दौसा. जिले के नांगल राजावतान तहसील स्थित मीणा समाज की हथाई (चबूतरा) को मीणा हाईकोर्ट के (Meena High Court in Dausa) नाम से जाना जाता है. किसी भी समाज में कुरीतियों को दूर करने के लिए मीणा पंचायत यानी मीणा हाईकोर्ट की ओर से सामूहिक निर्णय लिए जाते हैं. समाज के पंच मिलकर मीणा हाईकोर्ट में निर्णय लेते हैं. इसमें समाज के लोगों को भी सुझाव लेने के लिए जोड़ा जाता है और फिर एकजुट होकर निर्णय लिया जाता है. क्योंकि दौसा जिले के पचवारा इलाके में एसटी वर्ग में मीणा जाति की संख्या अधिक है.
मीणा समाज के लोग जब भी कोई निर्णय लेते थे तो नांगल प्यारीवास में एकत्रित होते थे. ये खेत में एक जगह पर जमा होते थे और टेंट आदि लगाकर घंटों आपस में चर्चा करने के बाद उस मामले पर निर्णय लिया जाता था. बदलते जमाने के साथ-साथ पंचायत स्थल का भी विकास हुआ और अब इसे मीणा हाईकोर्ट के नाम से जाना जाने लगा है. मीणा हाईकोर्ट प्यारीवास में लालसोट रोड पर स्थित है जिसमें समाज के भामाशाह व दानदाताओं ने धनराशि एकत्रित कर इसे विकसित किया है. अब यह स्थान किसी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो चुका है.
मीणा होईकोर्ट बनाने का श्रेय किरोड़ी लाल मीणा को
स्थानिय लोगों की माने तो इसका पूरा श्रेय राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि डॉ. किरोड़ी लाल मीणा पिछले कई वर्षों से समाज के हित में पंच पटेलों से कई कुरीतियों को दूर करने संबंधी निर्णय लिए हैं जिनमें नुक्ता प्रथा, नाता प्रथा आदि शामिल हैं. उसी का परिणाम है कि अब मीणा समाज शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है. यह पंचायत के माध्यम से ही लिए गए निर्णय का असर है कि आज देश में मीणा समाज के आईएएस, आईपीएस और बड़े सरकारी पदों पर तैनात हैं. इसके साथ ही राजनीति में भी यह प्रमुख पदों पर हैं.
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राजस्थान में गंभीर पेयजल संकट है. खासकर पूर्वी राजस्थान के 13 जिले ऐसे हैं जहां सिंचाई के साथ-साथ पीने का पानी का अभाव है. इसमें दौसा सहित पूर्वी राजस्थान के अनेक जिले शामिल हैं. राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने इस परियोजना को इस बार अपना बनाया है और इसके लिए भी विश्व आदिवासी दिवस पर एक विशाल आम सभा कर समाज के लोगों को एकजुट कर रहे हैं और इससे योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने के लिए उनसे वार्ता कर आगामी रूपरेखा तय करेंगे.
नांगल प्यारीवास बना मीणा हाईकोर्ट...
राजस्थान के दौसा जिले में एक छोटी सी जगह नांगल प्यारीवास को चूडियावास कांड ने हाईकोर्ट बना डाला. स्थानिय लोगों के बताए अनुसार 16 जुलाई 1993 को एक विवाहिता प्रेमदेवी ने अपनी मां अमरी देवी व उसके प्रेमी चाचा घासी के साथ मिलकर पती भगवानाराम की हत्या कर शव खेत में फेंक दिया था. इस घटना की एफआईआर नांगल राजावतान थाने में आईपीसी की धारा 302 में दर्ज हुई. पुलिस की कार्रवाई से असन्तु़ष्ट लोगों में आक्रोश व्यापत हो गया और समाज के लोगों ने प्रेमदेवी के ससुराल तीतरवाड़ा में खाप पंचायत आयोजित की.
पंचायत में भगवानाराम की हत्या करने की बात कबुल कर ली. इसी मामले को लेकर 24 अगस्त 1993 को चूडियावास गांव में 11 गांवों की महापंचायत आयोजित हुई और इसी पंचायत के पंच पटेलों ने अमरी व उसके प्रेमी घासी को हत्या का दोषी करार देते हुए दोनों को देश निकाला की सजा देने के साथ ही गांव में निर्वस्त्र कर घुमाने की सजा सुना दी गई. पंचायत के फैसले के अनुसार दोनों को निर्वस्त्र कर मूंह काला किया गया. बाल काटकर गधे पर घासी को बैठा दिया गया और गधे की डोर अमरी को थमा दी गई. दोनों का चूडियावास गांव में जूलूस निकालकर पैदल नांगल राजावतान लाया गया. इसी बीच दौसा व नांगल राजावतान पुलिस प्यारीवास की झिलमिल नदी के पास से 8 पंचों को गिरफ्तार कर ले गई. इस फैसले व कृत्य के खिलाफ नांगल राजावतान थाना पुलिस ने 24 अगस्त को मामला दर्ज कर लिया.
थाने में आग लगाकर छुड़ा ले गए थे पंचों को
लोग मानते हैं कि पंचों की ओऱ से सुनाया गया फैसला कानूनी रुप से सही नहीं था, लेकिन पुराने जमाने में खाप पंचायत ऐसे फैसले सुनाती रहीं हैं. इसी सोच व परम्परा के चलते पंचों की गिरफ्तारी से इलाके की जनता भड़क गई. कुछ लोगों ने न्यायालय में पंचों की जमानत याचिका भी लगाई गई, लेकिन न्यायालय ने जमानत खारिज कर दी. इसके बाद पूर्वी राजस्थान के कद्दावर नेता डॉक्टर किरोड़ी लाल ने इस आंदोलन की कमान अपने हाथों में ली. इसके बाद आक्रोशित लोगों ने नांगल राजावतान थाने को आग लगाकर पुलिस की गिरफ्त से सभी 8 पंचों को छुड़ा लिया. इसके बाद फिर एक मामला दर्ज हुआ और यहां की ये खाप पंचायत क्षेत्र में मीणा हाईकोर्ट के नाम से जानी जाने लगी.