फरवरी को माइंडट्री के शेयर की जब्ती समाप्त कर दी गई.

हालांकि, विभाग द्वारा एक विशिष्ट शर्त रखी गई थी कि बिक्री से प्राप्त राशि का उपयोग केवल एस्क्रौ खाता खोलकर माइंडट्री लिमिटेड शेयरों के खिलाफ प्राप्त ऋणों के पुनर्भुगतान के लिए किया जाएगा और शेष राशि विभाग को कर देयता के बदले जब्ती के लिए प्रदान की जाएगी.

उन्होंने कहा, "13-14 फरवरी को 46,01,869 ऐसे शेयरों जो बंधक नहीं थे और कॉफी डे इंटरप्राइजेज के बंधक 2,04,43,055 शेयरों का वैकल्पिक जब्ती की गई."

उन्होंने कहा कि करदाता (सिद्धार्थ) ने 28 अप्रैल को माइंडट्री लिमिटेड के शेयरों को एलएंडटी इंफोटेक लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया और लगभग 3,200 करोड़ रुपये प्राप्त किए.

उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ और उनकी कंपनी ने लगभग 3,000 करोड़ रुपये का ऋण चुकाया और 154 करोड़ रुपये के हस्तांतरण से संबंधित खर्चों का भुगतान किया और बाकी बचे 46 करोड़ रुपये का भुगतान कॉफी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयरों के मामले में करीब 300 करोड़ रुपये की न्यूनतम वैकल्पिक कर देनदारी की अग्रिम कर की पहली किस्त के तौर पर किया गया.

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता एस एम कृष्णा के दामाद सिद्धार्थ को आखिरी बार सोमवार रात दक्षिण कन्नड़ जिले के कोटेपुरा क्षेत्र में नेत्रावती नदी पर एक पुल पर देखा गया था. अधिकारियों ने उनकी तलाश के लिए एक व्यापक अभियान शुरू कर दिया है.

नई दिल्ली: आयकर विभाग ने कैफे कॉफी डे (सीसीडी) प्रवर्तक वी जी सिद्धार्थ के खिलाफ अपनी जांच के दौरान प्रताड़ित करने के आरोपों से मंगलवार को इनकार किया. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि उनके पास सिद्धार्थ के जो हस्ताक्षर उपलब्ध हैं वह उस पत्र पर हस्ताक्षर से अलग हैं जिसे सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि उद्योगपति ने अपने और अपने प्रतिष्ठानों पर छापों के बाद कुछ आय छिपाकर रखना स्वीकार किया था. सिद्धार्थ कर्नाटक में बेंगलुरू से मंगलुरू जाते समय रास्ते में लापता हो गए हैं. असत्यापित पत्र में सिद्धार्थ ने कहा है कि आयकर विभाग के पूर्व डीजी की ओर से काफी प्रताड़ित किया गया.

यह "हमारे माइंडट्री सौदे को रोकने के लिए दो अलग-अलग मौकों पर हमारे शेयर जब्त करने और बाद में हमारे कॉफी डे शेयर का अधिकार लेने के तौर पर आया जबकि हमने संशोधित रिटर्न दाखिल कर दिया था." उन्होंने कहा, "यह बहुत अनुचित था और इससे हमें नकदी का गंभीर संकट झेलना पड़ा."

ये भी पढ़ें: भारत का 'कॉफी किंग' लापता, खोज जारी

आरोपों को खारिज करते हुए सूत्रों ने कहा कि विभाग की ओर से शेयरों की अस्थायी जब्ती की कार्रवाई कर अपवंचना के मामलों में "राजस्व हितों" के संरक्षण के लिए की गई थी और वह तलाशी या उन छापों के दौरान जुटाये गए विश्वसनीय साक्ष्यों पर आधारित थी जो कि बेंगलुरू स्थित समूह के खिलाफ 2017 में की गई थी.

सूत्रों ने पीटीआई से कहा, "विभाग ने आयकर कानून के प्रावधानों के अनुरूप कार्य किया." सूत्र ने आधिकारिक रिकार्ड के हवाले से कहा कि सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे पत्र की सत्यता को प्रमाणित नहीं किया जा सकता क्योंकि सिद्धार्थ का हस्ताक्षर "उससे मेल नहीं खाता" जो कंपनी के वार्षिक रिपोर्ट के रूप में विभाग के पास उपलब्ध है.

उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ को माइंडट्री शेयर की बिक्री से 3200 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे लेकिन सौदे पर देय कुल 300 करोड़ रुपये के न्यूनतम वैकल्पिक कर में से मात्र 46 करोड़ रुपये का भुगतान किया. समूह के खिलाफ छापे कर्नाटक के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई के परिणामस्वरूप मारे गए थे और सूत्रों ने कहा कि सिद्धार्थ ने एक हलफनामे में अपने हाथ में और कॉफी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड की क्रमश: 362.11 करोड़ रुपये और 118.02 करोड़ रुपये की बिना हिसाब की आय होना "स्वीकार" किया था.

सूत्रों ने आरोप लगाया कि आयकर अधिकारियों ने उनके मोबाइल फोन से कई मैसेज प्राप्त किये थे जो "सीमापार हवाला लेन-देन में उनकी सक्रिय संलिप्तता" का संकेत देते हैं. उन्होंने दावा किया कि इस मामले में सिंगापुर के एक नागरिक की तलाशी ली गई थी और उसके पास से 1.2 करोड़ रुपये की बिना हिसाब की नकदी मिली थी और व्यक्ति ने आयकर अधिकारियों को बताया था कि वह सिद्धार्थ की है.

ये भी पढ़ें: फोटोज में देखिए कैफे कॉफी डे के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ की दुनिया

उन्होंने आरोप लगाया कि सीसीडी प्रमोटर ने अपना आईटी रिटर्न दाखिल किया लेकिन व्यक्तिगत मामले में तकरीबन 35 करोड़ की राशि को छोड़कर दोनों ही मामले में अघोषित आय का उल्लेख "नहीं किया", जबकि हलफनामे में उन्होंने इस बारे में स्वीकार किया था.

सूत्र ने कहा, "सिद्धार्थ ने अपनी इस स्वीकार राशि पर भी 14.5 करोड़ रुपये के स्व-मूल्यांकन कर का भुगतान नहीं किया. कॉफी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड ने अपनी तरफ से स्वीकृत आय की पेशकश नहीं की."

उन्होंने कहा कि विभाग को इस वर्ष जनवरी में मीडिया की खबरों से पता चला कि सिद्धार्थ माइंडट्री लिमिटेड के इक्विटी शेयर तत्काल आधार पर बेचने की योजना बना रहे हैं जो कि उनके और उनकी कंपनी के पास थे. आयकर अधिकारियों को पता चला कि सिद्धार्थ और कॉफी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड दोनों के पास माइंडट्री लिमिटेड के करीब 21 प्रतिशत शेयर थे. यह भी पता चला कि शेयर की बिक्री के लिए सौदे को एक महीने के भीतर पूरा किया जाना था.

उन्होंने कहा कि चूंकि इस मामले में करोड़ों रुपये के कर का मामला बनता था और करदाता ने इन शेयरों को बेचने के लिए आयकर प्राधिकारियों से अनुमति नहीं ली थी, उन्हें नियमों के तहत जब्त कर लिया गया. उन्होंने कहा कि माइंडट्री लिमिटेड के 74,90,000 शेयर जब्त किये गए और कर अपवंचना के बड़े मामलों में राजस्व हितों के संरक्षण के लिए ऐसी कार्रवाई सामान्य होती है.

उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ ने तब इन शेयरों को मुक्त करने के लिए एक अनुरोधपत्र दिया था और अपेक्षित मांग के खिलाफ सिक्युरिटी के तौर पर कॉफी डे इंटरप्राइजेज के शेयरों की पेशकश की थी. उन्होंने कहा कि विभाग ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया था और इस वर्ष 13 फरवरी को माइंडट्री के शेयर की जब्ती समाप्त कर दी गई.

हालांकि, विभाग द्वारा एक विशिष्ट शर्त रखी गई थी कि बिक्री से प्राप्त राशि का उपयोग केवल एस्क्रौ खाता खोलकर माइंडट्री लिमिटेड शेयरों के खिलाफ प्राप्त ऋणों के पुनर्भुगतान के लिए किया जाएगा और शेष राशि विभाग को कर देयता के बदले जब्ती के लिए प्रदान की जाएगी.

उन्होंने कहा, "13-14 फरवरी को 46,01,869 ऐसे शेयरों जो बंधक नहीं थे और कॉफी डे इंटरप्राइजेज के बंधक 2,04,43,055 शेयरों का वैकल्पिक जब्ती की गई."

