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World Brain Tumor Day : ट्रीटमेंट के साथ पॉजिटिव रहने की जरूरत, जाने- लक्षण और उपचार - ट्रीटमेंट के साथ पॉजिटिव रहने की जरूरत

आज के ही दिन दुनिया भर में ब्रेन ट्यूमर डे मनाया जाता है. एक घातक बीमारी जिसकी चपेट में हर उम्र के लोग आ रहे हैं. भारत की बात करें तो इसके इलाज के लिए न्यूरोसर्जन का संकट है. वहीं ब्रेन ट्यूमर पर सटीक वार करने वाली रेडियोथेरेपी की 'गामा नाइफ' की तादाद भी बेहद कम हैं.

ब्रेन ट्यूमर डे
ब्रेन ट्यूमर डे
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Published : Jun 8, 2021, 9:05 AM IST

Updated : Jun 8, 2021, 12:53 PM IST

लखनऊ : दुनियाभर में आठ जून को ब्रेन ट्यूमर डे मनाया जाता है. इसका मकसद, जागरूकता के जरिए आमजन को घातक बीमारी से सतर्क करना है. यह शरीर के सबसे संवेदनशील अंग मस्तिष्क को किसी भी उम्र में अपनी चपेट में ले लेता है. युवा, बुजुर्ग हों या बच्चे सभी पर ट्यूमर हमलावर है. इसमें सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी ही इलाज का विकल्प है. वहीं देश की आबादी के लिहाज से संसाधनों का अभाव है. ऐसे में इस इस घातक बीमारी से कैसे बचना है और इसके क्या लक्षण हैं इसके बारे में हमको जानना बहुत जरूरी है.

क्या होता है ब्रेन ट्यूमर

ब्रेन ट्यूमर एक ऐसी बीमारी है जिसमें दिमाग में मौजूद कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं. जो बहुत खतरनाक स्थिति पैदा कर देती हैं. इसमें धीरे-धीरे मस्तिष्क में टिश्यूज़ की एक गांठ बन जाती है जिसे ब्रेन ट्यूमर कहा जाता हैं. बीमारी का पता चलने के बाद मरीज इसे लेकर बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेने लगता है जो मरीज के लिए और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है. ट्रीटमेंट के साथ इसमें पॉजिटिव रहने की बहुत ज्यादा जरूरत होती है.

हर दिन मिल रहे तीन हजार से ज्यादा ब्रेन ट्यूमर के मरीज
लोहिया संस्थान के न्यूरोसर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक ब्रेन ट्यूमर के दुनियाभर में हर दिन 3000 ज्यादा मरीज डायग्नोस किए जाते हैं. इसमें यदि दिमाग में फैलने वाले अन्य तरह के कैंसर जोड़ लें तो मरीजों की संख्या 8 से 10 हजार हो जाती है. वहीं भारत में एक लाख लोगों में 5-10 मरीज ब्रेन ट्यूमर के हो सकते हैं. बच्चों में होने वाले सभी ट्यूमर एक चौथाई (26 फीसद) ब्रेन ट्यूमर होते हैं.

देश में हर साल बनते हैं 200 न्यूरो सर्जन

डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक देश में करीब दो हजार न्यूरो सर्जन हैं. वहीं आबादी व बढ़ती बीमारी के लिहाज से आवश्यकता 15 से 20 हजार न्यूरोसर्जन की है. देश के 60 मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जरी की पढ़ाई होती है. यहां से हर वर्ष 200 डॉक्टर न्यूरो सर्जरी की ट्रेनिंग लेकर निकलते हैं. इसमें से कई विदेश चले जाते हैं. ऐसे में नए ट्रेनिंग सेंटर व एमसीएच न्यूरो सर्जरी की सीटें बढ़ानी होंगी. स्थिति यह है मरीज का समय गत ऑपरेशन के लिए न्यूरोसर्जन का संकट है. वहीं ब्रेन ट्यूमर पर सटीक वार करने वाली रेडियोथेरेपी की 'गामा नाइफ' की तादाद भी बेहद कम हैं. हालांकि यूपी सरकार ने इस दिशा में सुधार के लिए कदम बढ़ा दिए हैं. अब अन्य राज्यों को भी ठोस प्रयास करने होंगे.

पढें- विश्व खाद्य सुरक्षा दिवसः दूषित खान-पान से हर मिनट 44 लोग होते हैं बीमार

यूपी में लखनऊ में सबसे ज्यादा न्यूरो सर्जन

डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक यूपी में करीब 200 न्यूरो सर्जन हैं. इसमें लखनऊ में 35 न्यूरो सर्जन हैं. यहां राज्य के एक तिहाई न्यूरो सर्जरी के मरीजों का इलाज होता है. मरीजों को बढ़ती संख्या को देखते हुए 1500-2000 न्यूरो सर्जन की आवश्यता है. यहां एसजीपीजीआई में 8, केजीएमयू में 4, आरएमएलआईएमएस में दो, बीएचयू में एक एमसीएच न्यूरो सर्जरी की सीट है.

