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वाहन उद्योग के समक्ष संरचनात्मक मुद्दे, कीमत कम रखने की चुनौती: किर्लोस्कर - टोयोटा किर्लोस्कर

किर्लोस्कर ने कहा कि अप्रैल 2020 से बीएस-चार मानकों की जगह बीएस-6 मानकों वाले वाहनों को लाने से उत्पादन लागत बढ़ने के कारण कीमतें चढ़ेंगी. इससे ग्राहकों को मासिक किस्त के रूप में अधिक राशि चुकानी होगी.

वाहन उद्योग के समक्ष संरचनात्मक मुद्दे, कीमत कम रखने की चुनौती: किर्लोस्कर
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Published : Oct 6, 2019, 2:27 PM IST

नई दिल्ली: टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के उपाध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कहा कि भारतीय वाहन उद्योग संरचनात्मक मसलों से जूझ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों की वजह से उत्पन्न चुनौतियों समेत कई कारणों से लागत को कम बनाये रखना एक गंभीर चुनौती बन गयी है.

किर्लोस्कर ने कहा कि अप्रैल 2020 से बीएस-चार मानकों की जगह बीएस-6 मानकों वाले वाहनों को लाने से उत्पादन लागत बढ़ने के कारण कीमतें चढ़ेंगी. इससे ग्राहकों को मासिक किस्त के रूप में अधिक राशि चुकानी होगी.

वाहन उद्योग को गति देने के लिये सरकार की तरफ से उठाये गये कदमों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा, "यह बड़ा संरचनात्मक मुद्दा है... वाहनों को सस्ता बनाए रखना एक चुनौती है."

किर्लोस्कर ने कहा, "वाहन क्षेत्र में जब मांग कम है, लोग कारें नहीं खरीद रहे, ऐसे में सरकार कितना कर सकती है."

ये भी पढ़ें: मंदी का असर: फेस्टिव सीजन में बिक्री बढ़ाने के लिए ऑटो कंपनियां दे रही हैं बंपर ऑफर

उन्होंने कहा कि सरकार ने सड़कों में सुधार समेत अनके चीजें की हैं, "लेकिन कुछ ऐसा भी किया है जिससे मेरे हिसाब से चुनौतियां बढ़ी हैं."

किर्लोस्कर ने कहा, "इससे वाहनों की लागत बढ़ती है, ईएमआई (मासिक किस्त) चढ़ी हैं. कार लेने वाले व्यक्ति के वेतन के प्रतिशित के रूप में ईएमआई बढ़ी है. वाहनों की कीमतों को दायरे में रखने का मसला है."

अगले साल के परिदृश्य के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए इसके बारे में अनुमान जताना मुश्किल है.

किर्लोस्कर ने कहा, "अगले साल वाहनों के दाम बढ़ने जा रहे हैं." हालांकि उन्होंने यह भी कहा, "पिछले चार-पांच साल हमारे लिये अच्छे रहे। एक साल की समस्या से हम पार पा लेंगे."

वाहन उद्योग नरमी के दौर से गुजर रहा है. अगस्त महीने में कुल वाहनों की बिक्री में सर्वाधिक 23.55 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी. आलोच्य महीने में वाहनों की बिक्री 18,21,490 इकाइयां रही जबकि अगस्त 2018 में यह 23,82,436 इकाई थी.

नई दिल्ली: टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के उपाध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कहा कि भारतीय वाहन उद्योग संरचनात्मक मसलों से जूझ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों की वजह से उत्पन्न चुनौतियों समेत कई कारणों से लागत को कम बनाये रखना एक गंभीर चुनौती बन गयी है.

किर्लोस्कर ने कहा कि अप्रैल 2020 से बीएस-चार मानकों की जगह बीएस-6 मानकों वाले वाहनों को लाने से उत्पादन लागत बढ़ने के कारण कीमतें चढ़ेंगी. इससे ग्राहकों को मासिक किस्त के रूप में अधिक राशि चुकानी होगी.

