ETV Bharat / bharat

संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है महिला आरक्षण विधेयक - Womens Reservation Bill

संसद का शीतकालीन सत्र आगामी 4 दिसंबर से शुरू होने वाला है. इस सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव पेश किया जा सकता है. winter session of parliament, Prime Minister Narendra Modi, Jammu and Kashmir Assembly, 33 percent reservation for women

winter session of parliament
संसद का शीतकालीन सत्र
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 30, 2023, 4:52 PM IST

श्रीनगर: आगामी 4 दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव पेश कर सकती है. अधिकारियों के अनुसार, विधेयक का लक्ष्य संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान नब्बे सीटों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत सीटें आवंटित करना है, जो 22 दिसंबर, 2023 को समाप्त होने की उम्मीद है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संभवत: इस विधेयक को संसद में पेश करने वाले हैं. एक अधिकारी ने कहा कि 'मसौदे के अनुसार, 2029 से शुरू होकर, जब कानून के प्रावधान प्रभावी होंगे, यूटी विधानसभा में 29 या 30 सीटें महिलाओं के लिए नामित की जाएंगी. 33 प्रतिशत सीमा में उन महिलाओं का आरक्षण शामिल होगा जो एससी और एसटी हैं. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अब एससी के लिए सात और एसटी के लिए नौ सीटें निर्धारित हैं.'

अधिकारी ने आगे कहा कि 'जब महिला आरक्षण के प्रावधान लोकसभा में लागू हो जाएंगे, तो जम्मू-कश्मीर की पांच में से एक या दो सीटें भी महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी.' अधिकारी ने आगे कहा कि 'यह भी उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित चार विधेयक जो जुलाई में संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किए गए थे, लेकिन पारित होने के लिए नहीं उठाए गए थे, उन्हें शीतकालीन सत्र में संसद की मंजूरी के लिए उठाए जाने की संभावना है.'

अधिकारी ने बिलों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि एक विधेयक उपराज्यपाल द्वारा दो कश्मीरी प्रवासियों, एक महिला और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) के एक शरणार्थी को जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में नामित करने से संबंधित है. दूसरा पहाड़ी जातीय जनजाति, पद्दारी जनजाति, गद्दा ब्राह्मण और कोल्ही को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने से संबंधित है.'

अधिकारी के अनुसार, तीसरा विधेयक वाल्मिकियों को अनुसूचित जातियों की सूची में जोड़ेगा, जबकि चौथा विधेयक आरक्षण देने के लिए अन्य सामाजिक जातियों (ओएससी) का नाम बदलकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कर देगा. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 में एक दिलचस्प प्रावधान यह है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की विधान सभा अधिकतम दो सदस्यों को नामांकित कर सकती है, जिनमें से एक महिला होनी चाहिए, कश्मीरी प्रवासियों के समुदाय से और एक सदस्य पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर से विस्थापित व्यक्तियों में से होना चाहिए.

श्रीनगर: आगामी 4 दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव पेश कर सकती है. अधिकारियों के अनुसार, विधेयक का लक्ष्य संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान नब्बे सीटों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत सीटें आवंटित करना है, जो 22 दिसंबर, 2023 को समाप्त होने की उम्मीद है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संभवत: इस विधेयक को संसद में पेश करने वाले हैं. एक अधिकारी ने कहा कि 'मसौदे के अनुसार, 2029 से शुरू होकर, जब कानून के प्रावधान प्रभावी होंगे, यूटी विधानसभा में 29 या 30 सीटें महिलाओं के लिए नामित की जाएंगी. 33 प्रतिशत सीमा में उन महिलाओं का आरक्षण शामिल होगा जो एससी और एसटी हैं. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अब एससी के लिए सात और एसटी के लिए नौ सीटें निर्धारित हैं.'

अधिकारी ने आगे कहा कि 'जब महिला आरक्षण के प्रावधान लोकसभा में लागू हो जाएंगे, तो जम्मू-कश्मीर की पांच में से एक या दो सीटें भी महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी.' अधिकारी ने आगे कहा कि 'यह भी उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित चार विधेयक जो जुलाई में संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किए गए थे, लेकिन पारित होने के लिए नहीं उठाए गए थे, उन्हें शीतकालीन सत्र में संसद की मंजूरी के लिए उठाए जाने की संभावना है.'

अधिकारी ने बिलों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि एक विधेयक उपराज्यपाल द्वारा दो कश्मीरी प्रवासियों, एक महिला और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) के एक शरणार्थी को जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में नामित करने से संबंधित है. दूसरा पहाड़ी जातीय जनजाति, पद्दारी जनजाति, गद्दा ब्राह्मण और कोल्ही को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने से संबंधित है.'

अधिकारी के अनुसार, तीसरा विधेयक वाल्मिकियों को अनुसूचित जातियों की सूची में जोड़ेगा, जबकि चौथा विधेयक आरक्षण देने के लिए अन्य सामाजिक जातियों (ओएससी) का नाम बदलकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कर देगा. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 में एक दिलचस्प प्रावधान यह है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की विधान सभा अधिकतम दो सदस्यों को नामांकित कर सकती है, जिनमें से एक महिला होनी चाहिए, कश्मीरी प्रवासियों के समुदाय से और एक सदस्य पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर से विस्थापित व्यक्तियों में से होना चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.