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जीडीपी को रामायण और महाभारत नहीं मान लेना चाहिए: भाजपा सांसद

दुबे ने एक आर्थिक विशेषज्ञ के कथन का हवाला देते हुए कहा कि केवल जीडीपी को बाइबल, रामायण या महाभारत मान लेना सही नहीं है और भविष्य में इसका ज्यादा उपयोग नहीं होगा.

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जीडीपी 1934 में आया, यह बाइबिल, रामायण महाभारत नहीं: भाजपा सांसद
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Published : Dec 2, 2019, 7:46 PM IST

Updated : Dec 2, 2019, 9:51 PM IST

नई दिल्ली: भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि जीडीपी को बाइबल, रामायण और महाभारत मान लेना उचित नहीं है. उन्होंने कार्पोरेट कर में कटौती से जुड़े संशोधन वाले 'कराधान विधि (संशोधन) विधेयक 2019' पर चर्चा के दौरान यह टिप्पणी की.

निशिकांत दुबे, भाजपा सांसद

निशिकांत दुबे ने कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को उद्धृत करते हुए कहा कि यह दौर सतत आर्थिक विकास का है और इस पैमाने पर मोदी सरकार पूरी सफलता से काम कर रही है.

दुबे ने एक आर्थिक विशेषज्ञ के कथन का हवाला देते हुए कहा कि केवल जीडीपी को बाइबल, रामायण या महाभारत मान लेना सही नहीं है और भविष्य में इसका ज्यादा उपयोग नहीं होगा.

उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी दर 5 प्रतिशत से गिरकर 4.5 प्रतिशत रह गयी है.

उन्होंने कहा कि इस सरकार में आम लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो रहा है. उज्ज्वला और स्वच्छ भारत मिशन तथा 2024 तक हर घर जल पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित करना ऐसे काम हैं जो इसे प्रमाणित करते हैं. भाजपा सांसद दुबे ने कहा कि सरकार का मुख्य लक्ष्य एमएसएमई क्षेत्र को आगे ले जाने का है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने समय में इतने आर्थिक करार किये जिन्हें लेकर सरकार के पास अब कोई विकल्प नहीं है.

ये भी पढ़ें: बजाज की टिप्पणियों पर वित्त मंत्रा का जवाब, अपनी खुद की सोच के प्रचार से राष्ट्र का नुकसान हो सकता है

नई दिल्ली: भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि जीडीपी को बाइबल, रामायण और महाभारत मान लेना उचित नहीं है. उन्होंने कार्पोरेट कर में कटौती से जुड़े संशोधन वाले 'कराधान विधि (संशोधन) विधेयक 2019' पर चर्चा के दौरान यह टिप्पणी की.

निशिकांत दुबे, भाजपा सांसद

निशिकांत दुबे ने कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को उद्धृत करते हुए कहा कि यह दौर सतत आर्थिक विकास का है और इस पैमाने पर मोदी सरकार पूरी सफलता से काम कर रही है.

दुबे ने एक आर्थिक विशेषज्ञ के कथन का हवाला देते हुए कहा कि केवल जीडीपी को बाइबल, रामायण या महाभारत मान लेना सही नहीं है और भविष्य में इसका ज्यादा उपयोग नहीं होगा.

उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी दर 5 प्रतिशत से गिरकर 4.5 प्रतिशत रह गयी है.

उन्होंने कहा कि इस सरकार में आम लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो रहा है. उज्ज्वला और स्वच्छ भारत मिशन तथा 2024 तक हर घर जल पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित करना ऐसे काम हैं जो इसे प्रमाणित करते हैं. भाजपा सांसद दुबे ने कहा कि सरकार का मुख्य लक्ष्य एमएसएमई क्षेत्र को आगे ले जाने का है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने समय में इतने आर्थिक करार किये जिन्हें लेकर सरकार के पास अब कोई विकल्प नहीं है.

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नई दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था का आकलन करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के उपयोग की निंदा करते हुए, भाजपा सांसद, निशिकांत दुबे ने लोकसभा में कहा कि 1934 में जीडीपी तस्वीर में आई थी और इससे पहले ऐसा कुछ भी नहीं था.

लोकसभा में सांसद ने कहा, "जीडीपी 1934 में आया इस्से पेहले कोई जीडीपी नहीं थी ...... केवल जीडीपी को बाइबिल, रामायण या महाभारत मान लीना सत्य नहीं है .."

उन्होंने आगे कहा कि भविष्य में भी सकल घरेलू उत्पाद का कोई उपयोग नहीं होगा. जीडीपी एक प्रमुख मैक्रो संकेतक है जो देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के संचयी मूल्य को दर्शाता है.

भाजपा नेता की यह टिप्पणी जुलाई-सितंबर में आई जीडीपी विकास दर में आई गिरावट के बाद आया है. दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर गिरकर 4.5 फीसदी रह गई है.

सरकार आर्थिक नीतियों, विशेष रूप से विमुद्रीकरण और माल और सेवा कर (जीएसटी) की प्रभावकारिता निशाने पर है.

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Last Updated : Dec 2, 2019, 9:51 PM IST
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