उन्होंने कहा कि करदाता (सिद्धार्थ) ने 28 अप्रैल को माइंडट्री लिमिटेड के शेयरों को एलएंडटी इंफोटेक लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया और लगभग 3,200 करोड़ रुपये प्राप्त किए.

उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ और उनकी कंपनी ने लगभग 3,000 करोड़ रुपये का ऋण चुकाया और 154 करोड़ रुपये के हस्तांतरण से संबंधित खर्चों का भुगतान किया और बाकी बचे 46 करोड़ रुपये का भुगतान कॉफी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयरों के मामले में करीब 300 करोड़ रुपये की न्यूनतम वैकल्पिक कर देनदारी की अग्रिम कर की पहली किस्त के तौर पर किया गया.

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता एस एम कृष्णा के दामाद सिद्धार्थ को आखिरी बार सोमवार रात दक्षिण कन्नड़ जिले के कोटेपुरा क्षेत्र में नेत्रावती नदी पर एक पुल पर देखा गया था. अधिकारियों ने उनकी तलाश के लिए एक व्यापक अभियान शुरू कर दिया है.

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नई दिल्ली: आयकर विभाग ने कैफे कॉफी डे (सीसीडी) प्रवर्तक वी जी सिद्धार्थ के खिलाफ अपनी जांच के दौरान प्रताड़ित करने के आरोपों से मंगलवार को इनकार किया. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि उनके पास सिद्धार्थ के जो हस्ताक्षर उपलब्ध हैं वह उस पत्र पर हस्ताक्षर से अलग हैं जिसे सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि उद्योगपति ने अपने और अपने प्रतिष्ठानों पर छापों के बाद कुछ आय छिपाकर रखना स्वीकार किया था. सिद्धार्थ कर्नाटक में बेंगलुरू से मंगलुरू जाते समय रास्ते में लापता हो गए हैं. असत्यापित पत्र में सिद्धार्थ ने कहा है कि आयकर विभाग के पूर्व डीजी की ओर से काफी प्रताड़ित किया गया.

यह "हमारे माइंडट्री सौदे को रोकने के लिए दो अलग-अलग मौकों पर हमारे शेयर जब्त करने और बाद में हमारे कॉफी डे शेयर का अधिकार लेने के तौर पर आया जबकि हमने संशोधित रिटर्न दाखिल कर दिया था." उन्होंने कहा, "यह बहुत अनुचित था और इससे हमें नकदी का गंभीर संकट झेलना पड़ा."

आरोपों को खारिज करते हुए सूत्रों ने कहा कि विभाग की ओर से शेयरों की अस्थायी जब्ती की कार्रवाई कर अपवंचना के मामलों में "राजस्व हितों" के संरक्षण के लिए की गई थी और वह तलाशी या उन छापों के दौरान जुटाये गए विश्वसनीय साक्ष्यों पर आधारित थी जो कि बेंगलुरू स्थित समूह के खिलाफ 2017 में की गई थी.

सूत्रों ने पीटीआई से कहा, "विभाग ने आयकर कानून के प्रावधानों के अनुरूप कार्य किया." सूत्र ने आधिकारिक रिकार्ड के हवाले से कहा कि सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे पत्र की सत्यता को प्रमाणित नहीं किया जा सकता क्योंकि सिद्धार्थ का हस्ताक्षर "उससे मेल नहीं खाता" जो कंपनी के वार्षिक रिपोर्ट के रूप में विभाग के पास उपलब्ध है.

उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ को माइंडट्री शेयर की बिक्री से 3200 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे लेकिन सौदे पर देय कुल 300 करोड़ रुपये के न्यूनतम वैकल्पिक कर में से मात्र 46 करोड़ रुपये का भुगतान किया. समूह के खिलाफ छापे कर्नाटक के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई के परिणामस्वरूप मारे गए थे और सूत्रों ने कहा कि सिद्धार्थ ने एक हलफनामे में अपने हाथ में और कॉफी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड की क्रमश: 362.11 करोड़ रुपये और 118.02 करोड़ रुपये की बिना हिसाब की आय होना "स्वीकार" किया था.

सूत्रों ने आरोप लगाया कि आयकर अधिकारियों ने उनके मोबाइल फोन से कई मैसेज प्राप्त किये थे जो "सीमापार हवाला लेन-देन में उनकी सक्रिय संलिप्तता" का संकेत देते हैं. उन्होंने दावा किया कि इस मामले में सिंगापुर के एक नागरिक की तलाशी ली गई थी और उसके पास से 1.2 करोड़ रुपये की बिना हिसाब की नकदी मिली थी और व्यक्ति ने आयकर अधिकारियों को बताया था कि वह सिद्धार्थ की है.

