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21 साल के मयंक ने देश का नाम किया रौशन, यूक्रेन में लहराया तिरंगा - body building

दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में रहने वाले 21 साल के मयंक ने यूक्रेन के 'मैन फिजिक इवेंट' में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का नाम रौशन किया.

मयंक सोरेन
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Published : Jun 22, 2019, 11:25 PM IST

Updated : Jun 22, 2019, 11:33 PM IST

नई दिल्ली: कहते हैं प्रतिभा कभी किसी चीज की मोहताज नहीं होती है. इसी बात को सिध्द करके दिखाया है दिल्ली के स्लम इलाके में रहने वाले 21 साल के मयंक सोरेन ने. मयंक दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में रहते हैं जिन्होंने यूक्रेन से मैन फिजिक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया.


इस खेल में मयंक ने 22 खिलाड़ियों को हराकर भारत का नाम और झंडा दोनों ऊंचा किया. 16 जून को मयंक ने भारत के लिए मैन फिजिक खेल में गोल्ड मेडल जीता था.

'मैन फिजिक इवेंट' में जीता गोल्ड मेडल


इस गोल्ड मेडल को जीतने के बाद मयंक ने सारा श्रेय अपने माता-पिता को दिया. जिन्होंने तंगहाली में रहकर मयंक की सारी जरूरतों को पूरा किया है और मयंक ने भी अपने माता-पिता का नाम खूब रोशन किया है.

कैसे आया फिटनेस का खुमार
मयंक के पिता का बिल्डिंग मटेरियल का छोटा सा काम है और इनकी मां गृहणी है. मयंक अपने तीन भाई बहनों में सबसे बड़े हैं. इनकी स्कूलिंग आदर्श नगर के गुरु नानक पब्लिक स्कूल में हुई और बाद में ग्रेजुएशन के लिए आईपी यूनिवर्सिटी के जिम्स कॉलेज से बीबीए किया. उसी दौरान मयंक को बॉडी बिल्डिंग का शौक चढ़ा और मयंक जी जान से अपने शौक को पूरा करने में जुट गए.

मयंक ने दिया संदेश
मयंक स्लम इलाके में रहते हैं लेकिन उन्होंने इलाके के और युवाओं की तरह नशे को नहीं अपनाया. मयंक का कहना है कि नशा करना है तो उस चीज का नशा करो जिससे परिवार, समाज और देश का नाम हो.

नई दिल्ली: कहते हैं प्रतिभा कभी किसी चीज की मोहताज नहीं होती है. इसी बात को सिध्द करके दिखाया है दिल्ली के स्लम इलाके में रहने वाले 21 साल के मयंक सोरेन ने. मयंक दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में रहते हैं जिन्होंने यूक्रेन से मैन फिजिक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया.


इस खेल में मयंक ने 22 खिलाड़ियों को हराकर भारत का नाम और झंडा दोनों ऊंचा किया. 16 जून को मयंक ने भारत के लिए मैन फिजिक खेल में गोल्ड मेडल जीता था.

'मैन फिजिक इवेंट' में जीता गोल्ड मेडल


इस गोल्ड मेडल को जीतने के बाद मयंक ने सारा श्रेय अपने माता-पिता को दिया. जिन्होंने तंगहाली में रहकर मयंक की सारी जरूरतों को पूरा किया है और मयंक ने भी अपने माता-पिता का नाम खूब रोशन किया है.

कैसे आया फिटनेस का खुमार
मयंक के पिता का बिल्डिंग मटेरियल का छोटा सा काम है और इनकी मां गृहणी है. मयंक अपने तीन भाई बहनों में सबसे बड़े हैं. इनकी स्कूलिंग आदर्श नगर के गुरु नानक पब्लिक स्कूल में हुई और बाद में ग्रेजुएशन के लिए आईपी यूनिवर्सिटी के जिम्स कॉलेज से बीबीए किया. उसी दौरान मयंक को बॉडी बिल्डिंग का शौक चढ़ा और मयंक जी जान से अपने शौक को पूरा करने में जुट गए.

