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Zomato Listing : स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होते ही हिट हुआ जोमैटो, अब कैसा रहेगा निवेशकों का फ्यूचर, जानें

स्टॉक एक्सचेंज में शुक्रवार के फूड डिलिवरी करने वाली कंपनी जोमैटो ने धमाकेदार एंट्री की. लॉस मेकिंग कंपनी में शुमार होने के बाद भी निवेशकों ने इसे हाथोंहाथ लिया. एनरोल्ड होते ही इसके शेयर की कीमतें बढ़ीं और यह एक लाख से अधिक मार्केट कैप वाली कंपनी बन गई. इस अचीवमेंट से कंपनी ने क्या हासिल किया? इसके निवेशकों को क्या फायदा होगा ? पढ़ें पूरी स्टोरी

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Published : Jul 23, 2021, 5:38 PM IST

Updated : Jul 23, 2021, 7:11 PM IST

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हैदराबाद : शेयर बाजार में जोमैटो की लिस्टिंग बीएसई (BSE) पर 115 रुपये पर शेयर हुई है. यह उम्मीद से कहीं बेहतर प्रदर्शन है. यह इश्यू प्राइश से 51.32 फीसदी यानी 39 रुपये ज्यादा है. जबकि NSE पर जोमैटो के शेयरों की लिस्टिंग 116 रुपये पर हुई है. यह इश्यू प्राइस से 52.63 फीसदी यानी 40 रुपए ऊपर हुई है. इसके साथ ही जोमैटो स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होने वाली देश की पहली यूनिकॉर्न फूड डिलिवरी कंपनी बन गई. यूनिकॉर्न (Unicorn) शब्द से क्या तात्पर्य है? दरअसल यूनिकॉर्न एक शब्द है, जिसे उन स्टार्ट-अप्स को दिया जाता है, जिनकी वैल्यू एक बिलियन डॉलर ( 7500 करोड़) से अधिक होती है. शुक्रवार को कंपनी का शेयर सूचीबद्ध होने के कुछ ही मिनटों में शेयर 138 रुपये पर पहुंच गया. इससे साथ ही कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 लाख करोड़ रुपये को पार हो गई. हालांकि 76 रुपये के रेट पर कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 64,500 करोड़ रुपये है. कंपनी का 9,375 करोड़ का आईपीओ 14 से 16 जुलाई तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था. इसके लिए प्राइस बैंड 72-76 रुपये तय किया गया था. इसके तहत 9,000 करोड़ रुपये के ताजा शेयर जारी किए जाएंगे.

जोमैटो का कैपिटलाइजेशन अकेले ही बाकी की कंपनियों पर भारी

ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो का मार्केट कैपिटलाइजेशन भारत में सभी लिस्टेड क्विक सर्विस रेस्टोरेंट चेन की तुलना में ज्यादा है. इसके साथ ही यह देश में लिस्टेड होटलों के मार्केट कैप की तुलना में भी अधिक है. देश में 20 लिस्टेड हॉस्पिटालिटी कंपनियां हैं . मार्केट कैप में ये सभी जोमैटो से काफी पीछे हो गई हैं. इसके बाद क्विक सर्विस रेस्टोरेंट कंपनियों में जुबिलेंट फूड्स का मार्केट कैप सबसे ज्यादा 41,496 करोड़ रुपये है. वेस्टलाइफ का 7,990 करोड़ रुपये है. बर्गर किंग का मार्केट कैप 6,058 करोड़ रुपये है जबकि बार्बेक्यू नेशन का 3,324 करोड़ रुपये है. होटल कंपनियों में इंडियन होटल का मार्केट कैप 17,446 करोड़ है. इआईएच का मार्केट कैप 7,053 करोड़ रुपये है. दूसरे नंबर पर शलेट होटल है, जिसका मार्केट कैप 3,893 करोड़ का है. महिंद्रा हॉलिडे का मार्केट कैप 3,781, इंडिया टूरिज्म का 3,392 करोड़, लेमन ट्री का 3,351 करोड़ रुपये है.

