नई दिल्ली : वाणिज्य मंत्रालय ने मलेशिया, थाइलैंड और वियतनाम से आयातित तांबे की ट्यूब और पाइप पर पांच साल के लिए प्रतिपूर्ति शुल्क लगाने की सिफारिश की है. इस कदम का उद्देश्य इन देशों से सब्सिडी वाले आयात से घरेलू उद्योगों की रक्षा करना है. मंत्रालय की अन्वेषण इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने जांच के बाद अपने निष्कर्षों में कहा कि यह जांच स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई थी और इसमें दिलचस्पी रखने वाले सभी हितधारकों को इस बारे में सूचित किया गया था.
डीजीटीआर ने कहा कि घरेलू उद्योग, इन देशों के दूतावास, आयातक और निर्यातकों समेत सभी हितधारकों को सब्सिडी, क्षति और कारणात्मक संबंध के बारे में सकारात्मक सूचना मुहैया कराने का पर्याप्त अवसर दिया गया.
ये भी पढ़ें - तेल और गैस के उत्पादन को दोगुना बढ़ाएगा भारत: पेट्रोलियम मंत्री
महानिदेशालय ने अधिसूचना में कहा, 'सब्सिडी प्रदान करने, क्षति और कारणात्मक संबंध के बारे में जांच करने के बाद प्राधिकरण का यह मानना है कि प्रतिपूर्ति शुल्क लगाना आवश्यक है.' यह शुल्क पांच वर्ष तक लगाने की अनुशंसा की गई है. डीजीटीआर ने कहा कि भारत में खपत की तुलना में आयात बहुत अधिक बढ़ गया है. प्रस्तावित शुल्क लागत, बीमा और माल ढुलाई (सीआईएफ) मूल्य के 2.3 प्रतिशत से 14.76 प्रतिशत के बीच है. शुल्क लगाने के बारे में अंतिम फैसला वित्त मंत्रालय लेगा.
(पीटीआई-भाषा)