देश में सात गामा नाइफ मशीन, यूपी में मंजूरी

डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक 3 सेमी से छोटे ब्रेन ट्यूमर का इलाज बिना सर्जरी के मुमकिन है. इसका गामा नाइफ मशीन से खात्मा किया जा सकता है. अभी देश के सात सेंटरों में गामा नाइफ लगी है. यूपी में पहली मशीन लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में लगेगी. यहां सरकार ने न्यूरो साइंस सेंटर की भी मंजूरी दी है.

अहम बातें, आप भी जानें

ब्रेन ट्यूमर मुख्यतः बिनाइन व मेलिगलेंट होते हैं. इनमें कई प्रकार हो जाते हैं.

मुख्य ब्रेन ट्यूमर वयस्क में- ग्लायोमा, मेनिन्जाओमा, पिट्यूटरी ट्यूमर, इपिडरमायेड, इपेंडडायमोमा

मुख्य ब्रेन ट्यूमर बच्चों में- मेड्यूलोब्लास्टोमा, एस्ट्रोसायटोमा,इपेंडडायमोमा

डायग्नोसिस- सीटी स्कैन, एमआरआई

इलाज - सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी

लक्षण : सिर दर्द, उल्टी, आंखों की रोशनी कम होना, दौरा आना, बेहोशी आना, व्यवहार में बदलाव

यूपी सरकार का तोहफा, न्यूरो साइंस सेंटर को मिला धन


विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस के एक दिन पहले सरकार ने मरीजों को बड़ा तोहफा दिया है. लोहिया संस्थान में एडवांस न्यूरो साइंस सेंटर के लिए पहली किस्त जारी कर दी है. इसमें ब्रेन ट्यूमर समेत हर तरह की ब्रेन सर्जरी हो सकेगी. लोहिया संस्थान में एडवांस न्यूरो साइंस सेंटर का प्रस्ताव करीब तीन साल से अटका था. सोमवार को शासन ने पहले चरण के निर्माण के लिए बजट जारी कर दिया गया है. पूरी परियोजना 3426.39 लाख रुपये है. इसके तहत पहली किस्त के तौर पर करीब आठ करोड़ 56 लाख 59 हजार रुपये जारी किए गए हैं. इस बजट से चार मंजिला न्यू ब्लॉक में दो तल और बनेंगे.

होंगे 200 बेड
लोहिया संस्थान में न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. डीके सिंह के मुताबिक एडवांस न्यूरो साइंस सेंटर में 200 बेड होंगे. इसमें न्यूरो सर्जरी व न्यूरोलॉजी विभाग का संचालन होगा. 60 बेड का आईसीयू होगा. जिसमें 20 बेड ट्रॉमा आईसीयू के लिए होंगे. पीडियाट्रिक न्यूरोसर्जरी व न्यूरोलॉजी में 20 बेड होंगे. इसमें सिर के ट्यूमर व दूसरी सिर की बीमारी से जूझ रहे बच्चों को बेहतर इलाज मिल सकेगा. 24 घंटे सीटी स्कैन जांच के लिए सेंटर में मशीन लगाई जाएगी. अभी न्यूरो सर्जरी में चार डॉक्टर हैं. इसमें एक डॉक्टर विदेश में प्रशिक्षण के लिए गए हैं.

सेंटर में स्पेशल यूनिट, हाईटेक इलाज की सुविधा

लोहिया संस्थान में न्यूरो सर्जरी के हेड डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक न्यूरो सर्जरी में अभी 20 बेड का वार्ड है. साथ ही 10 बेड का आइसीयू है. वहीं चार फैकल्टी व करीब आठ रेजीडेंट हैं. न्यूरो साइंस सेंटर में स्पेशल यूनिट बनेंगी. इसमें हेड इंजरी, स्पाइन सर्जरी यूनिट व ब्रेन ट्यूमर सर्जरी यूनिट होंगी. मरीजों के इलाज के लिए वर्ल्ड क्लास की सुविधा होगी.

गामा नाइफ मशीन लगेगी
डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक गामा नाइफ की मशीन जल्द आएगी. इसके लिए रेडिएशन आंकोलॉजी भवन के बगल में बंकर बनेगा. मशीन व बंकर के लिए लगभग 30 करोड़ लागत तय की गई है. वहीं दो मंजिला भवन का प्रोजेक्ट बनाकर निर्माण एजेंसी देगी.

