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फिल्म इंडस्ट्री के खिलाफ अपमानजनक रिपोर्टिंग केस, HC में टली सुनवाई

सुशांत सिंह सुसाइड केस को लेकर शुरू हुए मामले और फिर बॉलीवुड का ड्रग्स कनेक्शन को लेकर की गई मीडिया रिपोर्टिंग के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई टाल दी है. अगली सुनवाई 23 मार्च 2021 को होगी.

High court
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Published : Dec 14, 2020, 5:26 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म इंडस्ट्री के खिलाफ कथित गैर जिम्मेदाराना और अपमानजनक रिपोर्टिंग पर रोक लगाने की मांग पर सुनवाई को टाल दिया है. जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे मीडिया संगठनों की ओर से दायर जवाब पर तीन हफ्ते में जवाबी हलफनामा दाखिल करें. मामले की अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी.



मीडिया संगठनों ने देर से जवाब दाखिल किया

सुनवाई के दौरान कुछ मीडिया संगठनों ने याचिका का जवाब देर से दायर करने के लिए कोर्ट से माफी मांगी. जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. मीडिया संगठनों की ओर से वकील संदीप सेठी ने कहा कि प्रोडक्शन हाउस को इस मामले में याचिका दायर करने का क्षेत्राधिकार नहीं है. तब प्रोडक्शन हाउस की ओर से वकील राजीव नय्यर ने कहा कि कोर्ट मीडिया संगठनों को अपमानजनक रिपोर्टिंग नहीं करने और प्रोग्राम कोड का पालन करने को कहकर इस याचिका का निस्तारण कर सकती है.

Pakistani funded नाम देने का आरोप

पिछल 9 नवंबर को कोर्ट ने संबंधित मीडिया संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील राजीव नय्यर और अखिल सिब्बल ने कहा था कि फिल्म इंडस्ट्री को न्यूज चैनलों ने kingpin of Bollywood, Pakistani funded, nepotistst इत्यादि नामों से पुकारा. राजीव नयन ने कहा था की न्यूज़ चैनलों ने अपने रिपोर्टिंग में कहा कि दीपिका पादुकोण ने माल देने के लिए कहा था. उन्होंने कहा था कि न्यूज़ चैनलों ने कहा था कि क्या शाहरुख खान के खिलाफ राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए कोई कार्रवाई की जाएगी.


अपमानजनक रिपोर्टिंग करने पर रोक की मांग

सुनवाई के दौरान अखिल सिब्बल ने कहा था कि न्यूज़ चैनलों को अपमानजनक रिपोर्टिंग करने पर रोक लगाई जानी चाहिए. मीडिया स्व-नियमन का पालन नहीं कर रही है. उन्होंने केस के लंबित होने के दौरान किसी मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर कोर्ट के फैसलों का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा था कि न्यूज़ ब्रॉडकास्ट स्टैंडर्ड अथॉरिटी ने भी कहा था कि सच्चाई जानने का मतलब यह नहीं है की मीडिया समूह किसी अभियुक्त के अधिकारों का उल्लंघन करें और उसकी जिंदगी तबाह कर दे. तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या आपने मुआवजे की भी मांग की है. तब नायक ने कहा था कि नहीं. तब कोर्ट ने कहा था कि आप ट्रायल के दौरान मुआवजे की मांग कर सकते हैं.

गूगल और फेसबुक को पक्षकार की सूची से नाम हटाया गया

सुनवाई के दौरान गूगल इंडिया और फेसबुक इंडिया ने इस मामले में अपने को पक्षकार के रूप में हटाने की मांग की थी. कोर्ट ने उनकी इस मांग को मंजूर करते हुए गूगल और फेसबुक को पक्षकार की सूची से नाम हटाने का आदेश दिया.

