नई दिल्ली: लाख वादों के बाद पूरे देश में विधवाओं की स्थिति दयनीय है. इनके लिए न तो परिवार और ना ही सरकार वाले कुछ खास काम करते दिख रहे हैं.
'सरकार की तरफ से कोई विशेष कदम नहीं'
आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा ने बताया कि देश में करीब 40 मिलियन विधवा महिलाएं है और करीब 15,000 विधाएं वृंदावन की सड़कों पर रहती हैं. इन विधवा महिलाओं के लिए सरकार की ओर से विशेष कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.
राणा ने बताया कि विधवा महिलाओं के लिए साल 2000 से आवाज उठा रहे हैं लेकिन अभी तक सरकारी तंत्र की ओर से केवल मरहम के नाम पर पहले 200 रुपये पेंशन दी जाती थी, अब उसे बढ़ाकर 300 रुपये किया गया है. दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की ओर से कुल मिलाकर ढ़ाई हजार रुपये विधवा पेंशन दी जाती है और पूरे देश में सबसे ज्यादा मिलने वाली पेंशन विधवाओं को दिल्ली में ही मिलती है.
विधवा पेंशन के लिए लगाने पड़ते है चक्कर
जिन महिलाओं का अपना कोई नहीं है वह पेंशन के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाती हैं और उनके काम तक नहीं होते हैं. महिलाओं को पेंशन लेने के लिए कई तरह के गैर सामाजिक समझौते भी करने पड़ते हैं. जिसके बारे में हरपाल राणा ने बताया कि इस तरह की कई महिलाएं तो मेरे पास भी आई हैं लेकिन जब मैंने उनकी आवाज उठाने की कोशिश की तो सरकारी कार्यालयों से अधिकारियों द्वारा कई बार धमकियां भी मिली हैं.
कुछ महिलाएं तो ऐसी हैं जो कम उम्र में विधवा हो गई और उन्हें विधवा पेंशन की जगह वृद्धा पेंशन मिल रही थी, जबकि उन्होंने अपनी पेंशन संबंधी जरूरी कागजात भी कार्यालयों में जमा करवाये है.