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कृषि कानूनों को निरस्त करने का सरकार का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण : SC पैनल सदस्य

तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले पर विपक्ष निशाना साध रहा है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त पैनल के सदस्य ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का सरकार का फैसला बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.

पैनल सदस्य
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Published : Nov 19, 2021, 4:09 PM IST

Updated : Nov 19, 2021, 4:43 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त पैनल के सदस्य और शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल जे घनवत ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का सरकार का फैसला बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, इससे प्रदर्शनों को समाप्त करने में मदद मिलने की संभावना नहीं है.

उन्होंने कहा कि यदि शीर्ष अदालत कृषि कानूनों पर रिपोर्ट जारी नहीं करती है, तो वह इसे जारी करेंगे. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट का उद्देश्य अब समाप्त हो गया है और यदि शीर्ष अदालत ऐसा नहीं करती है तो रिपोर्ट को सार्वजनिक डोमेन में जारी किया जाएगा. शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल जे घनवत ने कहा कि पैनल की रिपोर्ट 'किसानों के पक्ष में' थी.

तीन कृषि कानूनों का अध्ययन करने और हितधारकों के साथ परामर्श करने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय समिति ने 19 मार्च को अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंप दी थी. तब से रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है. घनवत ने 1 सितंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश से पैनल की रिपोर्ट को सार्वजनिक डोमेन में जारी करने का अनुरोध किया था, जिसमें कहा गया था कि इसकी 'सिफारिशें चल रहे किसानों को हल करने का मार्ग प्रशस्त करेंगी.'

पढ़ें- जानिए, कृषि कानूनों पर गठित समिति के सदस्यों का प्रोफाइल

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में एक बड़ा कदम उठाते हुए तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की है.

पढ़ें- सरकार का तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान : पीएम मोदी

पढ़ें- तत्काल वापस नहीं होगा किसान आंदोलन : राकेश टिकैत

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त पैनल के सदस्य और शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल जे घनवत ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का सरकार का फैसला बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, इससे प्रदर्शनों को समाप्त करने में मदद मिलने की संभावना नहीं है.

उन्होंने कहा कि यदि शीर्ष अदालत कृषि कानूनों पर रिपोर्ट जारी नहीं करती है, तो वह इसे जारी करेंगे. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट का उद्देश्य अब समाप्त हो गया है और यदि शीर्ष अदालत ऐसा नहीं करती है तो रिपोर्ट को सार्वजनिक डोमेन में जारी किया जाएगा. शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल जे घनवत ने कहा कि पैनल की रिपोर्ट 'किसानों के पक्ष में' थी.

तीन कृषि कानूनों का अध्ययन करने और हितधारकों के साथ परामर्श करने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय समिति ने 19 मार्च को अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंप दी थी. तब से रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है. घनवत ने 1 सितंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश से पैनल की रिपोर्ट को सार्वजनिक डोमेन में जारी करने का अनुरोध किया था, जिसमें कहा गया था कि इसकी 'सिफारिशें चल रहे किसानों को हल करने का मार्ग प्रशस्त करेंगी.'

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दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में एक बड़ा कदम उठाते हुए तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की है.

पढ़ें- सरकार का तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान : पीएम मोदी

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Last Updated : Nov 19, 2021, 4:43 PM IST
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