150 बेड बढ़ेंगे, ओटी कॉम्प्लेक्स बनेगा

न्यू बिल्डिंग में न्यूरो साइंस सेंटर के अलावा 150 बेड दो तलों पर और बढ़ेंगे. वहीं, एक फ्लोर पर ओटी कॉम्पलेक्स बनेगा. इससे एमसीआइ के मानकों के अनुसार विभागों के वार्डों का गठन होगा.

लखनऊ : दुनियाभर में आठ जून को ब्रेन ट्यूमर डे मनाया जाता है. इसका मकसद, जागरूकता के जरिए आमजन को घातक बीमारी से सतर्क करना है. यह शरीर के सबसे संवेदनशील अंग मस्तिष्क को किसी भी उम्र में अपनी चपेट में ले लेता है. युवा, बुजुर्ग हों या बच्चे सभी पर ट्यूमर हमलावर है. इसमें सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी ही इलाज का विकल्प है. वहीं देश की आबादी के लिहाज से संसाधनों का अभाव है. ऐसे में इस इस घातक बीमारी से कैसे बचना है और इसके क्या लक्षण हैं इसके बारे में हमको जानना बहुत जरूरी है.

क्या होता है ब्रेन ट्यूमर

ब्रेन ट्यूमर एक ऐसी बीमारी है जिसमें दिमाग में मौजूद कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं. जो बहुत खतरनाक स्थिति पैदा कर देती हैं. इसमें धीरे-धीरे मस्तिष्क में टिश्यूज़ की एक गांठ बन जाती है जिसे ब्रेन ट्यूमर कहा जाता हैं. बीमारी का पता चलने के बाद मरीज इसे लेकर बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेने लगता है जो मरीज के लिए और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है. ट्रीटमेंट के साथ इसमें पॉजिटिव रहने की बहुत ज्यादा जरूरत होती है.

हर दिन मिल रहे तीन हजार से ज्यादा ब्रेन ट्यूमर के मरीज
लोहिया संस्थान के न्यूरोसर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक ब्रेन ट्यूमर के दुनियाभर में हर दिन 3000 ज्यादा मरीज डायग्नोस किए जाते हैं. इसमें यदि दिमाग में फैलने वाले अन्य तरह के कैंसर जोड़ लें तो मरीजों की संख्या 8 से 10 हजार हो जाती है. वहीं भारत में एक लाख लोगों में 5-10 मरीज ब्रेन ट्यूमर के हो सकते हैं. बच्चों में होने वाले सभी ट्यूमर एक चौथाई (26 फीसद) ब्रेन ट्यूमर होते हैं.

देश में हर साल बनते हैं 200 न्यूरो सर्जन

डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक देश में करीब दो हजार न्यूरो सर्जन हैं. वहीं आबादी व बढ़ती बीमारी के लिहाज से आवश्यकता 15 से 20 हजार न्यूरोसर्जन की है. देश के 60 मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जरी की पढ़ाई होती है. यहां से हर वर्ष 200 डॉक्टर न्यूरो सर्जरी की ट्रेनिंग लेकर निकलते हैं. इसमें से कई विदेश चले जाते हैं. ऐसे में नए ट्रेनिंग सेंटर व एमसीएच न्यूरो सर्जरी की सीटें बढ़ानी होंगी. स्थिति यह है मरीज का समय गत ऑपरेशन के लिए न्यूरोसर्जन का संकट है. वहीं ब्रेन ट्यूमर पर सटीक वार करने वाली रेडियोथेरेपी की 'गामा नाइफ' की तादाद भी बेहद कम हैं. हालांकि यूपी सरकार ने इस दिशा में सुधार के लिए कदम बढ़ा दिए हैं. अब अन्य राज्यों को भी ठोस प्रयास करने होंगे.

पढें- विश्व खाद्य सुरक्षा दिवसः दूषित खान-पान से हर मिनट 44 लोग होते हैं बीमार

यूपी में लखनऊ में सबसे ज्यादा न्यूरो सर्जन

डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक यूपी में करीब 200 न्यूरो सर्जन हैं. इसमें लखनऊ में 35 न्यूरो सर्जन हैं. यहां राज्य के एक तिहाई न्यूरो सर्जरी के मरीजों का इलाज होता है. मरीजों को बढ़ती संख्या को देखते हुए 1500-2000 न्यूरो सर्जन की आवश्यता है. यहां एसजीपीजीआई में 8, केजीएमयू में 4, आरएमएलआईएमएस में दो, बीएचयू में एक एमसीएच न्यूरो सर्जरी की सीट है.

