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सीएफएमए का दावा, फ्रैंकलिन टेंपलटन जैसा हो सकता है 10 और म्यूचुअल फंड का हाल

सीएफएमए का दावा है कि 10 से अधिक म्यूचुअल फंड कंपनियों का हाल फ्रैंकलिन टेंपलटन जैसा हो सकता है, जिससे निवेशकों को 15 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

सीएफएमए का दावा, फ्रैंकलिन टेंपलटन जैसा हो सकता है 10 और म्यूचुअल फंड का हाल
सीएफएमए का दावा, फ्रैंकलिन टेंपलटन जैसा हो सकता है 10 और म्यूचुअल फंड का हाल
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Published : Jan 30, 2021, 7:55 PM IST

नई दिल्ली : निवेशकों के निकाय चेन्नई फाइनेंशियल मार्केट्स एंड अकाउंटेबिलिटी (सीएफएमए) ने उच्चतम न्यायालय से फ्रैंकलिन टेंपलटन की बंद योजनाओं में निवेश करने वाले निवेशकों की मदद करने का आग्रह किया है.

सीएफएमए का दावा है कि 10 से अधिक म्यूचुअल फंड कंपनियों का हाल फ्रैंकलिन टेंपलटन जैसा हो सकता है, जिससे निवेशकों को 15 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

सीएफएमए ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि विभिन्न म्यूचुअल फंड योजनाओं के तीन करोड़ यूनिटधारकों की एकमात्र उम्मीद न्यायालय ही है.

अपने दावे के समर्थन के पीछे सूत्र का खुलासा नहीं करते हुए सीएफएमए ने कहा, ऐसी जानकारी मिली है कि 10 से अधिक और म्यूचुअल फंड अपने नुकसान को यूनिटधारकों पर डालना चाहते हैं. उन्हें सिर्फ उच्चतम न्यायालय के फैसले का इंतजार है.

उच्चतम न्यायालय इस बारे में विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है. इनमें से एक याचिका फ्रैंकलिन टेंपलटन ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर की है.

ये भी पढ़ें : अगले वित्त वर्ष में 11 प्रतिशत की वृद्धि से निजी क्षेत्र का कारोबारी भरोसा लौटेगा : सुब्रमण्यन

उच्च न्यायालय ने कंपनी को अपनी ऋण या बांड योजनाओं को निवेशकों की पूर्व-सहमति के बिना बंद करने पर रोक लगा दी है.

फ्रैंकलिन टेंपलटन एमएफ ने 23 अप्रैल, 2020 को निकासी दबाव और बांड बाजार में तरलता की कमी का हवाला देते अपनी छह ऋण योजनाओं को बंद करने की घोषणा की थी.

नई दिल्ली : निवेशकों के निकाय चेन्नई फाइनेंशियल मार्केट्स एंड अकाउंटेबिलिटी (सीएफएमए) ने उच्चतम न्यायालय से फ्रैंकलिन टेंपलटन की बंद योजनाओं में निवेश करने वाले निवेशकों की मदद करने का आग्रह किया है.

सीएफएमए का दावा है कि 10 से अधिक म्यूचुअल फंड कंपनियों का हाल फ्रैंकलिन टेंपलटन जैसा हो सकता है, जिससे निवेशकों को 15 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

सीएफएमए ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि विभिन्न म्यूचुअल फंड योजनाओं के तीन करोड़ यूनिटधारकों की एकमात्र उम्मीद न्यायालय ही है.

अपने दावे के समर्थन के पीछे सूत्र का खुलासा नहीं करते हुए सीएफएमए ने कहा, ऐसी जानकारी मिली है कि 10 से अधिक और म्यूचुअल फंड अपने नुकसान को यूनिटधारकों पर डालना चाहते हैं. उन्हें सिर्फ उच्चतम न्यायालय के फैसले का इंतजार है.

उच्चतम न्यायालय इस बारे में विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है. इनमें से एक याचिका फ्रैंकलिन टेंपलटन ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर की है.

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उच्च न्यायालय ने कंपनी को अपनी ऋण या बांड योजनाओं को निवेशकों की पूर्व-सहमति के बिना बंद करने पर रोक लगा दी है.

फ्रैंकलिन टेंपलटन एमएफ ने 23 अप्रैल, 2020 को निकासी दबाव और बांड बाजार में तरलता की कमी का हवाला देते अपनी छह ऋण योजनाओं को बंद करने की घोषणा की थी.

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