भीलवाडा. तीन दिवसीय योग शिविर के पहले बाबा रामदेव ने बच्चों में शिक्षा, संस्कार व सामाजिक सरोकार की जरूरत बताई. स्वामी रामदेव ने कहा कि पुराने समय में हमारी भारतीय संस्कृति का बहुत तिरस्कार हुआ था. अब भगवान श्री राम के मंदिर का लोकार्पण होगा जो बहुत बड़े गौरव का पल है. वहीं युवाओं को मोबाइल से दूर रहकर शिक्षा व सामाजिक संस्कार की ओर आगे बढ़ना चाहिए. युवा मोबाइल का उपयोग कर विदेशी षडयंत्रों का कंज्यूमर न बनें.
वही योग शिविर की समाप्ति के बाद बाबा रामदेव ने कहा कि कोरोना के बाद योग व आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है. योग को किस प्रकार आगे बढ़ाया जाएगा के सवाल पर रामदेव ने कहा कि योग खाली एक्सरसाइज, सूर्य नमस्कार, व्यायाम, प्राणायाम व ध्यान नहीं है. योग एक बहुत ही वैज्ञानिक, प्रमाणिक, व्यवहारिक, सार्वभौमिक साइंटिफिक यूनिवर्सल ऑथेंटिक है. जो व्यक्ति योग करेंगे उनके जीवन में कोई रोग व दुख- दर्द नहीं होगा. कर्मयोग करने वाले व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य लाभ, सुख व समृद्धि आती है. योग को वर्तमान में पूरी दुनिया इसलिए स्वीकार कर रही है क्योंकि सभी को स्वास्थ्य, सुख, शांति, समृद्धि व प्रसन्नता चाहिए. ये सारी चीजें योग से ही मिलती है. इसलिए सारी दुनिया योग की तरफ लौट रही है और लौटेगी. योग धर्म के माध्यम से पूरी दुनिया में सनातन धर्म का गौरव बढ़ रहा है और बढ़ता ही जाएगा.
वर्तमान में युवा पीढ़ी मोबाइल की ओर बढ़ रही है, सामाजिक संस्कार व शिक्षा से दूर होती जा रही है के सवाल पर रामदेव ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी मोबाइल की ओर बढ़ रही है. सोशल मीडिया का एडिक्शन यह भी एक बहुत बड़ा रोग हो गया है. जिससे युवाओं में आंखों व दिमाग की बीमारी के साथ ही युवा मानसिक व बौद्धिक दिवालियापन के शिकार हो रहे हैं. ज्यादा मोबाइल का यूज करने के दौरान मोबाइल में अलग-अलग प्रकार के दृश्य देखते और सुनते हैं. इस दौरान युवा पूरी अश्लीलता को कनज्यूम करते हैं. जिनसे युवाओं के जीवन में बहुत बड़े दूरगामी विकार पैदा होते हैं. इसलिए हमें किसी भी तरह से विदेशी षडयंत्रों का कंज्यूमर नहीं बनना चाहिए.
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अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर का वर्ष 2024 में लोकार्पण के सवाल पर रामदेव ने कहा कि यह एक बहुत बड़ा गौरव का पल है. जब हम अपने पूर्वजों, अपनी संस्कृति व स्वाभिमान को उस स्थान पर देखेंगे तो बहुत गौरव होगा. पुराने समय में सनातन धर्म, सनातन संस्कृति का बहुत तिरस्कार होते हुए हमने देखा अब सनातन धर्म के गौरव का युग है. इसमें सभी को भारतीय होने की गौरवानुभूति है.