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चीन को इस राखी सीजन में 4 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा: कैट - चीन

व्यापार निकाय ने कहा है कि रक्षाबंधन त्योहार के दौरान करीब 6,000 करोड़ रुपये के राखी उत्पाद बेचे जाते हैं, जिसमें से अकेले चीन का योगदान 4,000 करोड़ रुपये का होता था.

चीन को इस राखी सीजन में 4 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा: कैट
चीन को इस राखी सीजन में 4 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा: कैट
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Published : Jul 22, 2020, 7:57 PM IST

नई दिल्ली: कारोबारियों के संगठन, कंफेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स(कैट) को अनुमान है कि इस राखी सीजन में चीन को 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है, क्योंकि लोग आगामी तीन अगस्त के रक्षा बंधन के लिए स्थानीय राखी को पसंद कर रहे हैं.

कैट ने यह अनुमान भारत में चीनी उत्पादों के बहिष्कार के अभियान की वजह से लगाया है.

व्यापार निकाय ने कहा है कि रक्षाबंधन त्योहार के दौरान करीब 6,000 करोड़ रुपये के राखी उत्पाद बेचे जाते हैं, जिसमें से अकेले चीन का योगदान 4,000 करोड़ रुपये का होता था.

कैट ने एक बयान में कहा, "बीते कुछ वर्षो में, चीन में बनी राखी और राखियों में लगने वाले उत्पाद जैसे फोम, मोतियां, ड्राप्स, धागे और सजावट वाली थालियों ने भारतीय बाजार में अपनी गहरी पैठ बना ली है."

संस्था ने कहा, "गलवान घाटी में चीन और भारत के बीच संघर्ष के कारण खरीदारों और विक्रेताओं के बीच चीन-विरोधी भावनाओं ने अब स्थानीय राखी उत्पादों की मांग को बढ़ा दिया है."

ये भी पढ़ें: कोविड-19 की अनिश्चितता दूर होने के बाद हो सकती है नये वित्तीय उपायों की घोषणा: सीईए

खरीदार अब स्थानीय उत्पादों के प्रति रुचि दिखाने लगे हैं. इतना ही नहीं वे अब चीन से मंगाए उत्पादों से बनी राखी के स्थान पर भारत में बनी राखी के लिए ऊंची कीमत भी चुकाने के लिए तैयार हैं.

कैट ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक, भारत में 50 करोड़ राखी हर साल बिक जाती है, जिसकी कीमत करीब 6,000 करोड़ रुपये है. इसमें से 4000 करोड़ रुपये के माल को चीन अकेले ही निर्यात करता है.

बयान के अनुसार, "इस वर्ष, चीन को निश्चित ही 4,000 करोड़ रुपये घाटे का झटका लगेगा."

(आईएएनएस)

नई दिल्ली: कारोबारियों के संगठन, कंफेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स(कैट) को अनुमान है कि इस राखी सीजन में चीन को 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है, क्योंकि लोग आगामी तीन अगस्त के रक्षा बंधन के लिए स्थानीय राखी को पसंद कर रहे हैं.

कैट ने यह अनुमान भारत में चीनी उत्पादों के बहिष्कार के अभियान की वजह से लगाया है.

व्यापार निकाय ने कहा है कि रक्षाबंधन त्योहार के दौरान करीब 6,000 करोड़ रुपये के राखी उत्पाद बेचे जाते हैं, जिसमें से अकेले चीन का योगदान 4,000 करोड़ रुपये का होता था.

कैट ने एक बयान में कहा, "बीते कुछ वर्षो में, चीन में बनी राखी और राखियों में लगने वाले उत्पाद जैसे फोम, मोतियां, ड्राप्स, धागे और सजावट वाली थालियों ने भारतीय बाजार में अपनी गहरी पैठ बना ली है."

संस्था ने कहा, "गलवान घाटी में चीन और भारत के बीच संघर्ष के कारण खरीदारों और विक्रेताओं के बीच चीन-विरोधी भावनाओं ने अब स्थानीय राखी उत्पादों की मांग को बढ़ा दिया है."

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खरीदार अब स्थानीय उत्पादों के प्रति रुचि दिखाने लगे हैं. इतना ही नहीं वे अब चीन से मंगाए उत्पादों से बनी राखी के स्थान पर भारत में बनी राखी के लिए ऊंची कीमत भी चुकाने के लिए तैयार हैं.

कैट ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक, भारत में 50 करोड़ राखी हर साल बिक जाती है, जिसकी कीमत करीब 6,000 करोड़ रुपये है. इसमें से 4000 करोड़ रुपये के माल को चीन अकेले ही निर्यात करता है.

बयान के अनुसार, "इस वर्ष, चीन को निश्चित ही 4,000 करोड़ रुपये घाटे का झटका लगेगा."

(आईएएनएस)

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