नई दिल्ली : भारत के शीर्ष राजस्व अधिकारी अजय भूषण पांडेय ने ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में कहा कि अगले वित्त वर्ष के लिए केंद्र ने टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य सही रखा है क्योंकि राजस्व विभाग ने कर और गैर-कर राजस्व दोनों के संग्रह में वृद्धि का वास्तविक आकलन किया है.
वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने कहा कि हमने अपने राजस्व का वास्तविक अनुमान लगाया है. हमने इस बात का गहन विश्लेषण किया है कि हम कितना राजस्व इकट्ठा करने जा रहे हैं.
बजट पेश होने के बाद पांडेय ने कहा कि मेरा अनुमान है कि हमारा कर संग्रह लगभग वही होगा जो, पिछले साल था. पांडेय ने आगे कहा कि राजस्व के लक्ष्य की गणना अगले वित्त वर्ष में अनुमानित जीडीपी वृद्धि के आधार पर की जाती है, जिसका 14.5 फीसदी बढ़ने का अनुमान लगाया गया है.
कर संग्रह में वृद्धि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के अनुरूप होगी. कर अधिकारियों द्वारा की गई गणना का हवाला देते हुए अजय भूषण पांडेय ने कहा कि कर संग्रह दर में वृद्धि मामूली जीडीपी विकास दर की तुलना में 1.17 गुना होगी, जो 14.5 फीसदी आंकी गई है. उन्होंने आगे कहा कि कर संग्रह की वृद्धि चालू वर्ष के कर संग्रह की तुलना में 16.7 फीसदी होनी चाहिए.
वित्त सचिव ने कहा कि केंद्र अन्य स्रोतों से राजस्व जुटाने में सक्षम होगा, जिसमें विनिवेश की आय 1.75 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है. इस वर्ष राजस्व संग्रह में लगभग 17 फीसदी की अनुमानित वृद्धि गिरावट के साथ हुई है, जो कि संशोधित अनुमान के अनुसार बजट के अनुमान से 24.23 लाख करोड़ रुपये से घटकर मात्र 19 लाख करोड़ रुपये रह गई. जो 21 फीसदी या 5.23 लाख रुपये से अधिक की गिरावट है.
कोविड के दौरान कर संग्रह का लक्ष्य
केंद्र सरकार के राजस्व के तीन सबसे बड़े स्रोतों निगम कर, आयकर और जीएसटी में गिरावट दर्ज की गई. जसमें निगम कर संग्रह 6.81 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से घटकर केवल 4.46 लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है, आयकर संग्रह 6.38 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से घटकर केवल 4.59 लाख करोड़ रुपये रहेगा. इसी तरह, जीएसटी संग्रह 6.9 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से घटकर 5.15 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.
अगले वित्त वर्ष के लिए अपने बजट अनुमानों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अनुमान लगाया कि निगम कर संग्रह बढ़कर 5.47 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा, आयकर में सुधार होकर 5.61 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा और जीएसटी बढ़कर 6.3 लाख करोड़ रुपये हो जाएंगी, सकल राजस्व संग्रह 22.17 लाख करोड़ रुपये होगा.