ETV Bharat / bharat

World Museum Day: इतिहास को संरक्षित रखे है भिंड का म्यूजियम, यहां मौजूद उमा-महेश्वर की प्रतिमा को मिली वर्ल्ड ऑर्कियोलॉजी में 51वीं रैंक

जिस चम्बल का नाम सुनकर आज भी देश में लोग डकैतों की परिकल्पना कर लेते हैं लेकिन शायद बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि यही बीहड़ हजारों वर्षों से हमारे इतिहास और पुरातत्व संपदाओं को अपने में समेटे हुए हैं. इतिहास के पन्नों से निकल कर जो खजाने सबके सामने आ जाते हैं उन्हें संग्रहालय में संजोया जाता है, जिससे कि लोग उन्हें देख कर भारत के खूबसूरत इतिहास के बारे में जान सकें. अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर हम एक ऐसी खोज एक ऐसी प्रतिमा के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो इसी चम्बल की धरा से मिली और भारत के साथ साथ विदेश में भी अपनी पहचान बनायी. ये है 9वीं सदी की उमा महेश्वर की प्रतिमा.

specialty of statue of Uma Maheshwar
उमा महेश्वर की प्रतिमा
author img

By

Published : May 18, 2023, 10:08 AM IST

Updated : May 18, 2023, 8:53 PM IST

सागर यूनिवर्सिटी और रूस के बीच हुआ करार

भिंड। वैसे तो चम्बल सिर्फ खून खराब बंदूक गोलियों और अपराधों के लिए आज भी बदनाम है. डकैत खत्म हो गए लेकिन उस बदनामी का दाग आज भी इस क्षेत्र पर लगा हुआ. लेकिन इस क्षेत्र की पहचान भारत की पुरातत्व संपदाओं की खूबसूरती के लिए भी है. चम्बल का भिंड जिला रामायण काल से लेकर 15वीं सदी तक का इतिहास अपने अंदर दबाए हुए है. भिंड के बीहड़ और इनके आसपास बड़े दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां महाभारत और रामायण काल तक के ऑर्नामेंट्स मिले हैं. सदियों पुरानी प्रतिमाएं मिली हैं. ये प्रतिमाएं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन हैं जो ग्वालियर और भिंड के संग्रहालयों में प्रदर्शित हैं.

specialty of statue of Uma Maheshwar
उमा महेश्वर की प्रतिमा की खासियत

फ्रांस-मॉस्को में हुआ था प्रदर्शन, 51वीं मिली थी वर्ल्ड रैंकिंग: भिंड संग्रहालय में मौजूद है उमा-महेश्वर की एक पाषाण प्रतिमा. ये प्रतिमा भारतीय पुरातत्व विभाग को भिंड जिले के बरासो गांव से प्राप्त हुई थी. ख़ास बात यह है कि उमा महेश्वर की यह प्रतिमा भारतीय पुरातत्व विभाग के साथ देश ही नहीं बल्कि दो विदेश की भी यात्रा कर चुकी है. जिला पुरातत्व अधिकारी के मुताबिक 90 के दशक में यह प्रतिमा रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित मॉस्को महोत्सव और फ़्रांस महोत्सव में भी प्रदर्शित हुई थी. यह हुई रैंकिंग में वर्ल्ड आर्कियोलॉजी में इसे 51वीं रैंक दी गई थी. जो विश्व स्तर पर बहुत बड़ी बात थी. आज भी यह प्रतिमा भिंड के जिला पुरातत्व संग्रहालय में संरक्षित और प्रदर्शित है जिसे पर्यटक संग्रहालय के समय में कभी भी देख सकते हैं.

