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देश में विधवाओं की हालत दयनीय, सवालों के घेरे में सरकार!

आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा ने बताया कि देश में करीब 40 मिलियन विधवा महिलाएं है और करीब 15,000 विधवा वृंदावन की सड़कों पर रहती हैं. इन विधवा महिलाओं के लिए सरकार की ओर से विशेष कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.

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Published : Jun 28, 2019, 11:11 PM IST

Updated : Jun 29, 2019, 12:01 AM IST

आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा

नई दिल्ली: लाख वादों के बाद पूरे देश में विधवाओं की स्थिति दयनीय है. इनके लिए न तो परिवार और ना ही सरकार वाले कुछ खास काम करते दिख रहे हैं.

विधवाओं की हालत है दयनीय

'सरकार की तरफ से कोई विशेष कदम नहीं'
आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा ने बताया कि देश में करीब 40 मिलियन विधवा महिलाएं है और करीब 15,000 विधाएं वृंदावन की सड़कों पर रहती हैं. इन विधवा महिलाओं के लिए सरकार की ओर से विशेष कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.

राणा ने बताया कि विधवा महिलाओं के लिए साल 2000 से आवाज उठा रहे हैं लेकिन अभी तक सरकारी तंत्र की ओर से केवल मरहम के नाम पर पहले 200 रुपये पेंशन दी जाती थी, अब उसे बढ़ाकर 300 रुपये किया गया है. दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की ओर से कुल मिलाकर ढ़ाई हजार रुपये विधवा पेंशन दी जाती है और पूरे देश में सबसे ज्यादा मिलने वाली पेंशन विधवाओं को दिल्ली में ही मिलती है.

विधवा पेंशन के लिए लगाने पड़ते है चक्कर
जिन महिलाओं का अपना कोई नहीं है वह पेंशन के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाती हैं और उनके काम तक नहीं होते हैं. महिलाओं को पेंशन लेने के लिए कई तरह के गैर सामाजिक समझौते भी करने पड़ते हैं. जिसके बारे में हरपाल राणा ने बताया कि इस तरह की कई महिलाएं तो मेरे पास भी आई हैं लेकिन जब मैंने उनकी आवाज उठाने की कोशिश की तो सरकारी कार्यालयों से अधिकारियों द्वारा कई बार धमकियां भी मिली हैं.


कुछ महिलाएं तो ऐसी हैं जो कम उम्र में विधवा हो गई और उन्हें विधवा पेंशन की जगह वृद्धा पेंशन मिल रही थी, जबकि उन्होंने अपनी पेंशन संबंधी जरूरी कागजात भी कार्यालयों में जमा करवाये है.

नई दिल्ली: लाख वादों के बाद पूरे देश में विधवाओं की स्थिति दयनीय है. इनके लिए न तो परिवार और ना ही सरकार वाले कुछ खास काम करते दिख रहे हैं.

विधवाओं की हालत है दयनीय

'सरकार की तरफ से कोई विशेष कदम नहीं'
आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा ने बताया कि देश में करीब 40 मिलियन विधवा महिलाएं है और करीब 15,000 विधाएं वृंदावन की सड़कों पर रहती हैं. इन विधवा महिलाओं के लिए सरकार की ओर से विशेष कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.

राणा ने बताया कि विधवा महिलाओं के लिए साल 2000 से आवाज उठा रहे हैं लेकिन अभी तक सरकारी तंत्र की ओर से केवल मरहम के नाम पर पहले 200 रुपये पेंशन दी जाती थी, अब उसे बढ़ाकर 300 रुपये किया गया है. दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की ओर से कुल मिलाकर ढ़ाई हजार रुपये विधवा पेंशन दी जाती है और पूरे देश में सबसे ज्यादा मिलने वाली पेंशन विधवाओं को दिल्ली में ही मिलती है.

विधवा पेंशन के लिए लगाने पड़ते है चक्कर
जिन महिलाओं का अपना कोई नहीं है वह पेंशन के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाती हैं और उनके काम तक नहीं होते हैं. महिलाओं को पेंशन लेने के लिए कई तरह के गैर सामाजिक समझौते भी करने पड़ते हैं. जिसके बारे में हरपाल राणा ने बताया कि इस तरह की कई महिलाएं तो मेरे पास भी आई हैं लेकिन जब मैंने उनकी आवाज उठाने की कोशिश की तो सरकारी कार्यालयों से अधिकारियों द्वारा कई बार धमकियां भी मिली हैं.


कुछ महिलाएं तो ऐसी हैं जो कम उम्र में विधवा हो गई और उन्हें विधवा पेंशन की जगह वृद्धा पेंशन मिल रही थी, जबकि उन्होंने अपनी पेंशन संबंधी जरूरी कागजात भी कार्यालयों में जमा करवाये है.