उन्होंने आरोप लगाया कि सीसीडी प्रमोटर ने अपना आईटी रिटर्न दाखिल किया लेकिन व्यक्तिगत मामले में तकरीबन 35 करोड़ की राशि को छोड़कर दोनों ही मामले में अघोषित आय का उल्लेख "नहीं किया", जबकि हलफनामे में उन्होंने इस बारे में स्वीकार किया था.

सूत्र ने कहा, "सिद्धार्थ ने अपनी इस स्वीकार राशि पर भी 14.5 करोड़ रुपये के स्व-मूल्यांकन कर का भुगतान नहीं किया. कॉफी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड ने अपनी तरफ से स्वीकृत आय की पेशकश नहीं की."

उन्होंने कहा कि विभाग को इस वर्ष जनवरी में मीडिया की खबरों से पता चला कि सिद्धार्थ माइंडट्री लिमिटेड के इक्विटी शेयर तत्काल आधार पर बेचने की योजना बना रहे हैं जो कि उनके और उनकी कंपनी के पास थे. आयकर अधिकारियों को पता चला कि सिद्धार्थ और कॉफी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड दोनों के पास माइंडट्री लिमिटेड के करीब 21 प्रतिशत शेयर थे. यह भी पता चला कि शेयर की बिक्री के लिए सौदे को एक महीने के भीतर पूरा किया जाना था.

उन्होंने कहा कि चूंकि इस मामले में करोड़ों रुपये के कर का मामला बनता था और करदाता ने इन शेयरों को बेचने के लिए आयकर प्राधिकारियों से अनुमति नहीं ली थी, उन्हें नियमों के तहत जब्त कर लिया गया. उन्होंने कहा कि माइंडट्री लिमिटेड के 74,90,000 शेयर जब्त किये गए और कर अपवंचना के बड़े मामलों में राजस्व हितों के संरक्षण के लिए ऐसी कार्रवाई सामान्य होती है.

उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ ने तब इन शेयरों को मुक्त करने के लिए एक अनुरोधपत्र दिया था और अपेक्षित मांग के खिलाफ सिक्युरिटी के तौर पर कॉफी डे इंटरप्राइजेज के शेयरों की पेशकश की थी. उन्होंने कहा कि विभाग ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया था और इस वर्ष 13 फरवरी को माइंडट्री के शेयर की जब्ती समाप्त कर दी गई.

हालांकि, विभाग द्वारा एक विशिष्ट शर्त रखी गई थी कि बिक्री से प्राप्त राशि का उपयोग केवल एस्क्रौ खाता खोलकर माइंडट्री लिमिटेड शेयरों के खिलाफ प्राप्त ऋणों के पुनर्भुगतान के लिए किया जाएगा और शेष राशि विभाग को कर देयता के बदले जब्ती के लिए प्रदान की जाएगी.

उन्होंने कहा, "13-14 फरवरी को 46,01,869 ऐसे शेयरों जो बंधक नहीं थे और कॉफी डे इंटरप्राइजेज के बंधक 2,04,43,055 शेयरों का वैकल्पिक जब्ती की गई."

उन्होंने कहा कि करदाता (सिद्धार्थ) ने 28 अप्रैल को माइंडट्री लिमिटेड के शेयरों को एलएंडटी इंफोटेक लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया और लगभग 3,200 करोड़ रुपये प्राप्त किए.

उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ और उनकी कंपनी ने लगभग 3,000 करोड़ रुपये का ऋण चुकाया और 154 करोड़ रुपये के हस्तांतरण से संबंधित खर्चों का भुगतान किया और बाकी बचे 46 करोड़ रुपये का भुगतान कॉफी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयरों के मामले में करीब 300 करोड़ रुपये की न्यूनतम वैकल्पिक कर देनदारी की अग्रिम कर की पहली किस्त के तौर पर किया गया.

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता एस एम कृष्णा के दामाद सिद्धार्थ को आखिरी बार सोमवार रात दक्षिण कन्नड़ जिले के कोटेपुरा क्षेत्र में नेत्रावती नदी पर एक पुल पर देखा गया था. अधिकारियों ने उनकी तलाश के लिए एक व्यापक अभियान शुरू कर दिया है.

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