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होटल कंपनियों के कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन से जोमैटो का कैप दोगुना से ज्यादा है

लॉस मेकिंग कंपनी होने के बाद भी डिमांड में क्यों आया जोमैटो का IPO : जब आप जोमैटो ( Zomato) जैसे स्टॉक्स को देखते हैं तो यह एक लॉस मेकिंग कंपनी है. आईपीओ में दी गई जानकारी के अनुसार, फाइनैंशियल ईर 2021 में जोमैटो का रेवेन्यू एक चौथाई गिरकर 1994 करोड़ रुपये हो गया. लेकिन कंपनी ने अपने घाटे को कंट्रोल किया. भारतीय बाजार प्रॉफिट को लेकर बेहद सख्त है. मार्केट में ऐसा कोई बहुत अच्छा इतिहास नहीं रहा है कि लॉस में चल रही कंपनियों के शेयरों में बहुत तेजी आए. बर्गर किंग जब मार्केट में लिस्टेड हुआ था, उसकी शेयर की कीमत 210 रुपये तक पहुंच गई थी. बाद में वह औंधे मुंह गिरी और 140 रुपये तक पहुंच गई. अभी इसके एक शेयर की कीमत करीब 180 रुपये है. एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि निवेशकों ( investors) को थोड़ा सब्र रखना चाहिए. जोमैटो के शेयर के दाम अभी और बढेंगे. जिन्हें लिस्टिंग होने के बाद शेयर अलॉट हो गई है, उनका फायदा होगा. मगर नए निवेशकों को इसके रेट स्थिर होने का इंतजार करना चाहिए. केडिया एडवाजयरी मुंबई के अजय केडिया आईपीओ और शेयर मार्केट पर बारीक नजर रखते हैं. उनका कहना है कि पिछले कुछ सालों में स्टार्ट अप का रेकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है. करीब 10 कंपनियों में एक की परफॉर्मेंस बेहतर रही है. एक्सपर्ट ऐसे में जोमैटो के भविष्य को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं होने की सलाह देते हैं.

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जोमैटो के बाद क्विक सर्विस रेस्टोरेंट कंपनियों में जुबिलेंट फूड्स का मार्केट कैप सबसे ज्यादा 41,496 करोड़ रुपये है

क्यों बढ़ी आईपीओ की डिमांड : अजय केडिया के अनुसार, कोविड के कारण सबसे 3 साल में लोगों को 'फियर ऑफ मिसिंग' रहा है. सेबी ने कड़े नियमों के कारण निवेशकों को मार्केट में पैसा लगाने का डायरेक्ट ऑप्शन नहीं मिला. इस कारण इन दिनों लॉन्च होने वाले सभी आईपीओ ( initial public offering) को बेहतर रेस्पॉन्स मिला है. सभी आईपीओ में अच्छे रिटर्न दिए हैं. पिछले साल कुल 38 कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हुई थीं, इसमें से 34 कंपनियों के शेयर का रेट IPO के रेट से ज्यादा पर कारोबार कर रहा है.

बड़ा सवाल, क्य़ा जोमैटो बेहतर परफॉर्म करेगा ? : आईपीओ के ओवरव्यू के हिसाब से अब कंपनी पर बेहतर परफॉर्म करने का दबाव होगा. इसे जानने के लिए जोमैटो के बिजनेस रेवेन्यू मॉडल को समझने का प्रयास करें. कंपनी मुख्य रूप से तीन प्राइमरी सोर्स से रेवेन्यू जेनरेट करती है. पहला एड सेल्स यानी विज्ञापन, दूसरा ऑनलाइन ऑर्डर पर सरचार्ज. तीसरा सोर्स हे जोमैटो गोल्ड सेगमेंट. इस सेगमेंट में इसके प्लेटफॉर्म से जुड़े फूड कारोबारी और कस्टमर दोनों मेंबरशिप के लिए पेमेंट करते हैं. जोमैटो कंपनी मुख्य रुप से खर्च कहां करती है. जोमैटो सबसे अधिक विज्ञापन पर खर्च करता है. फिर नंबर आता है सेल्स और लॉजिस्टिक कॉस्ट का. कंपनी डिस्काउंट ऑफर्स में भी काफी खर्च करती है. इन खर्चों के कारण ही जोमैटो लॉस मेकिंग कंपनी ( Loss making company) में शामिल है.

शेयर से क्या है लाभ की संभावना, आंकड़ों में तो उम्मीद है : 2 साल में कोरोना काल में जोमैटो पार्ट ऑफ लाइफ हो गया है. खासकर बड़े शहरों में, जहां लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू के दौरान खाना ऑर्डर करने वालों की तादाद बढ़ी है. मगर रेकॉर्ड फूड डिलिवरी के बाद भी वित्त वर्ष 2021 में संचालन से राजस्व 24% गिरकर 1994 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2020 में अर्जित 2605 करोड़ रुपये था. मार्च 2021 में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के दौरान, जोमैटो ने फूड डिलिवरी सर्विस से 1,715 करोड़ की कमाई की. यह उसकी कुल इनकम का 86% था. बी2बी सर्विसेज ( business-to-business fulfillment) यानी थोक ऑर्डर से भी कंपनी की इनकम बढ़ी. वित्त वर्ष 2020 में हुए लाभ 107.6 करोड़ रुपये के मुकाबले में 200.2 करोड़ रुपये की कमाई की.

