बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि चेक बाउंस के मामले में पत्नी या मां को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता है. उन्हें कंपनी नहीं माना जा सकता है. इसके साथ ही अदालत ने एक महिला के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है जिसके पति ने चेक जारी किया था और यह बाउंस हो गया.
इस केस में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स ऐक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था. वीनाश्री ने 2019 में बेंगलुरु में एसीएमएम कोर्ट के समक्ष अपने खिलाफ लंबित मामले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. एक व्यक्ति शंकर ने वीनाश्री, उसके पति और सास के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. आरोप था कि तीनों ने शंकर से कर्ज लिया था और उसे चुकाने में असफल रहे.
वीणाश्री के पति ने शंकर को चार चेक जारी किए थे, जो बाउंस हो गए. इसलिए शंकर ने तीनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. अपनी याचिका में वीणाश्री ने कहा कि उसने कभी उस चेक पर हस्ताक्षर नहीं किया जो बाउंस हो गया था. उस पर उसके पति ने हस्ताक्षर किए थे और उस पर एनआई अधिनियम के प्रावधानों के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.
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न्यायमूर्ति एमआई अरुण ने 19 अक्तूबर, 2022 के अपने आदेश में कहा कि यह देखा गया है कि आरोपी चेक पर हस्ताक्षरकर्ता नहीं है. यह संयुक्त खाता भी नहीं है. तीनों आरोपी नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स ऐक्टके तहत किसी कंपनी का गठन नहीं करते हैं। मामले में पत्नी पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.
(पीटीआई-भाषा)