मयंक ने दिया संदेश
मयंक स्लम इलाके में रहते हैं लेकिन उन्होंने इलाके के और युवाओं की तरह नशे को नहीं अपनाया. मयंक का कहना है कि नशा करना है तो उस चीज का नशा करो जिससे परिवार, समाज और देश का नाम हो.

तंगहाली में रहकर स्लम इलाके में रहने वाले मयंक ने यूक्रेन में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया । 

नार्थवेस्ट दिल्ली,

लोकेशन -- जहांगीरपुरी

बाईट.... मयंक सोरेन स्वर्ण पदक विजेता ओर उसके माता पिता ।

feed.. ftp.. 21 June. Jhangirpuri gold medalist story..

Story... कहते हैं प्रतिभा कभी पैसे और अमिरियात की मोहताज नहीं होती । प्रतिभा किसी भी व्यक्ति में हो सकती है चाहे वह गरीब हो या अमीर । दिल्ली के स्लम इलाके में रहने वाले 21 साल के मयंक सोरेन ने विदेश में लहराया भारतीय तिरंगा । मयंक दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में रहता है वह कल सुबह यूक्रेन से मेन फिजिक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतकर भारत लौटा है । इस खेल में उसने 22 खिलाड़ियों को हराकर भारत का नाम और झंडा दोनों ऊंचे किए । 15 जून की शाम यूक्रेन पहुंचा और 16 जून को मयंक ने भारत के लिए मेन फिजिक खेल में गोल्ड मेडल जीता । भारत आने और इलाके के लोगों और दोस्तों के इनका सम्मान किया और उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना की ।

जहांगीरपुरी इलाके में मयंक सोरेन अपने परिवार के साथ रहता है । इनका एक कमरे का छोटा सा घर है लेकिन मयंक ने छोटे से घर में रहकर भारत का झंडा विदेशों में बुलंद किया ।  हाल ही में 15 जून को आईएफबीबी के तहत मेन फिजिक खेल के लिए मयंक यूक्रेन गया और वहां पर 16 तारीख को 22 खिलाड़ियों को हराकर मयंक ने भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता । इस गोल्ड मेडल को जीतने के बाद मयंक ने सारा श्रेय अपने माता-पिता को दिया । जिन्होंने तंगहाली में रहकर मयंक की सारी खुशियों को पूरा किया है और मयंक ने भी अपने माता पिता का नाम खूब रोशन किया है जैसा कि हर माता-पिता को अपने लाडलो से उम्मीद होती है ।

मयंक के पिता का बिल्डिंग मटेरियल का छोटा सा काम है और इनकी मां होममेकर है । मयंक अपने तीन भाई बहनों में सबसे बड़े है इनकी स्कूलिंग आदर्श नगर के गुरु नानक पब्लिक स्कूल में हुई और बाद में ग्रेजुएशन के लिए आईपी यूनिवर्सिटी के जिम्स कॉलेज से बीबीए किया । उसी दौरान मयंक को बॉडीबिल्डिंग का शौक चढ़ा और मयंक जी - जान से अपने शौक को पूरा करने में जुट गया। मयंक।ने कॉलेज में पढ़ते हुए अपनी आंखों में एक सपना पाला कि वह भी देश का नाम रोशन करना चाहता है । इसीलिए इनके परिवार वालों ने भी इन्हें जमकर सपोर्ट किया यह उसी का नतीजा है कि मयंक ने यूक्रेन में जाकर भारत का झंडा बुलंद किया है । मयंक के माता-पिता के अलावा मयंक को उनके दोस्तों का भी काफी सपोर्ट मिला है जिसको मयंक बताते नहीं थक रहा है ।

मयंक बेशक स्लम इलाके में रहता है लेकिन उन्होंने इलाके के और युवाओं की तरह नशे को नहीं अपनाया । मयंक का कहना है कि नशा करना है तो उस चीज का नशा करो जिससे परिवार, समाज और देश का नाम हो । यदि मयंक को समय पर अच्छी संगत नहीं मिलती और उसके माता पिता का सपोर्ट नहीं मिलता तो शायद मैं भी आज जहांगीरपुरी की और युवाओं की तरह होता ।

Amit Tyagi etv bharat delhi..

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Last Updated : Jun 22, 2019, 11:33 PM IST
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