भिंड से विदेश तक की यात्रा
भिंड से विदेश तक की यात्रा

बेहद मनमोहक है उमा महेश्वर की प्रतिमा: पुरातत्व विभाग के जिला अधिकारी और इतिहास के जानकर वीरेंद्र पांडेय ने उमा महेश्वर की इस 9वीं सदी की प्रतिमा के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि ''यह प्रतिमा बहुत खास और खूबसूरत है, क्योंकि अमूमन इस तरह की प्रतिमाएं देखने को नहीं मिलती हैं. इस प्रतिमा को देखने पर इसकी सुंदरता का आभास होता है. प्रतिमा में एक ही पाषाण (पत्थर) पर कलाकार ने शिव और पार्वती को उकेरा है, जिनके ऊपर चार शिवलिंग दिखाई देते हैं. इन शिवलिंग के दोनों ओर वानर बैठे नजर आते हैं जो फल उठाकर खा रहे हैं. भगवान महेश यानी शिवजी के कंधे पर गोह यानी बड़ी छिपकली जैसा जानवर बैठा हुआ है, जिसे देख उमा यानि पार्वती भयभीत हैं. उमा महेश के नीचे उनके पुत्र कार्तिकेय हैं जो मोर पर बैठे हैं और वह मोर नंदी को छेड़ने का प्रयास कर रहा, जिससे नंदी बाबा बिदक रहे हैं. उनके ऐसा करने से श्री गणेश भी गिरते नजर आ रहे हैं. यही दृश्य महर्षि भृंगी ऋषि द्वारा भी पुराणों में वर्णित हैं जो कार्तिकेय और गणेश के बीच जारी शीत युद्ध की परिकल्पना को दर्शा रहा है.''

उमा-महेश्वर की प्रतिमा
म्यूजियम में मौजूद है उमा-महेश्वर की प्रतिमा

संग्रहालय में संरक्षित है इतिहास का खजाना: भिंड किले में संचालित जिला पुरातत्व संग्रहालय भिंड की उन तमाम ऐतिहासिक महत्व की संपदाओं और प्रतिमाओं के अवशेष को संरक्षित रखने का काम कर रहा है. जिला पुरातत्व अधिकारी के वीरेंद्र पांडेय के मुताबिक, जिले के अलग अलग इलाकों में ऐतिहासिक महत्व के तथ्य मिले हैं. खनेता, बरासों और बरहद गांव में कच्छवघात कालीन प्राचीन विष्णु मंदिर बने हुए हैं, तो वहीं सागर, नयागांव और रौन क्षेत्र और उसके आसपास के गांव में भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पाषाणकाल के प्रतिमाएं और अवशेष मिलते रहे हैं.

Uma Maheshwar Museum of Bhind
भिंड का म्यूजियम

सौंदर्यीकरण से आएगी रौनक, फंड की कमी बड़ी समस्या: जिला संग्रहालय में करीब 150 प्रतिमाएं संरक्षित हैं जिन्हें आम जानता के सामने प्रदर्शित किया जा रहा है. वहीं आज भी बहुत से गांव ऐसे हैं जहां अब भी हिस्टोरिकल प्रतिमाएं दबी हुए हैं और जब ये बाहर आएंगी तो इतिहास के नये पन्नों में अपनी जगह बनाएंगी. हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि फंड की कमी इस संग्रहालय को जर्जर बना रही है. यदि यहां आने वाले पर्यटकों के लिए सुविधाओं पर पर्यटन विभाग ध्यान दें तो आने वाले समय में कई ऐसे लोग होंगे जो इस इतिहास के बारे में जानने के लिए जरूरी पहुंचेंगे.

सागर यूनिवर्सिटी और रूस के बीच हुआ करार

भिंड। वैसे तो चम्बल सिर्फ खून खराब बंदूक गोलियों और अपराधों के लिए आज भी बदनाम है. डकैत खत्म हो गए लेकिन उस बदनामी का दाग आज भी इस क्षेत्र पर लगा हुआ. लेकिन इस क्षेत्र की पहचान भारत की पुरातत्व संपदाओं की खूबसूरती के लिए भी है. चम्बल का भिंड जिला रामायण काल से लेकर 15वीं सदी तक का इतिहास अपने अंदर दबाए हुए है. भिंड के बीहड़ और इनके आसपास बड़े दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां महाभारत और रामायण काल तक के ऑर्नामेंट्स मिले हैं. सदियों पुरानी प्रतिमाएं मिली हैं. ये प्रतिमाएं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन हैं जो ग्वालियर और भिंड के संग्रहालयों में प्रदर्शित हैं.