देश में सात गामा नाइफ मशीन, यूपी में मंजूरी

डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक 3 सेमी से छोटे ब्रेन ट्यूमर का इलाज बिना सर्जरी के मुमकिन है. इसका गामा नाइफ मशीन से खात्मा किया जा सकता है. अभी देश के सात सेंटरों में गामा नाइफ लगी है. यूपी में पहली मशीन लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में लगेगी. यहां सरकार ने न्यूरो साइंस सेंटर की भी मंजूरी दी है.

अहम बातें, आप भी जानें

ब्रेन ट्यूमर मुख्यतः बिनाइन व मेलिगलेंट होते हैं. इनमें कई प्रकार हो जाते हैं.

मुख्य ब्रेन ट्यूमर वयस्क में- ग्लायोमा, मेनिन्जाओमा, पिट्यूटरी ट्यूमर, इपिडरमायेड, इपेंडडायमोमा

मुख्य ब्रेन ट्यूमर बच्चों में- मेड्यूलोब्लास्टोमा, एस्ट्रोसायटोमा,इपेंडडायमोमा

डायग्नोसिस- सीटी स्कैन, एमआरआई

इलाज - सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी

लक्षण : सिर दर्द, उल्टी, आंखों की रोशनी कम होना, दौरा आना, बेहोशी आना, व्यवहार में बदलाव

यूपी सरकार का तोहफा, न्यूरो साइंस सेंटर को मिला धन


विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस के एक दिन पहले सरकार ने मरीजों को बड़ा तोहफा दिया है. लोहिया संस्थान में एडवांस न्यूरो साइंस सेंटर के लिए पहली किस्त जारी कर दी है. इसमें ब्रेन ट्यूमर समेत हर तरह की ब्रेन सर्जरी हो सकेगी. लोहिया संस्थान में एडवांस न्यूरो साइंस सेंटर का प्रस्ताव करीब तीन साल से अटका था. सोमवार को शासन ने पहले चरण के निर्माण के लिए बजट जारी कर दिया गया है. पूरी परियोजना 3426.39 लाख रुपये है. इसके तहत पहली किस्त के तौर पर करीब आठ करोड़ 56 लाख 59 हजार रुपये जारी किए गए हैं. इस बजट से चार मंजिला न्यू ब्लॉक में दो तल और बनेंगे.

होंगे 200 बेड
लोहिया संस्थान में न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. डीके सिंह के मुताबिक एडवांस न्यूरो साइंस सेंटर में 200 बेड होंगे. इसमें न्यूरो सर्जरी व न्यूरोलॉजी विभाग का संचालन होगा. 60 बेड का आईसीयू होगा. जिसमें 20 बेड ट्रॉमा आईसीयू के लिए होंगे. पीडियाट्रिक न्यूरोसर्जरी व न्यूरोलॉजी में 20 बेड होंगे. इसमें सिर के ट्यूमर व दूसरी सिर की बीमारी से जूझ रहे बच्चों को बेहतर इलाज मिल सकेगा. 24 घंटे सीटी स्कैन जांच के लिए सेंटर में मशीन लगाई जाएगी. अभी न्यूरो सर्जरी में चार डॉक्टर हैं. इसमें एक डॉक्टर विदेश में प्रशिक्षण के लिए गए हैं.

सेंटर में स्पेशल यूनिट, हाईटेक इलाज की सुविधा

लोहिया संस्थान में न्यूरो सर्जरी के हेड डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक न्यूरो सर्जरी में अभी 20 बेड का वार्ड है. साथ ही 10 बेड का आइसीयू है. वहीं चार फैकल्टी व करीब आठ रेजीडेंट हैं. न्यूरो साइंस सेंटर में स्पेशल यूनिट बनेंगी. इसमें हेड इंजरी, स्पाइन सर्जरी यूनिट व ब्रेन ट्यूमर सर्जरी यूनिट होंगी. मरीजों के इलाज के लिए वर्ल्ड क्लास की सुविधा होगी.

गामा नाइफ मशीन लगेगी
डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक गामा नाइफ की मशीन जल्द आएगी. इसके लिए रेडिएशन आंकोलॉजी भवन के बगल में बंकर बनेगा. मशीन व बंकर के लिए लगभग 30 करोड़ लागत तय की गई है. वहीं दो मंजिला भवन का प्रोजेक्ट बनाकर निर्माण एजेंसी देगी.

150 बेड बढ़ेंगे, ओटी कॉम्प्लेक्स बनेगा

न्यू बिल्डिंग में न्यूरो साइंस सेंटर के अलावा 150 बेड दो तलों पर और बढ़ेंगे. वहीं, एक फ्लोर पर ओटी कॉम्पलेक्स बनेगा. इससे एमसीआइ के मानकों के अनुसार विभागों के वार्डों का गठन होगा.

Last Updated : Jun 8, 2021, 12:53 PM IST
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