वाहन उद्योग को गति देने के लिये सरकार की तरफ से उठाये गये कदमों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा, "यह बड़ा संरचनात्मक मुद्दा है... वाहनों को सस्ता बनाए रखना एक चुनौती है."

किर्लोस्कर ने कहा, "वाहन क्षेत्र में जब मांग कम है, लोग कारें नहीं खरीद रहे, ऐसे में सरकार कितना कर सकती है."

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उन्होंने कहा कि सरकार ने सड़कों में सुधार समेत अनके चीजें की हैं, "लेकिन कुछ ऐसा भी किया है जिससे मेरे हिसाब से चुनौतियां बढ़ी हैं."

किर्लोस्कर ने कहा, "इससे वाहनों की लागत बढ़ती है, ईएमआई (मासिक किस्त) चढ़ी हैं. कार लेने वाले व्यक्ति के वेतन के प्रतिशित के रूप में ईएमआई बढ़ी है. वाहनों की कीमतों को दायरे में रखने का मसला है."

अगले साल के परिदृश्य के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए इसके बारे में अनुमान जताना मुश्किल है.

किर्लोस्कर ने कहा, "अगले साल वाहनों के दाम बढ़ने जा रहे हैं." हालांकि उन्होंने यह भी कहा, "पिछले चार-पांच साल हमारे लिये अच्छे रहे। एक साल की समस्या से हम पार पा लेंगे."

वाहन उद्योग नरमी के दौर से गुजर रहा है. अगस्त महीने में कुल वाहनों की बिक्री में सर्वाधिक 23.55 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी. आलोच्य महीने में वाहनों की बिक्री 18,21,490 इकाइयां रही जबकि अगस्त 2018 में यह 23,82,436 इकाई थी.

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नई दिल्ली: टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के उपाध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कहा कि भारतीय वाहन उद्योग संरचनात्मक मसलों से जूझ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों की वजह से उत्पन्न चुनौतियों समेत कई कारणों से लागत को कम बनाये रखना एक गंभीर चुनौती बन गयी है.

किर्लोस्कर ने कहा कि अप्रैल 2020 से बीएस-चार मानकों की जगह बीएस-6 मानकों वाले वाहनों को लाने से उत्पादन लागत बढ़ने के कारण कीमतें चढ़ेंगी. इससे ग्राहकों को मासिक किस्त के रूप में अधिक राशि चुकानी होगी.

वाहन उद्योग को गति देने के लिये सरकार की तरफ से उठाये गये कदमों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा, "यह बड़ा संरचनात्मक मुद्दा है... वाहनों को सस्ता बनाए रखना एक चुनौती है."

किर्लोस्कर ने कहा, "वाहन क्षेत्र में जब मांग कम है, लोग कारें नहीं खरीद रहे, ऐसे में सरकार कितना कर सकती है."

उन्होंने कहा कि सरकार ने सड़कों में सुधार समेत अनके चीजें की हैं, "लेकिन कुछ ऐसा भी किया है जिससे मेरे हिसाब से चुनौतियां बढ़ी हैं."

किर्लोस्कर ने कहा, "इससे वाहनों की लागत बढ़ती है, ईएमआई (मासिक किस्त) चढ़ी हैं. कार लेने वाले व्यक्ति के वेतन के प्रतिशित के रूप में ईएमआई बढ़ी है. वाहनों की कीमतों को दायरे में रखने का मसला है."

अगले साल के परिदृश्य के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए इसके बारे में अनुमान जताना मुश्किल है.

किर्लोस्कर ने कहा, "अगले साल वाहनों के दाम बढ़ने जा रहे हैं." हालांकि उन्होंने यह भी कहा, "पिछले चार-पांच साल हमारे लिये अच्छे रहे। एक साल की समस्या से हम पार पा लेंगे."

वाहन उद्योग नरमी के दौर से गुजर रहा है. अगस्त महीने में कुल वाहनों की बिक्री में सर्वाधिक 23.55 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी. आलोच्य महीने में वाहनों की बिक्री 18,21,490 इकाइयां रही जबकि अगस्त 2018 में यह 23,82,436 इकाई थी.

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