specialty of statue of Uma Maheshwar
उमा महेश्वर की प्रतिमा की खासियत

फ्रांस-मॉस्को में हुआ था प्रदर्शन, 51वीं मिली थी वर्ल्ड रैंकिंग: भिंड संग्रहालय में मौजूद है उमा-महेश्वर की एक पाषाण प्रतिमा. ये प्रतिमा भारतीय पुरातत्व विभाग को भिंड जिले के बरासो गांव से प्राप्त हुई थी. ख़ास बात यह है कि उमा महेश्वर की यह प्रतिमा भारतीय पुरातत्व विभाग के साथ देश ही नहीं बल्कि दो विदेश की भी यात्रा कर चुकी है. जिला पुरातत्व अधिकारी के मुताबिक 90 के दशक में यह प्रतिमा रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित मॉस्को महोत्सव और फ़्रांस महोत्सव में भी प्रदर्शित हुई थी. यह हुई रैंकिंग में वर्ल्ड आर्कियोलॉजी में इसे 51वीं रैंक दी गई थी. जो विश्व स्तर पर बहुत बड़ी बात थी. आज भी यह प्रतिमा भिंड के जिला पुरातत्व संग्रहालय में संरक्षित और प्रदर्शित है जिसे पर्यटक संग्रहालय के समय में कभी भी देख सकते हैं.

भिंड से विदेश तक की यात्रा
भिंड से विदेश तक की यात्रा

बेहद मनमोहक है उमा महेश्वर की प्रतिमा: पुरातत्व विभाग के जिला अधिकारी और इतिहास के जानकर वीरेंद्र पांडेय ने उमा महेश्वर की इस 9वीं सदी की प्रतिमा के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि ''यह प्रतिमा बहुत खास और खूबसूरत है, क्योंकि अमूमन इस तरह की प्रतिमाएं देखने को नहीं मिलती हैं. इस प्रतिमा को देखने पर इसकी सुंदरता का आभास होता है. प्रतिमा में एक ही पाषाण (पत्थर) पर कलाकार ने शिव और पार्वती को उकेरा है, जिनके ऊपर चार शिवलिंग दिखाई देते हैं. इन शिवलिंग के दोनों ओर वानर बैठे नजर आते हैं जो फल उठाकर खा रहे हैं. भगवान महेश यानी शिवजी के कंधे पर गोह यानी बड़ी छिपकली जैसा जानवर बैठा हुआ है, जिसे देख उमा यानि पार्वती भयभीत हैं. उमा महेश के नीचे उनके पुत्र कार्तिकेय हैं जो मोर पर बैठे हैं और वह मोर नंदी को छेड़ने का प्रयास कर रहा, जिससे नंदी बाबा बिदक रहे हैं. उनके ऐसा करने से श्री गणेश भी गिरते नजर आ रहे हैं. यही दृश्य महर्षि भृंगी ऋषि द्वारा भी पुराणों में वर्णित हैं जो कार्तिकेय और गणेश के बीच जारी शीत युद्ध की परिकल्पना को दर्शा रहा है.''

उमा-महेश्वर की प्रतिमा
म्यूजियम में मौजूद है उमा-महेश्वर की प्रतिमा

संग्रहालय में संरक्षित है इतिहास का खजाना: भिंड किले में संचालित जिला पुरातत्व संग्रहालय भिंड की उन तमाम ऐतिहासिक महत्व की संपदाओं और प्रतिमाओं के अवशेष को संरक्षित रखने का काम कर रहा है. जिला पुरातत्व अधिकारी के वीरेंद्र पांडेय के मुताबिक, जिले के अलग अलग इलाकों में ऐतिहासिक महत्व के तथ्य मिले हैं. खनेता, बरासों और बरहद गांव में कच्छवघात कालीन प्राचीन विष्णु मंदिर बने हुए हैं, तो वहीं सागर, नयागांव और रौन क्षेत्र और उसके आसपास के गांव में भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पाषाणकाल के प्रतिमाएं और अवशेष मिलते रहे हैं.

Uma Maheshwar Museum of Bhind
भिंड का म्यूजियम

सौंदर्यीकरण से आएगी रौनक, फंड की कमी बड़ी समस्या: जिला संग्रहालय में करीब 150 प्रतिमाएं संरक्षित हैं जिन्हें आम जानता के सामने प्रदर्शित किया जा रहा है. वहीं आज भी बहुत से गांव ऐसे हैं जहां अब भी हिस्टोरिकल प्रतिमाएं दबी हुए हैं और जब ये बाहर आएंगी तो इतिहास के नये पन्नों में अपनी जगह बनाएंगी. हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि फंड की कमी इस संग्रहालय को जर्जर बना रही है. यदि यहां आने वाले पर्यटकों के लिए सुविधाओं पर पर्यटन विभाग ध्यान दें तो आने वाले समय में कई ऐसे लोग होंगे जो इस इतिहास के बारे में जानने के लिए जरूरी पहुंचेंगे.

Last Updated : May 18, 2023, 8:53 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.