बॉलीवुड के लिए dirt, filth, scum, druggies जैसे शब्दों का इस्तेमाल

याचिका बॉलीवुड के 38 प्रोड्यूसर्स ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि ये मीडिया संस्थान बॉलीवुड के लोगों के निजता के अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं. बॉलीवुड के इन प्रोड्यूसर्स ने अपनी याचिका में कहा है कि मीडिया संस्थानों के रिपोर्टर्स ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की रिपोर्टिंग करते समय फिल्म इंडस्ट्री पर ड्रग्स का धंधा करने के आरोप लगाए. याचिका में कहा गया है कि इन मीडिया संस्थानों में डर्ट (dirt), गंदगी (filth), मैल (scum), ड्रगी (druggies) जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए न्यूज रिपोर्ट में कहा गया कि बॉलीवुड की गंदगी को साफ करना जरुरी है. मीडिया संस्थानों ने अपनी रिपोर्ट में फिल्म इंडस्ट्री को देश का सबसे गंदा इंडस्ट्री करार दिया है.

बॉलीवुड के लोगों की निजता का उल्लंघन किया गया

याचिका में कहा गया है कि मीडिया संस्थानों की गैरजिम्मेदाराना रिपोर्टिंग की वजह से बॉलीवुड से जुड़े लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वो भी ऐसे समय में जब कोरोना के संकट की वजह से राजस्व और अवसरों की काफी कमी हो गई है. याचिका में कहा गया है कि बॉलीवुड के लोगों की निजता का उल्लंघन किया गया है और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है. रिपोर्टिंग इस तरह की जा रही है जैसे बॉलीवुड के लोग अपराधी हों.



प्रोग्राम कोड का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं कुछ मीडिया संस्थान

याचिका में कहा गया है कि मीडिया संस्थानों के कुछ रिपोर्टर्स को पहले भी कोर्ट ने गैरजिम्मेदारा रिपोर्टिंग के लिए दंडित किया है. प्रोड्यूसर्स का दावा है कि कुछ रिपोर्टर्स को कोर्ट ने गलत खबर चलाने का भी दोषी पाया है. याचिका में कहा गया है कि कुछ न्यूज़ चैनल केबल टेलीविजन नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट की धारा 5 के प्रोग्राम कोड का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं. वे समानांतर जांच चला कर कोर्ट की तरह काम कर न्याय व्यवस्था का मखौल उड़ा रहे हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म इंडस्ट्री के खिलाफ कथित गैर जिम्मेदाराना और अपमानजनक रिपोर्टिंग पर रोक लगाने की मांग पर सुनवाई को टाल दिया है. जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे मीडिया संगठनों की ओर से दायर जवाब पर तीन हफ्ते में जवाबी हलफनामा दाखिल करें. मामले की अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी.



मीडिया संगठनों ने देर से जवाब दाखिल किया

सुनवाई के दौरान कुछ मीडिया संगठनों ने याचिका का जवाब देर से दायर करने के लिए कोर्ट से माफी मांगी. जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. मीडिया संगठनों की ओर से वकील संदीप सेठी ने कहा कि प्रोडक्शन हाउस को इस मामले में याचिका दायर करने का क्षेत्राधिकार नहीं है. तब प्रोडक्शन हाउस की ओर से वकील राजीव नय्यर ने कहा कि कोर्ट मीडिया संगठनों को अपमानजनक रिपोर्टिंग नहीं करने और प्रोग्राम कोड का पालन करने को कहकर इस याचिका का निस्तारण कर सकती है.

Pakistani funded नाम देने का आरोप

पिछल 9 नवंबर को कोर्ट ने संबंधित मीडिया संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील राजीव नय्यर और अखिल सिब्बल ने कहा था कि फिल्म इंडस्ट्री को न्यूज चैनलों ने kingpin of Bollywood, Pakistani funded, nepotistst इत्यादि नामों से पुकारा. राजीव नयन ने कहा था की न्यूज़ चैनलों ने अपने रिपोर्टिंग में कहा कि दीपिका पादुकोण ने माल देने के लिए कहा था. उन्होंने कहा था कि न्यूज़ चैनलों ने कहा था कि क्या शाहरुख खान के खिलाफ राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए कोई कार्रवाई की जाएगी.