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23 मार्च 2020 से अक्टूबर 2020 के बीच जोमैटो ने पूरे देश में कुल 9.2 करोड़ ऑर्डर की डिलिवरी की थी.

समझिए कोरोना कैसे करेगा बिजनेस को प्रभावित : फाइनेंशल एक्सपर्ट अजय केडिया बताते हैं कि कोरोना काल के दौरान भले ही ऑनलाइन फूड ऑर्डर की डिमांड बढ़ी हो, मगर इस दौरान कई छोटे रेस्तरां और होटल बंद भी हुए. इसे सरल भाषा में समझें, कोरोना से पहले 100 लोग बाहर खाना खाते थे. 30 लोग ऑनलाइन ऑर्डर करते थे, 70 लोग खुद रेस्तरां और होटल पहुंचते थे. कोरोना काल में ऑनलाइन फू़ड ऑर्डर करने वालो की तादाद 30 से बढ़कर 50 हो गई मगर होटल में बैठकर खाने वालों की तादाद 70 से घटकर 10 हो गई यानी कुल नुकसान रेस्तरां और होटल का हुआ. जोमेटौ और स्वीगी जैसे ऑपरेटर भी ऐसे लोकल होटल और फूड चेन से खाना डिलिवर करते हैं. यानी कोरोना का मामला बढ़ा तो फूड डिलिवरी करने वाली कंपनियों को भी नुकसान हो सकता है. उसके प्लेटफॉर्म से बंद होने वाले रेस्टोरेंट गायब हो जाएंगे.

मार्केट में है टफ कॉम्पिटिशन, कई कंपनियां हैं टक्कर में : फूड सप्लाई से जुड़ी कई अन्य कंपनियां जुबलिएंट फूडवर्क्स, वेस्टलाइफ, बर्गर किंग, बारबेक्यू नेशन और कॉफी डे शेयर मार्केट में इनरॉल्ड हैं. ये कंपनियां अपना प्रोडक्ट ही डिलिवरी करती हैं. इनकी ब्रांड वैल्यू भी बेहतर है. जोमैटो फूड चेन, रेस्टोरेंट, लोकल होटल्स के प्रोडक्ट को डिलिवर करता है. जहां इसका कॉम्पिटिशन स्वीगी, उबर इटस और रेस्टोरेंट चेन्स से है. अब कंपनी को बेहतर ऑफर और रणनीति की प्लानिंग करनी होगी, ताकि निवेशकों का भरोसा बना रहे.

हैदराबाद : शेयर बाजार में जोमैटो की लिस्टिंग बीएसई (BSE) पर 115 रुपये पर शेयर हुई है. यह उम्मीद से कहीं बेहतर प्रदर्शन है. यह इश्यू प्राइश से 51.32 फीसदी यानी 39 रुपये ज्यादा है. जबकि NSE पर जोमैटो के शेयरों की लिस्टिंग 116 रुपये पर हुई है. यह इश्यू प्राइस से 52.63 फीसदी यानी 40 रुपए ऊपर हुई है. इसके साथ ही जोमैटो स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होने वाली देश की पहली यूनिकॉर्न फूड डिलिवरी कंपनी बन गई. यूनिकॉर्न (Unicorn) शब्द से क्या तात्पर्य है? दरअसल यूनिकॉर्न एक शब्द है, जिसे उन स्टार्ट-अप्स को दिया जाता है, जिनकी वैल्यू एक बिलियन डॉलर ( 7500 करोड़) से अधिक होती है. शुक्रवार को कंपनी का शेयर सूचीबद्ध होने के कुछ ही मिनटों में शेयर 138 रुपये पर पहुंच गया. इससे साथ ही कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 लाख करोड़ रुपये को पार हो गई. हालांकि 76 रुपये के रेट पर कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 64,500 करोड़ रुपये है. कंपनी का 9,375 करोड़ का आईपीओ 14 से 16 जुलाई तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था. इसके लिए प्राइस बैंड 72-76 रुपये तय किया गया था. इसके तहत 9,000 करोड़ रुपये के ताजा शेयर जारी किए जाएंगे.

