नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा को लेकर भारतीय जनता पार्टी लगातार कांग्रेस पर प्रहार कर रही है. हालांकि इस चुनाव में जीत एक बार फिर टीएमसी की ही होती दिख रही है. लेकिन बीजेपी के आरोप हैं कि उनके वोटर्स को बूथ तक पहुंचने नहीं दिया गया. बंगाल में हुई हिंसा को लेकर बीजेपी ने एक कमिटी भी गठित की है, जो बुधवार को पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करेगी.
इस मुद्दे पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम से सवाल किया गया गया कि पश्चिम बंगाल में जो हिंसा हुई उसमें कांग्रेस के भी कार्यकर्ता मारे गए, मगर विपक्षी पार्टियां सवाल नहीं उठा रहीं. इस पर उन्होंने कहा कि ये बड़े दुख की बात है कि जिस तरह से पश्चिम बंगाल में हिंसा हुई है, उस पर कोई भी विपक्षी पार्टी आवाज नहीं उठा रहीं हैं, जबकि वहां अलग-अलग पार्टियों के कार्यकर्ताओं को चुन-चुनकर मारा जा रहा है.
उन्होंने कहा कि लोगों को बूथ तक जाने नहीं दिया गया. कार्यकर्ताओं को रोका गया. राज्य की पुलिस ने कार्यकर्ता की तरह काम किया. मगर लोकतंत्र में ये बातें ज्यादा दिन नहीं चलती. उन्होंने कहा कि इमरजेंसी लगाने वालों को भी एक दिन सत्ता से हाथ धोना पड़ा था. इस सवाल पर की पंचायत चुनाव में जनता ने बीजेपी पर भरोसा नहीं जताया? क्या लोकसभा चुनाव में भी इसी तरह के परिणाम की आशंका है?
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि लोकसभा चुनाव की जहां तक बात है, पार्टी चाहती है कि चुनाव आयोग इस संबंध में संज्ञान ले, ताकि वहां की स्थिति सुधर सके और लोकसभा चुनाव में केंद्रीय बालों की तैनाती सुनिश्चित की जा सके.
उन्होंने कहा कि वो कांग्रेस से पूछना चाहते हैं की उनके 6 कार्यकर्ता मारे गए. उनके नेता अधीर रंजन रो रहे और कांग्रेस नेतृत्व परिवारवाद को बढ़ावा दे रहा है और तृणमूल की नेता ममता बनर्जी को गले लगा रहा है. आखिर ऐसी क्या मजबूरी है जो कांग्रेस पार्टी समेत बाकी विपक्षी पार्टियों को बंगाल की हिंसा नहीं दीखती.