अपमानजनक रिपोर्टिंग करने पर रोक की मांग

सुनवाई के दौरान अखिल सिब्बल ने कहा था कि न्यूज़ चैनलों को अपमानजनक रिपोर्टिंग करने पर रोक लगाई जानी चाहिए. मीडिया स्व-नियमन का पालन नहीं कर रही है. उन्होंने केस के लंबित होने के दौरान किसी मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर कोर्ट के फैसलों का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा था कि न्यूज़ ब्रॉडकास्ट स्टैंडर्ड अथॉरिटी ने भी कहा था कि सच्चाई जानने का मतलब यह नहीं है की मीडिया समूह किसी अभियुक्त के अधिकारों का उल्लंघन करें और उसकी जिंदगी तबाह कर दे. तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या आपने मुआवजे की भी मांग की है. तब नायक ने कहा था कि नहीं. तब कोर्ट ने कहा था कि आप ट्रायल के दौरान मुआवजे की मांग कर सकते हैं.

गूगल और फेसबुक को पक्षकार की सूची से नाम हटाया गया

सुनवाई के दौरान गूगल इंडिया और फेसबुक इंडिया ने इस मामले में अपने को पक्षकार के रूप में हटाने की मांग की थी. कोर्ट ने उनकी इस मांग को मंजूर करते हुए गूगल और फेसबुक को पक्षकार की सूची से नाम हटाने का आदेश दिया.

बॉलीवुड के लिए dirt, filth, scum, druggies जैसे शब्दों का इस्तेमाल

याचिका बॉलीवुड के 38 प्रोड्यूसर्स ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि ये मीडिया संस्थान बॉलीवुड के लोगों के निजता के अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं. बॉलीवुड के इन प्रोड्यूसर्स ने अपनी याचिका में कहा है कि मीडिया संस्थानों के रिपोर्टर्स ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की रिपोर्टिंग करते समय फिल्म इंडस्ट्री पर ड्रग्स का धंधा करने के आरोप लगाए. याचिका में कहा गया है कि इन मीडिया संस्थानों में डर्ट (dirt), गंदगी (filth), मैल (scum), ड्रगी (druggies) जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए न्यूज रिपोर्ट में कहा गया कि बॉलीवुड की गंदगी को साफ करना जरुरी है. मीडिया संस्थानों ने अपनी रिपोर्ट में फिल्म इंडस्ट्री को देश का सबसे गंदा इंडस्ट्री करार दिया है.

बॉलीवुड के लोगों की निजता का उल्लंघन किया गया

याचिका में कहा गया है कि मीडिया संस्थानों की गैरजिम्मेदाराना रिपोर्टिंग की वजह से बॉलीवुड से जुड़े लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वो भी ऐसे समय में जब कोरोना के संकट की वजह से राजस्व और अवसरों की काफी कमी हो गई है. याचिका में कहा गया है कि बॉलीवुड के लोगों की निजता का उल्लंघन किया गया है और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है. रिपोर्टिंग इस तरह की जा रही है जैसे बॉलीवुड के लोग अपराधी हों.



प्रोग्राम कोड का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं कुछ मीडिया संस्थान

याचिका में कहा गया है कि मीडिया संस्थानों के कुछ रिपोर्टर्स को पहले भी कोर्ट ने गैरजिम्मेदारा रिपोर्टिंग के लिए दंडित किया है. प्रोड्यूसर्स का दावा है कि कुछ रिपोर्टर्स को कोर्ट ने गलत खबर चलाने का भी दोषी पाया है. याचिका में कहा गया है कि कुछ न्यूज़ चैनल केबल टेलीविजन नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट की धारा 5 के प्रोग्राम कोड का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं. वे समानांतर जांच चला कर कोर्ट की तरह काम कर न्याय व्यवस्था का मखौल उड़ा रहे हैं.

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