जोमैटो का कैपिटलाइजेशन अकेले ही बाकी की कंपनियों पर भारी

ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो का मार्केट कैपिटलाइजेशन भारत में सभी लिस्टेड क्विक सर्विस रेस्टोरेंट चेन की तुलना में ज्यादा है. इसके साथ ही यह देश में लिस्टेड होटलों के मार्केट कैप की तुलना में भी अधिक है. देश में 20 लिस्टेड हॉस्पिटालिटी कंपनियां हैं . मार्केट कैप में ये सभी जोमैटो से काफी पीछे हो गई हैं. इसके बाद क्विक सर्विस रेस्टोरेंट कंपनियों में जुबिलेंट फूड्स का मार्केट कैप सबसे ज्यादा 41,496 करोड़ रुपये है. वेस्टलाइफ का 7,990 करोड़ रुपये है. बर्गर किंग का मार्केट कैप 6,058 करोड़ रुपये है जबकि बार्बेक्यू नेशन का 3,324 करोड़ रुपये है. होटल कंपनियों में इंडियन होटल का मार्केट कैप 17,446 करोड़ है. इआईएच का मार्केट कैप 7,053 करोड़ रुपये है. दूसरे नंबर पर शलेट होटल है, जिसका मार्केट कैप 3,893 करोड़ का है. महिंद्रा हॉलिडे का मार्केट कैप 3,781, इंडिया टूरिज्म का 3,392 करोड़, लेमन ट्री का 3,351 करोड़ रुपये है.

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होटल कंपनियों के कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन से जोमैटो का कैप दोगुना से ज्यादा है

लॉस मेकिंग कंपनी होने के बाद भी डिमांड में क्यों आया जोमैटो का IPO : जब आप जोमैटो ( Zomato) जैसे स्टॉक्स को देखते हैं तो यह एक लॉस मेकिंग कंपनी है. आईपीओ में दी गई जानकारी के अनुसार, फाइनैंशियल ईर 2021 में जोमैटो का रेवेन्यू एक चौथाई गिरकर 1994 करोड़ रुपये हो गया. लेकिन कंपनी ने अपने घाटे को कंट्रोल किया. भारतीय बाजार प्रॉफिट को लेकर बेहद सख्त है. मार्केट में ऐसा कोई बहुत अच्छा इतिहास नहीं रहा है कि लॉस में चल रही कंपनियों के शेयरों में बहुत तेजी आए. बर्गर किंग जब मार्केट में लिस्टेड हुआ था, उसकी शेयर की कीमत 210 रुपये तक पहुंच गई थी. बाद में वह औंधे मुंह गिरी और 140 रुपये तक पहुंच गई. अभी इसके एक शेयर की कीमत करीब 180 रुपये है. एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि निवेशकों ( investors) को थोड़ा सब्र रखना चाहिए. जोमैटो के शेयर के दाम अभी और बढेंगे. जिन्हें लिस्टिंग होने के बाद शेयर अलॉट हो गई है, उनका फायदा होगा. मगर नए निवेशकों को इसके रेट स्थिर होने का इंतजार करना चाहिए. केडिया एडवाजयरी मुंबई के अजय केडिया आईपीओ और शेयर मार्केट पर बारीक नजर रखते हैं. उनका कहना है कि पिछले कुछ सालों में स्टार्ट अप का रेकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है. करीब 10 कंपनियों में एक की परफॉर्मेंस बेहतर रही है. एक्सपर्ट ऐसे में जोमैटो के भविष्य को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं होने की सलाह देते हैं.

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जोमैटो के बाद क्विक सर्विस रेस्टोरेंट कंपनियों में जुबिलेंट फूड्स का मार्केट कैप सबसे ज्यादा 41,496 करोड़ रुपये है

क्यों बढ़ी आईपीओ की डिमांड : अजय केडिया के अनुसार, कोविड के कारण सबसे 3 साल में लोगों को 'फियर ऑफ मिसिंग' रहा है. सेबी ने कड़े नियमों के कारण निवेशकों को मार्केट में पैसा लगाने का डायरेक्ट ऑप्शन नहीं मिला. इस कारण इन दिनों लॉन्च होने वाले सभी आईपीओ ( initial public offering) को बेहतर रेस्पॉन्स मिला है. सभी आईपीओ में अच्छे रिटर्न दिए हैं. पिछले साल कुल 38 कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हुई थीं, इसमें से 34 कंपनियों के शेयर का रेट IPO के रेट से ज्यादा पर कारोबार कर रहा है.

