नई दिल्ली : वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय उभरते उद्यमियों की मदद के लिए कई कदम उठा रहा है. इसी क्रम में, फरवरी से लेकर अब तक 342 स्टार्टअप कंपनियों को एंजल कर से छूट दी गई है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.
सरकार ने फरवरी में उद्यमियों को बड़ी राहत देते हुए स्टार्टअप की परिभाषा का विस्तार किया था और 25 करोड़ रुपये तक के निवेश पर एंजल कर से रियायत दी थी.
सरकारी अधिकारी ने कहा, "मंत्रालय देश में स्टार्टअप तंत्र को बढ़ाने और मजबूत करने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहा है. कुल 381 स्टार्टअप कंपनियों ने कहा था कि उन्हें एंजल कर से छूट मिलनी चाहिए. इनमें से 342 कंपनियों को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से एंजल कर से छूट देने की सूचना दी गई है."
उन्होंने कहा कि मंत्रालय अपनी टीम के साथ मिलकर शेष 39 कंपनियों की दिक्कतों दूर करने के लिए काम कर रहा है क्योंकि उन्होंने अपनी तरफ से जो वचन पत्र सौंपे हैं उनमें कुछ खामियां हैं.
कई स्टार्टअप कंपनियों ने शिकायत की थी कि उन्हें आयकर कानून 1961 की धारा 56(2)-7 बी के तहत कर नोटिस भेजे गए, जिनमें उन्हें एंजल कोषों से मिले धन पर कर देने को कहा गया. इसके बाद उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने इस मामले में सीबीडीटी के साथ बातचीत की थी.
आयकर कानून की धारा 56(2)-सात बी किसी भी स्टार्ट अप द्वारा उसके उचित बाजार मूल्य से अधिक जुटाई गई राशि को दूसरे स्रोतों से प्रापत आय माना जायेगा और इस पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जायेगा.
इस प्रावधान को स्टार्ट अप में निवेश के नाम पर धन का दुरुपयोग रोकने के लिये 2012 में लाया गया. स्टार्ट अप उद्यमों में एंजल निवेशकों के निवेश पर पड़ने वाले इसके प्रभाव को देख्ते हुये इसे एंजल कर के तौर पर नाम दिया गया.
इस कर से छूट पाने के लिये पात्र स्टार्ट अप को डीपीआईआईटी के पास हस्ताक्षर के साथ एक घोषणा फार्म सौंपना पड़ता है. विभाग इस घोषणा को सीबीडीटी के पास भेज देता है और विभाग जांच के बाद प्रमाण पत्र सौंप देता है.
अधिकारी ने कहा, "विभाग ने स्टार्टअप कंपनियों के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित करने सहित कई अन्य उपायों के भी प्रस्ताव किए हैं. इससे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा."
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