नई दिल्ली : भारत बायोटेक के कोविड रोधी टीके 'कोवैक्सीन' (Covaxin) को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से मान्यता मिल गई है. सूत्रों के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ ने 'कोवैक्सीन' को आपातकालीन उपयोग (ईयूएल) की मंजूरी दे दी है.
इससे पहले WHO ने 'कोवैक्सीन' को आपातकालीन उपयोग की सूची में शामिल करने के लिए भारत बायोटेक से 'अतिरिक्त स्पष्टीकरण' मांगा था. कोवैक्सीन को ईयूएल की मंजूरी को लेकर वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी ने इस बात पर जोर दिया कि टीका सुरक्षित और प्रभावी है, यह सुनिश्चित करने के लिए उसका पूरी तरह से मूल्यांकन करना होगा.
डब्ल्यूएचओ में औषधि और स्वास्थ्य उत्पाद तक पहुंच मामलों की सहायक महानिदेशक डॉ. मरीयंगेला सिमाओ ने बीते दिनों कोवैक्सीन को आपात उपयोग सूचीबद्धता प्रदान करने में देर के सवाल पर कहा था कि भारत बायोटेक नियमित रूप से और बहुत तेजी से आंकड़े सौंप रहा है. उन्होंने कहा कि कंपनी ने आंकड़ों का बैच पिछली बार 18 अक्टूबर को सौंपा था.
बता दें, स्वदेश निर्मित 'कोवैक्सीन' उन तीन कोविड टीकों में से एक है जिन्हें भारत के दवा नियामक से आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी मिली है और इसका उपयोग राष्ट्रव्यापी टीकाकरण कार्यक्रम में कोविशील्ड और स्पूतनिक-वी के साथ किया जा रहा है.
डब्ल्यूएचओ का तकनीकी परामर्शदाता समूह एक स्वतंत्र सलाहकार समूह है, जो डब्ल्यूएचओ को यह सिफारिश करता है कि क्या किसी कोविड-19 रोधी टीके को ईयूएल प्रक्रिया के तहत आपात उपयोग के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है या नहीं.
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कोवैक्सीन ने लक्षण वाले कोविड-19 रोग के खिलाफ 77.8 प्रतिशत प्रभाव दिखाया है और वायरस के नये डेल्टा स्वरूप के खिलाफ 65.2 प्रतिशत सुरक्षा दर्शाई है. कंपनी ने जून में कहा था कि उसने तीसरे चरण के परीक्षणों से कोवैक्सीन के प्रभाव का अंतिम विश्लेषण समाप्त किया है.
हाल ही में भारत बायोटेक ने बताया कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने उसके कोविड-19 टीके कोवैक्सीन के इस्तेमाल के लिए उपयुक्त होने (शेल्फ लाइफ) की अवधि बढ़ाकर निर्माण की तारीख से 12 महीने तक कर दी है.
भारत बायोटेक ने ट्वीट किया कि सीडीएससीओ ने इस्तेमाल के लिए कोवैक्सीन के उपयुक्त होने की अवधि निर्माण की तारीख से 12 महीने तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी है. इस्तेमाल के लिए उपयुक्त होने की अवधि में विस्तार की यह मंजूरी अतिरिक्त स्थिरता आंकड़ों की उपलब्धता पर आधारित हैं. इन आंकड़ों को सीडीएससीओ को सौंपा गया था.
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उसने बताया कि हमारे हितधारकों को इस अवधि में विस्तार की जानकारी दे दी गई है.
क्या है 'कोवैक्सिन' और कैसे विकसित किया गया
कोवैक्सिन टीका भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के सहयोग से विकसित किया है. कोविड-19 स्ट्रेन (प्रजनन) को पुणे स्थित एनआईवी में अलग किया गया और भारत बायोटेक में स्थानांतरित किया गया. हैदराबाद के जिनोम घाटी में स्थित भारत बायोटेक के हाई कन्टेंमेंट फैसिलिटी बीएसएल-3 (बायो-सेफ्टी लेवल 3) में कोरोना टीका विकसित और निर्मित किया गया. भारत बायोटेक दुनिया की एकमात्र वैक्सीन निर्माता कंपनी है, जिसके पास बीएसएल-3 प्रोडक्शन फैसिलिटी है.
भारत बायोटेक के सफर पर एक नजर
भारत बायोटेक ने 140 से अधिक वैश्विक पेटेंट के साथ नवाचार का एक उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड स्थापित किया है, जिसमें 16 से अधिक टीके, 4 जैव-चिकित्सीय, 116 से अधिक देशों में पंजीकरण और डब्ल्यूएचओ प्री-क्वालिफिकेशन शामिल है.
हैदराबाद की जेनोम वैली में स्थित इस कंपनी ने एक वैश्विक स्तर की वैक्सीन एवं जैव-चिकित्सा, अनुसंधान एवं उत्पाद विकास, बायो-सेफ्टी लेवल 3 विनिर्माण, और वैक्सीन की आपूर्ति और वितरण का निर्माण किया है.
दुनियाभर में टीकों की चार बिलियन से अधिक खुराक की आपूर्ति करने के बाद, भारत बायोटेक ने नवाचार का नेतृत्व करना जारी रखा है. कंपनी ने एच1एन1, रोटावायरस, जापानी एन्सेफलाइटिस, रेबीज, चिकनगुनिया, जीका वायरस के लिए टीका विकसित करने के साथ टाइफाइड के लिए दुनिया का पहला संयुग्मित वैक्सीन विकसित किया है.
कंपनी बड़े स्तर पर कई केंद्रों पर नैदानिक परीक्षणों का संचालन करने में कुशल है और वैश्विक स्तर पर तीन लाख से अधिक विषयों में 75 से अधिक परीक्षण पूरा कर चुकी है.