नई दिल्ली: दिल्ली में औद्योगिक क्षेत्रों की बात की जाए तो ओखला ऐसा एरिया है जहां 5000 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं. ऐसे में गर्मियों में यहां आग की घटनाएं बढ़ जाती हैं. यहां पर सड़कों की हालत ऐसी है कि यहां अगर आग लगती है तो फायर ब्रिगेड की गाड़ियां घटनास्थल तक नहीं पहुंच सकती. इस बाबत ईटीवी भारत की टीम ने ओखला औद्योगिक क्षेत्र का जायजा लिया और ओखला चेंबर ऑफ इंडस्ट्रियल के चेयरमैन अरुण पोपली से बात की.
रोड पर खड़े होते हैं भारी ट्रक
ओखला औद्योगिक क्षेत्र तीन फेज में बंटा हुआ है, इनमें 16 ब्लॉक हैं. ऐसे में इन सभी एरिया की हालत इतनी बदतर है कि मुख्य सड़क पर ही बड़े-बड़े ट्रक खड़े रहते हैं. ऐसे में अगर यहां पर आग लगती है तो फायर डिपार्टमेंट की गाड़ियां घटनास्थल तक नहीं पहुंच सकेंगी.
नियमों का पालन कैसे करें
ओखला चेंबर ऑफ इंडस्ट्रियल के चेयरमैन अरुण पोपली ने बताया कि इस इंडस्ट्रियल एरिया के हालात इतने ज्यादा खराब हैं कि यहां पर अगर आग लगी तो काफी दिक्कतें हो सकती हैं. उन्होंने बताया कि सबसे अहम बात यह है कि अग्निशमन विभाग की तरफ से कई नॉर्म्स तो बनाए गए हैं. लेकिन उसका पालन कम ही होता है.
उन्होंने बताया कि अग्निशमन विभाग ने सभी फैक्ट्रियों में 50 हजार लीटर से लेकर एक लाख लीटर तक टैंक बनाने के लिए कहा है. लेकिन यहां पर पानी की इतनी ज्यादा समस्या है कि वह टंकियां हमेशा खाली रहती हैं. ऐसे में इस नियम का पालन हम कैसे करें.
अधिकारी पहले ही खड़े कर चुके हैं हाथ
अरुण पोपली ने बताया कि यहां पर नो पार्किंग में खड़े होने वाले वाहनों की संख्या बेहद ज्यादा है. ऐसे में इस समस्या से निपटने के लिए नगर निगम, यातायात पुलिस और फायर डिपार्टमेंट को भी कई बार लिखित में शिकायत की गई है, लेकिन कोई भी अधिकारी उचित कदम नहीं उठाता है.