भोपाल। मध्यप्रदेश की एक हथिनी को दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी के दावे को पुख्ता करने के लिए एक सर्टिफिकेट की जरूरत है. यह सर्टिफिकेट पिछले दस सालों उसे नहीं मिल पाया. इसकी वजह से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की सूची में इस हथिनी वत्सला का नाम शामिल नहीं हो पा रहा. करीब 100 साल की हो चुकी हाथिनी की उम्र को लेकर अब पन्ना टाइगर रिवर्ज प्रबंधन द्वारा फिर नए सिरे से केरल के नीलांबुज वन मंडल को पत्र लिखा गया है. साथ ही अब प्रबंधन हथिनी की उम्र का पता लगाने मेडिकल टेस्ट कराने पर भी विचार कर रहा है. दुनिया में सबसे बुजुर्ग हाथी का रिकॉर्ड ताइवान के लिन वांग के नाम है, जिसकी 86 साल की उम्र में मौत हो चुकी है.
लकड़ी के सहारे चलती है हथिनी: पन्ना टाइगर रिजर्व में रहने वाली हथिनी की उम्र 100 साल से ज्यादा हो चुकी है. हालांकि उम्र के दावे को पुख्ता करने के लिए सालों की मशक्कत के बाद भी इसका लिखित दस्तावेज प्राप्त नहीं हो सके हैं. इसकी वजह से सबसे बुजुर्ग हथिनी का दावा गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज नहीं हो पाया. पन्ना टाइगर रिजर्व के डॉ. संजीव गुप्ता बताते हैं कि वल्सला का जन्म केरल में हुआ था. यहां पकड़कर इससे पहले वहां लकड़ियां उठाने का काम किया जाता था. मध्यप्रदेश में इस हथिनी को 1971 में लाया गया था. 1993 में यह पन्ना टाइगर रिजर्व पहुंची.
डॉ. संजीव गुप्ता बताते हैं कि उम्र ज्यादा होने से वत्सला को दिखाई देना कम हो गया है. इसकी वजह से यह अब लाठी के सहारे चलती है. वत्सला की महावत रमजान खान करीबन 30 सालों से इसकी देखरेख कर रहे हैं. महावत रमजान और उनके सहायक मनीराम इसकी निगरानी करते हैं. महावत बताते हैं कि हथिनी को समय-समय पर घुमाने-फिराने के लिए लकड़ी का सहारा लिया जाता है. इसके लिए उसे बांस की लकड़ी सूंढ में पकड़ा दी जाती है, फिर वह महावत के पीछे पीछे चलती है.
डाइटिंग का रखा जाता है खास ख्याल: पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर बृजेन्द्र झा कहते हैं कि हथिनी वत्सना की उम्र बहुत ज्यादा होने से उसमें बढ़ती उम्र की समस्याएं आने लगी है. हथिनी के दांत गिर चुके हैं. इसके अलावा उसके दो बड़े ऑपरेषन भी हो चुके हैं, इसलिए खाने-पीने का खास ख्याल रखा जाता है.
- हाथिनी को सॉफ्ट घास खाने के लिए दिया जाता है.
- सुबह हथिनी को नमक, तेल और गुड़ मिलाकर दलिया खिलाया जाता है.
- चने के लड्डू बनाकर खिलाए जाते हैं.
मेडिकल टेस्ट से उम्र का पता लगाने की कोशिश: पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर बृजेन्द्र झा कहते हैं कि हथिनी वत्सला की उम्र 100 से ज्यादा मानी जाती है, लेकिन इसका कोई लिखित रिकॉर्ड नहीं है. इस वजह से गिनीज बुक्स ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में इसका नाम दर्ज नहीं कराया जा सका है. हालांकि पूर्व में भी इसको लेकर केरल वन मंडल को कई बार पत्र लिखे जा चुके हैं. एक बार फिर के नीलांबुज वन मंडल को पत्र लिखा जा रहा है. इसके अलावा वाइल्ड एनीमल के डॉक्टर्स से भी चर्चा की जा रही है ताकि डीएनए आदि किसी तरह के मेडिकल टेस्ट से इसकी उम्र का पता लगाया जा सके.
हाथी रामबहादुर का हथिनी से बैर: पन्ना टाइगर रिजर्व के दूसरे हथिनी रामबहादुर का बुजुर्ग हथिनी वत्सला से बैर चलता है. नर हाथी रामबहादुर पिछले साल महावत की जान ले चुका है. इसके बाद उसे अलग रखा जाता है. नर हाथी रामबहादुर दो बार वत्सला पर हमला कर चुका है. 2003 में रामबहादुर ने उस पर हमला कर दिया था, जिससे वत्सला के पेट में 200 टांके आए थे. इसी तरह 2008 में भी नर हाथी ने उस पर हमला कर दिया था. फील्ड डायरेक्टर कहते हैं कि आज भी नर हाथी रामबहादुर बुजुर्ग को बुजुर्ग हाथी से दूर रखा जाता है. उसको लेकर रामबहादुर का व्यवहार हमलावर रहता है.
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पन्ना में कुल 16 हाथी, साल भर में खा जाते हैं 172 क्विंटल आटा: पन्ना टाइगर रिजर्व में बुजुर्ग हथिनी वत्सला सहित कुल 16 हाथी हैं. इसमें 8 बड़े हाथी हैं. इन हाथियों की डाइट के लिए टाइगर रिजर्व द्वारा पर्याप्त इंतजाम किया जाता है. इनकी डाइट के लिए आटा का इंतजाम तो होता ही है, साथ ही साल भर में यह 172 क्विंटल गेंहू का आटा, 198 क्विंटल मोटा चावल, 43 क्विंटल साबुत काले चने, 108 क्विंटल गेहूं का दलिया और 58 क्विंटल गुड खा जाते हैं.