नई दिल्ली: उद्योगपति गौतम अडाणी ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड-19 महामारी ने कठिनाइयों के साथ साथ कम कार्बन वाले भविष्य की ओर तेजी से बढ़ने के नए अवसर भी दिखाये हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में सौर बिजली उत्पादन के मोड्यूल सस्ते होंगे. लिंक्डइन पर उन्होंने लिखा है कि कोविड-19 चुनौतियों को देखते हुए ऊर्जा क्षेत्र में हरित क्रांति की आवश्यकता महत्वपूर्ण हो गयी है.
अडाणी ने कहा, "तात्कालिक आर्थिक प्रभाव हमें धीमा कर सकता है, पर हमारे पास अवसर है. हम थोड़ा रूके, पुनर्विवार करें और कम कार्बन वाले भविष्य की ओर तेजी से बढ़ने के लिये योजना तैयार करे."
अडाणी ने जनवरी में कहा था कि उनके समूह का लक्ष्य 2025 तक दुनिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा कंपनी और 2030 तक सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी बनना है. समूह की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 2500 मेगावाट से अधिक है. वर्ष 2020 में इसके दोगुना हो जाने और 2025 तक 18,000 मेगावाट पहुंच जाने का अनुमान है. कंपनी की 2900 मेगावट की क्षमता निर्माणधीन है.
देश के सबसे बड़े बुनियादी ढांच समूह के प्रमुख ने बृहस्पतिवार को कहा कि यूरोप में कई ग्रिड आपरेटर मांग में कमी का सामना कर रहे हैं और वे कुल ऊर्जा में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 70 प्रतिशत तक रख कर ग्रिड का प्रबंधन करना सीख रहे हैं. यह अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि कुछ महीने पहले इस प्रकार की परिस्थितियां नहीं थी.
अडाणी ने कहा, "मांग बढ़ने के साथ उत्पादन संतुलन पूर्व की तरह हो सकता है, पर इस संकट ने नवीकरणीय ऊर्जा का अधिकाधिक उपयोग कर ग्रिड को स्थिर रखने के तरीके के निरीक्षण का एक मौका दिया है. कोविड-19 के बाद हो सकता है कि यह नया चलन हो."
उन्होंने कहा कि पिछले 40 साल में सौर मोड्यूल की कीमत 99 प्रतिशत कम हुई है.
अडाणी ने कहा, "इसको देखते हुए मुझे लगता है कि अगले 40 साल में मोड्यूल का दाम और 40 प्रतिशत घटेगा. इससे बिजली की सीमंत लागत घटकर संभवत: शून्य पर आ जाएगी. इस प्रकार की कटौती का मतलब है कि दो व्यापार मॉडल बने रहेंगे. एक जीवाश्म ईंधन पर आधारित होगा और दूसरा नवीकरणीय ऊर्जा पर. निकट भविष्य में दोनों एक-दूसरे के पूरक होंगे लेकिन दीर्घकाल में चीजें नवीकरणीय ऊर्जा के पक्ष में होंगी."
ये भी पढ़ें: एसबीआई ने सावधि जमाओं पर ब्याज दरों में कटौती की
उन्होंने कहा कि जो यह कहावत थी कि नवीकरणीय ऊर्जा पर्यावरण के लिये अच्छा है लेकिन कारोबार के लिहाज से बुरा, वह बीते दिनों की बात होगी. अडाणी ने कहा कि न केवल सौर ऊजा बल्कि प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर नई-नई खोज और बड़े पैमाने पर उपयोग के साथ पवन ऊर्जा की लागत भी उल्लेखनीय रूप से कम होगी. उन्होंने हरित हाइड्रोन की बात की और इसे पासा पलटने वाला बताया.
अडाणी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए) के अनुसार स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में 2050 तक रोजगार चौगुना हो सकता है जो अभी 1.2 करोड़ है.
रिपोर्ट के अनुसार इस बदलाव में सौर, पवन, बैटरी भंडारण, हरित हाइड्रोजन, कार्बन प्रबंधन और ऊर्जा दक्षता में 2050 तक 19,000 अरब डॉलर के निवेश के अवसर हैं.
अडाणी ने कहा, "भारत नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में बेहतर स्थिति में है. हम सौर ऊर्जा के लिये देश में लगभग पूरे साल सूर्य की किरणों का लाभ उठा सकते हैं, लंबा तटवर्ती क्षेत्र पवन ऊर्जा के लिये आकर्षक है."
(पीटीआई-भाषा)