बड़ा सवाल, क्य़ा जोमैटो बेहतर परफॉर्म करेगा ? : आईपीओ के ओवरव्यू के हिसाब से अब कंपनी पर बेहतर परफॉर्म करने का दबाव होगा. इसे जानने के लिए जोमैटो के बिजनेस रेवेन्यू मॉडल को समझने का प्रयास करें. कंपनी मुख्य रूप से तीन प्राइमरी सोर्स से रेवेन्यू जेनरेट करती है. पहला एड सेल्स यानी विज्ञापन, दूसरा ऑनलाइन ऑर्डर पर सरचार्ज. तीसरा सोर्स हे जोमैटो गोल्ड सेगमेंट. इस सेगमेंट में इसके प्लेटफॉर्म से जुड़े फूड कारोबारी और कस्टमर दोनों मेंबरशिप के लिए पेमेंट करते हैं. जोमैटो कंपनी मुख्य रुप से खर्च कहां करती है. जोमैटो सबसे अधिक विज्ञापन पर खर्च करता है. फिर नंबर आता है सेल्स और लॉजिस्टिक कॉस्ट का. कंपनी डिस्काउंट ऑफर्स में भी काफी खर्च करती है. इन खर्चों के कारण ही जोमैटो लॉस मेकिंग कंपनी ( Loss making company) में शामिल है.

शेयर से क्या है लाभ की संभावना, आंकड़ों में तो उम्मीद है : 2 साल में कोरोना काल में जोमैटो पार्ट ऑफ लाइफ हो गया है. खासकर बड़े शहरों में, जहां लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू के दौरान खाना ऑर्डर करने वालों की तादाद बढ़ी है. मगर रेकॉर्ड फूड डिलिवरी के बाद भी वित्त वर्ष 2021 में संचालन से राजस्व 24% गिरकर 1994 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2020 में अर्जित 2605 करोड़ रुपये था. मार्च 2021 में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के दौरान, जोमैटो ने फूड डिलिवरी सर्विस से 1,715 करोड़ की कमाई की. यह उसकी कुल इनकम का 86% था. बी2बी सर्विसेज ( business-to-business fulfillment) यानी थोक ऑर्डर से भी कंपनी की इनकम बढ़ी. वित्त वर्ष 2020 में हुए लाभ 107.6 करोड़ रुपये के मुकाबले में 200.2 करोड़ रुपये की कमाई की.

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23 मार्च 2020 से अक्टूबर 2020 के बीच जोमैटो ने पूरे देश में कुल 9.2 करोड़ ऑर्डर की डिलिवरी की थी.

समझिए कोरोना कैसे करेगा बिजनेस को प्रभावित : फाइनेंशल एक्सपर्ट अजय केडिया बताते हैं कि कोरोना काल के दौरान भले ही ऑनलाइन फूड ऑर्डर की डिमांड बढ़ी हो, मगर इस दौरान कई छोटे रेस्तरां और होटल बंद भी हुए. इसे सरल भाषा में समझें, कोरोना से पहले 100 लोग बाहर खाना खाते थे. 30 लोग ऑनलाइन ऑर्डर करते थे, 70 लोग खुद रेस्तरां और होटल पहुंचते थे. कोरोना काल में ऑनलाइन फू़ड ऑर्डर करने वालो की तादाद 30 से बढ़कर 50 हो गई मगर होटल में बैठकर खाने वालों की तादाद 70 से घटकर 10 हो गई यानी कुल नुकसान रेस्तरां और होटल का हुआ. जोमेटौ और स्वीगी जैसे ऑपरेटर भी ऐसे लोकल होटल और फूड चेन से खाना डिलिवर करते हैं. यानी कोरोना का मामला बढ़ा तो फूड डिलिवरी करने वाली कंपनियों को भी नुकसान हो सकता है. उसके प्लेटफॉर्म से बंद होने वाले रेस्टोरेंट गायब हो जाएंगे.

मार्केट में है टफ कॉम्पिटिशन, कई कंपनियां हैं टक्कर में : फूड सप्लाई से जुड़ी कई अन्य कंपनियां जुबलिएंट फूडवर्क्स, वेस्टलाइफ, बर्गर किंग, बारबेक्यू नेशन और कॉफी डे शेयर मार्केट में इनरॉल्ड हैं. ये कंपनियां अपना प्रोडक्ट ही डिलिवरी करती हैं. इनकी ब्रांड वैल्यू भी बेहतर है. जोमैटो फूड चेन, रेस्टोरेंट, लोकल होटल्स के प्रोडक्ट को डिलिवर करता है. जहां इसका कॉम्पिटिशन स्वीगी, उबर इटस और रेस्टोरेंट चेन्स से है. अब कंपनी को बेहतर ऑफर और रणनीति की प्लानिंग करनी होगी, ताकि निवेशकों का भरोसा बना रहे.

Last Updated : Jul 23, 2021, 7:11 PM IST
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