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location -- delhi

बाईट -- हरपाल राणा आरटीआई एक्टिविस्ट ।

स्टोरी... देश में आज अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस मनाया जा रहा है । अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस 23 जून 2011 को स्वीकृत क्या गया था इसकी घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने 22 दिसंबर 2010 को की थी । उसके बाद से पूरे देश में विधवाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस लगातार मनाया जा रहा है। जिसमें विधवाओं के लिए आवाज उठाई जा रही है लेकिन विधवाओं की स्थिति जस की तस हैं । इनके लिए न तो सरकार और न परिवार वाले कुछ खास सहयोग कर रहे हैं ।


Body:आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा ने बताया कि देश में करीब 40 मिलियन विधवा महिलाएं है और करीब 15,000 विधाएं वृंदावन की सड़कों पर रहती हैं । इन विधवा महिलाओं के लिए सरकार की ओर से विशेष कदम नहीं उठाए जा रहे हैं जिन महिला के ऊपर पहले ही कुदरत ने बहुत बड़ी चोट पहुंचाई है सरकार उससे भी बड़ी चोट इन विधवा महिलाओं को पहुंचा रही है । राणा ने बताया कि यह विधवा महिलाओं के लिए साल 2000 से आवाज उठा रहे हैं लेकिन अभी तक विधवा महिलाओं के लिए सरकारी तंत्र की ओर से केवल मरहम के नाम पर पहले 200 रुपये पेंशन दी जाती थी अब उसे बढ़ाकर 300 रुपये किया गया है । दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की ओर से कुल मिलाकर ढाई हजार रुपये विधवा पेंशन दी जाती है और पूरे देश में सबसे ज्यादा मिलने वाली पेंशन विधवाओं को दिल्ली में मिलती है ।

जिन महिलाओं का अपना कोई नहीं है वह पेंशन के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट लगाती हैं और उनके काम तक नहीं होते । महिलाओं को पेंशन लेने के लिए कई तरह के गैर सामाजिक समझौते भी करने पड़ते हैं । जिसके बारे में हरपाल राणा ने बताया कि इस तरह की कई महिलाएं तो मेरे पास भी आई हैं लेकिन जब मैंने उनकी आवाज उठाने की कोशिश की तो सरकारी कार्यालयों से अधिकारियों द्वारा कई बार धमकियां भी मिली हैं । कुछ महिलाएं तो ऐसी हैं जो कम उम्र में विधवा हो गई और उन्हें विधवा पेंशन की जगह वृद्ध पेंशन मिल रही थी । जबकि उन्होंने अपनी पेंशन संबंधी जरूरी कागजात भी कार्यालयों में जमा करवाये है ।

बात की जाए तो हरपाल राणा के सम्पर्क में इलाके की कई ऐसी विधवा महिलाये है जिन्हें यह लाभ नही मिल पा रहा है । जिनके लिए ये दिल्ली और केन्द्र सरकार से लड़ाई लड़ रहे है । इनके हक की आवाज उठाने के लिए अब ये न्यायालय की शरण में जाने की तैयारियां भी इन्होंने कर ली है ताकि इन विधवा और बेसहारा महिलाओं को सरकारी मदद मिल सके । साथ ही उन्होंने कहा कि विधवा महिलाओं को भी सरकार की ओर से कुछ ऐसी सुविधाएं मिलनी चाहिए उनके बच्चों की शिक्षा निजी स्कूलों में फ्री की जाए ताकि इनके ऊपर से पढ़ाई का बोझ कम हो सके ।


Conclusion:बतौर हरपाल राणा ने अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस के अवसर पर बताया कि विधवा महिलाओं के लिए पिछले करीब 20 वर्षो से आवाज उठा रहे हैं। लेकिन विधवा महिलाओं को जो सम्मान और मदद सरकार की ओर से मिलनी चाहिए वह अभी तक पूरी तरह से नहीं मिल पा रही है । विधवा महिलाओं के लिए आज की महंगाई के दौर में दिल्ली जैसे शहर में मात्र 25 सौ रुपए मिलने वाली पेंशन से गुजारा नहीं चल पाता । जबकि सांसद और विधायक हजारों रुपए महीने की पेंशन लेते हैं और इन लाचार और बेसहारा विधवा महिलाओं को मात्र ढाई हजार रुपे की पेंशन से अपना परिवार और बच्चों की पढ़ाई के लिए संघर्ष करना पड़ता है ।
Last Updated : Jun 29, 2019, 12:01 AM IST
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